मानव शरीर एवं शरीर रचना | शरीर के आठ मुख्य संस्थान| Human Body Part Biology in HIndi

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 मानव शरीर एवं शरीर रचना (Human Body Part Biology in Hindi )

मानव शरीर एवं शरीर रचना | शरीर के आठ मुख्य संस्थान| Human Body Part Biology in HIndi




मानव शरीर के मुख्य विभाग (भाग) 

 

जिस प्रकार किसी मशीन (Machine ) का आधार अनेक कल-पुर्जे होते हैं, उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी अनेक अवयवों का सम्मिलित स्वरूप है। मशीन और मनुष्य में मुख्य अन्तर यही है कि मशीन निष्प्राण होती है, और उसका संचालन किसी मनुष्य के ऊपर ही निर्भर करता है, जबकि मनुष्य सप्राण होता है और उसका अंग-संचालन स्वयं उसी की इच्छा पर निर्भर रहता है। मशीन का निर्माता मनुष्य है, वह उसे अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप चाहे जो स्वरूप दे देता है परन्तु मनुष्य शरीर का निर्माता जगदाधार परमपिता परमेश्वर है, जो केवल मनुष्य को ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व-ब्रह्मण्ड के सभी सचराचर जीवों एवं पदार्थों की उत्पत्ति का हेतु निर्माता नियन्ता और उनका विनाशक भी है।

 

मनुष्य - शरीर के निम्नलिखित चार मुख्य विभाग हैं

 

1. सिर (Head) 

2. ग्रीवा ( Neck) 

3. धड़ (Trunk or Body) 

4. शाखाऐं अर्थात् हाथ-पाँव (Limbs) 


शाखाओं के दो विभाग हैं-

 

1. ऊर्ध्व शाखाऐं अर्थात् दोनों हाथ (Upper Linbs) 

2. निम्न शाखाऐं अर्थात् दोनों पाँव (Lower Linbs)

 

1. सिर (Head) -

  • इसे (1) खोपड़ी तथा ( 2 ) चेहरा- इन दो भागों में बाँटा जा सकता है । खोपड़ी - सिर के ऊपरी तथा पिछले भाग की हड्डियों का वह कोष्ठ (आवरण) है, जिसमें 'मस्तिष्क (Brain) सुरक्षित रहता है। इस भाग को कपाल (Cranium) भी कहते हैं। चेहरे (Face) के अन्तर्गत कान, नाक, आँख, ललाट, मुख तथा दोनों जबड़ों की गणना की जाती है ।

 

2. ग्रीवा ( Neck) -

  • यह सिर को धड़ से जोड़ती है अतः यह सिर और धड़ के मध्य का भाग है। इसके पीछे की ओर रीढ़ की हड्डी आगे की ओर टैंटुआ तथा मध्य में ग्रास - नली रहती है। इस प्रकार शरीर के इस छोटे से विभाग में श्वास तथा भोजन-प्रणाली के कुछ अंग स्थित रहते हैं।

 

3. धड़ ( Trunk ) - 

  • गर्दन से नीचे के भाग को 'धड़' कहा जाता है। इसके दो उप-विभाग हैं- 1. ऊपरी भाग को 'वक्षस्थल' तथा निचले भाग को 'पेट' कहा जाता है। धड़ के इन दोनों भागों को विभाजित करने वाली एक पेशी है, जिसे 'डायफ्राम' कहा जाता है। यह पेशी धड़ के मध्य में एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैली हुई है। वक्षः स्थल के अन्तर्गत पसलियाँ, फुस्फुस् अर्थात् फेफड़े (Lungs) तथा हृदय (Heart) मुख्य हैं। उदर में आमाशय (Stomach) यकृत्(Liver), प्लीहा ( Spleen), वृक्क अर्थात् गुर्दे (Kidney), अग्नाशय, छोटी और बड़ी आँतें तथा श्रोणि मेखला की स्थिति रहती है।

 

