विज्ञान किसे कहते हैं |विज्ञान का अर्थ |विज्ञान की प्रकृति |Meaning of Science in Hindi

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विज्ञान किसे कहते हैं,  विज्ञान का अर्थ , Meaning of Science in Hindi 

विज्ञान किसे कहते हैं |विज्ञान का अर्थ |विज्ञान की प्रकृति |Meaning of Science in Hindi



विज्ञान का अर्थ (Meaning of Science) 

 

  • विज्ञान शब्द वि + ज्ञान शब्द से बना है, जिसका अर्थ विशिष्ट ज्ञान से है। वास्तव में प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन करना तथा उसमें आपस में सम्बन्ध ज्ञात करना ही विज्ञान कहलाता है। विज्ञान अंग्रेजी भाषा के Science शब्द का पर्यायवाची है। 
  • Science शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द Scientia साइंटिया से हुई है, इसका अर्थ है- ज्ञान । अतः ज्ञान का दूसरा नाम ही विज्ञान है। यह शब्द सीमित अर्थ में ही प्रयुक्त किया जाता है। अधिक व्यापक व व्यवहारिक अर्थ में प्राकृतिक घटनाओं एवं नियमों का सुव्यवस्थित व क्रमबद्ध अध्ययन तथा उससे प्राप्त ज्ञान विज्ञान कहलाता है।

 

विज्ञान की परिभाषाएं

 

एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका- 

"विज्ञान नैसर्गिक घटनाओं और उनके बीच सम्बन्धों का सुव्यवस्थित ज्ञान है।"

 

आइंस्टीन के अनुसार- 

हमारी ज्ञान अनुभूतियों की अस्त-व्यस्त विभिन्नता को एक तर्कपूर्ण विचार प्रणाली निर्मित करने के प्रयास को विज्ञान कहते हैं।"

 

कार्ल पौपर के अनुसार- 

"विज्ञान निरन्तर क्रान्तिकारी परिवर्तन की स्थिति है और वैज्ञानिक सिद्धान्त तब तक वैज्ञानिक नहीं होते हैं जब तक कि उन्हें आगामी अनुभव तथा प्रमाण द्वारा परिवर्तित किया जाना निहित नहीं है।"

 

पं. जवाहर लाल नेहरू के अनुसार-

 "विज्ञान का अर्थ केवल मात्र परखनली तथा कुछ बड़ा या छोटा बनाने के लिए इसको और उसको मिलाना ही नहीं है अपितु वैज्ञानिक विधि के अनुसार हमारे मस्तिष्क को प्रशिक्षण देना ही विज्ञान है।

 

भारत में विज्ञान शिक्षण का विकास (Groth of Science teaching in India)

 

  • आदिकाल से ही मानव जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है। वह प्रकृति में घटित हा रही घटनाओं तथा परिवर्तनों के विषय में जानने के प्रति उत्सु रहा है। यही उत्सुकता उसे विज्ञान के नजदीक लाती है। विज्ञान की खोज के साथ-साथ इसका मनुष्य के व्यवहार व उसकी सोच पर भी प्रभाव पड़ने लगा।

 

  • विज्ञान शिक्षण का आरम्भ 19वीं शताब्दी में इसाई मिशनरियों के द्वारा हुआ। सन् 1854 में अंग्रेजी शासन ने विज्ञान के व्यवहारिक महत्व को समझा और सन् 1862 में विश्व विद्यालय की माध्यमिक कक्षाओं में विज्ञान को एक विषय के रूप में स्थान दिया गया। सन् 1904 में लार्ड कर्जन ने शिक्षा में तकनीकी शिक्षा के प्रयोग पर अधिक बल दिया। सन् 1948 में राधा कृष्णन आयोग के अनुसार विद्यार्थियों की चिंतन शक्ति, निर्णय शक्ति, रचनात्मक शक्ति एवं उसमें नेतृत्व के गुणों के विकास के लिए तकनीकी व व्यवसायिक शिक्षा देनी चाहिए जिसके लिए स्नातक स्तर पर रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जन्तु विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान में से किन्हीं दो विषयों का चयन कर उनका अध्ययन करना था। धीरे-धीरे उनको शिक्षण पाठ्यक्रम में उतारा जाने लगा है जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान में विद्यालयों में विज्ञान शिक्षण पर अधिक बल दिया जाने लगा।

 

विज्ञान की प्रकृति (Nature of Science)

 

  • मनुष्य प्रारम्भ से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है जिसके कारण वह प्रकृति के पीछे छिपे गूढ़ रहस्यों को जानने की इच्छा रखता है। वह उसे जानना चाहता है जिसका ज्ञान उसे कठिन परिश्रम द्वारा ही हो पाता है। प्रत्येक विषय की अपनी प्रकृति होती है जिसके द्वारा उसकी एक पहचान होती है। 


विज्ञान की प्रकृति निम्नलिखित है-

 

  • विज्ञान सत्य पर आधारित होता है। 
  • विज्ञान के द्वारा तथ्यों का विश्लेषण किया जाता है। 
  • विज्ञान में परिकल्पना का प्रमुख स्थान होता है। 
  • विज्ञान पक्षपात रहित विचारधारा है। 
  • विज्ञान वस्तुनिष्ठ मापकों पर निर्भर होता है। 
  • विज्ञान परिमाणवाची निष्कर्षों की खोज है। 
  • विज्ञान समस्या का स्पष्ट हल है। 
  • विज्ञान संज्ञा कम, क्रिया अधिक है। 
  • विज्ञान वह है जो वैज्ञानिक कहते हैं और वैज्ञानिक क्या कहते हैं यह वैज्ञानिक विधि का अनुसरण है। 
  • विज्ञान की अपनी भाषा है। इसकी भाषा में वैज्ञानिक पद, वैज्ञानिक प्रत्यय, सूत्र, सिद्धान्त, निदान तथा संकेत आदि सम्मिलित होते हैं जो कि विशेष प्रकार के होते हैं तथा विज्ञान की भाषा को जन्म देते हैं। 
  • विज्ञान का ज्ञान सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध, तार्किक तथा अधिक स्पष्ट होता है। इसमें सम्पूर्ण वातावरण में पायी जाने वाली वस्तुओं के परस्पर सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है तथा निष्कर्ष निकाले जाते हैं। 
  • विज्ञान के विभिन्न नियमों, सिद्धान्तों, सूत्रों आदि में संदेह की संभावना नहीं रहती है। ये सर्वत्र एक समान ही रहते हैं। 
  • विज्ञान के अध्ययन से विद्यार्थियों में आगमन-निगमन, सामान्यीकरण तथा अवलोकन की योग्यता का विकास होता है। विज्ञान के अध्ययन से विद्यार्थियों में अनुशासन, आत्मनिर्भरता,  आत्मविश्वास इत्यादि गुणों का विकास होता है। 
  • विज्ञान के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेन्द्रिया होती हैं और ज्ञानेन्द्रियों द्वारा सीखा गया ज्ञान अधिक समय तक स्थायी रहता है। 


विज्ञान की प्रकृति को तीन प्रमुख सिद्धान्तों में विभाजित कर सकते हैं-

 

1. वैज्ञानिक ज्ञान का पिण्ड 

2. वैज्ञानिक प्रक्रिया 

3. वैज्ञानिक मानसिकता

 

अतः हम कह सकते हैं कि विज्ञान एक चक्रीय प्रक्रिया है तथा वैज्ञानिक ज्ञान सदैव अस्थायी होता है। विज्ञान प्रक्रिया भी है और उत्पाद भी है।

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