4. शाखाऐं (Limbs) - 

  • ऊपरी शाखाऐं अर्थात् हाथ धड़ के ऊपरी भाग में कन्धों की हड्डियों से जुड़े रहते हैं। इसके भी दो उप-विभाग हैं- दाँया (Right) तथा बाँया (Left ) शाखाओं अर्थात् टाँगों के भी दाँयें तथा बाँयें दो विभाग हैं। ये दोनों धड़ के निम्न भाग में श्रोणि मेखला से जुड़े रहते हैं।

 

शरीर के आठ मुख्य संस्थान

 

  • शरीर के उन भागों का जो किसी कार्य विशेष को करते हैं, 'अंग' अथवा अवयव (Organ) कहा जाता है। प्रत्येक अंग की अलग-अलग कियाएँ (Function) होती हैं। जैसे- पाँव की चलना, हाथ की पकड़ना, आँख की देखना, अमाशय की भोजन को पचाना आदि ।

 

  • जब अनेक अंग मिलकर किसी एक विशेष काम को करते हैं, तब उन क्रियाओं के कार्यसमूह को 'संस्थान' (System) कहा जाता है। 


मनुष्य शरीर में निम्नलिखित 8 संस्थान ( System) मुख्य माने गये हैं-

 

1. अस्थि - 

  • संस्थान अथवा कंकाल - तन्त्र (The Bony or skeleton System) इस संस्थान में शरीर की सभी छोटी-बड़ी हड्डियाँ सम्मिलित हैं। यह शरीर के विभिन्न अंगों को आकार, आधार एवं दृढ़ता प्रदान करता है।

 

2. माँस - 

  • संस्थान अथवा पेशी - तन्त्र (The Muscular System) इसके अन्तर्गत पेशियाँ आती हैं। यह संस्थान शरीर के विभिन्न अंगों को गति प्रदान करता है अर्थात् उन्हें गतिशील बनाता है।

 

3. रक्तवाहक संस्थान अथवा परिवहन - 

  • तन्त्र ( The Circulatory System) इसमें हृदय तथा रक्त वाहिनियाँ सम्मिलित हैं। यह संस्थान शरीर के विभिन्न भागों में रक्त संचरण (Blood Circulation) का कार्य करता है।

 

4. श्वासोच्छास संस्थान अथवा श्वसन - 

  • तन्त्र ( The Respiratory System ) इसमें नाक, टेंटुआ तथा फेफड़े सम्मिलित हैं। यह संस्थान श्वासोच्छास का कार्य करता है।

 

5. पोषण या पाचक संस्थान अथवा आहार - तन्त्र (The Digestive System) 


  • इसमें मुख, ग्रास - नली, आमाशय तथा छोटी-बड़ी आँतें सम्मिलित हैं। यह संस्थान भोजन को पचाकर शरीर के पोषण का कार्य करता है। 


6. उत्पादक संस्थान अथवा प्रजनन - तन्त्र (The Reproductive System) - 

  • इसमें शिश्न, अण्डकोष, योनि आदि प्रजनन अंग समिमलित हैं। यह संस्थान सन्तानोत्पत्ति के कार्य को करता है।

 

7. मूत्रवाहक एवं मल-त्याग संस्थान अथवा उत्सर्जन - तन्त्र ( The Excretory or The Urinary System)-

  • इसमें शिश्न, वृक्क, गुदा आदि अंग सम्मिलित हैं। यह संस्थान मल-मूत्र आदि त्याज्य-पदार्थों को बाहर निकाल कर शरीर को शुद्ध करने का कार्य करता है।

 

8. वातनाड़ी संस्थान अथवा तन्त्रिका तन्त्र (The Nervous System ) - 

  • इसके अन्तर्गत मस्तिष्क, रीढ़ रज्जु तथा तन्त्रिकाऐं सम्मिलित हैं यह संस्थान बाह्य वस्तुओं का ज्ञान कराता है तथा शरीर के कार्यों पर नियन्त्रण रखता है।

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