कोशिका की संरचना, प्रकार व कार्य | कोशिका की संरचना | Structure of Cell Details in Hindi

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कोशिका की संरचनाप्रकार व कार्य

कोशिका की संरचना, प्रकार व कार्य | कोशिका की संरचना | Structure of Cell Details in Hindi


 

कोशिका : जीवन की मूलभूत इकाई (Cell : Basic Unit of Life) 


  • मानव शरीर असंख्य सूक्ष्म इकाईयों से मिलकर से बना हैजिन्हें कोशिकाऐं (Cell) कहा जाता है। कोशिका शरीर का सूक्ष्मतम रूप है। यह शरीर की एक मूलभूत रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई हैजो स्वतन्त्र रूप से जीवन की क्रियाओं को चलाने की क्षमता रखती है।

 

  • शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में भिन्नता होती है परन्तु समस्त कोशिकाओं की मूलभूत संरचना एकसमान ही होती है। ये इतनी सूक्ष्म होती हैंकि इन्हें बिना माइक्रोस्कोप के देख सकना सम्भव नहीं है। इन्हें स्टेन करने के पश्चात् स्लाइड पर स्थिर करके ही देखा जा सकता है। स्टेन करने से कोशिका के भिन्न-भिन्न भाग भिन्न-भिन्न रंग ग्रहण कर लेते हैं तथा सभी भाग स्पष्ट एवं एक-दूसरे से भिन्न दिखाई देने लगते हैं । कोशिका की रचना के अन्तर्गत कई- एक सम्मिलित अंग हैंइन्हें अंगों (Bodies) के सामूहिक रूप को कोशिका (Cell) कहते हैं। कार्यों की विभिन्नता के कारण कोशिकाओं के आकार एवं आकृति में अन्तर होता हैपरन्तु कुछ रचनात्मक विशिष्ट गुण उन सभी में समान रहते हैं. 

 

1. कोशिका की संरचना (Structure of Cell ) 

प्रत्येक कोशिका के निम्न तीन मुख्य भाग होते हैं-

 

1. कोशिका कला या भित्ति (Cell membrane or cell wall) 

2. कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm ) 

3. केन्द्रक (Nucleus )

 

1. कोशिका कला (Cell Membrane)

 

यह एक पतली झिल्ली है जो कोशिका की सबसे बाहरी (Outermost ) परत को बनाती हैइसे प्लाज्मा मेम्ब्रेन भी कहा जाता है। यह वसा (Lipid), प्रोटीन तथा लवणों की दो परतों वाली झिल्ली है। इसकी उत्पत्ति कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) से होती है। कोशिका कला से ही समस्त कोशिकाओं से अलग रहती है। परन्तु कोशिका कला इतनी सूक्ष्म होती है तथा समीपस्थ कोशिका की भित्ति से इतना अधिक सट जाती हैकि दोनों कोशिकाओं के मध्य केवल एक भित्ति ही दिखाई देती है। यह पारदर्शी तथा अर्द्धपारगम्य (Semi permeable) होती है ।

 

कोशिका कला के कार्य

 

1. कोशिका की कोमल संरचनाओं की रक्षा करती है। 

2. बाह्य उत्तेजनाओं को ग्रहण करती है। 

3. इससे होकर हीकोशिका रक्त से पोषक तत्वों एवं ऑक्सीजन को ग्रहण करती है और त्याज्य पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालती है। 

4. इससे होकर कोशिका के शरीर से विकारों का निष्कासन होता रहता है। वस्तुतः कोशिका के भीतर - बाहर आने-जाने वाले पदार्थोंजैसे- जलऑक्सीजनकार्बन डाईऑक्साइड तथा ग्लूकोज आदि पर कोशिका कला का पूर्ण नियन्त्रण रहता है और इस प्रकार यह जीवद्रव्य ( Protoplasm) की रासायनिक संरचना को बनाये रखने में सहायक होती है।

 

2. कोशिकाद्रव्य / साइटोप्लाज्म (Cytoplasm )

 

  • केन्द्रक (Nucleus) के अतिरिक्त कोशिका के भीतर के समस्त भाग को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। कोशिका का जीवन इसी साइटोप्लाज्म पर ही आधृत हैएवं इसी पर कोशिका की समस्त मूलभूत जीवन- कियाएँ - वृद्धिश्वसनगतिशीलतापाचनउत्सर्जनचपापचयउत्तेजनशीलता तथा प्रजनन आदि निर्भर करती हैं । जीवितावस्था में साइटोप्लाज्म में अनेक रासायनिक क्रियाएँ अति तीव्र गति से होती रहती हैजिसके फलस्वरूप कोशिकाएँ जीवित रहती हैं। जीवितावस्था में साइटोप्लाज्म की रचना देखना असम्भव होता है। अतः इसके गठन का कुछ पता नहीं लगता है। यदि इसका विश्लेशण करने का प्रयत्न किया जाय तो यह नष्ट हो जाता है और इसमें कुछ रासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं। इसके नष्ट हो जाने पर समस्त जैविक क्रियाएँ रूक जाती हैंजिसके फलस्वरूप प्राणी की मृत्यु हो जाती है।

 

  • साइटोप्लाज्म में अपनी दशा को परिवर्तित करने की क्षमता पाई जाती है। इस कारण भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में इसकी रचना में भिन्नता उत्पन्न हो जाती है। अतः विभिन्न वैज्ञानिकों ने इसकी रचना अलग-अलग तरह की बतायी है । कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार यह एक रंगहीन अर्द्धपारदर्शकचिपचिपागाढ़ा द्रव होता है। कभी यह समांशी (Homogenous) दिखाई देता हैतो कभी रचनाविहीन लगता है। कभी इसमें सूत्रों का जाल-सा दिखाई देता हैजिसके बीच-बीच मे तरलरचनाविहीन पदार्थ भरा रहता है। कभी-कभी यह फेनदार भी दिखाई देता है और कभी इसमें तरल पदार्थ के बड़े-बड़े गोल कण तैरते दिखाई देते हैं। अधिकतर वैज्ञानिकों ने इसकी रचना जाल युक्त बतायी है उनके अनुसार इसमें सूत्रों का जाल फैला रहता हैजिसके कोष्ठों (Vacuoles) के भीतर एक स्वच्छ समांशी पदार्थ भरा होता है। जाल की रचना करने वाला पदार्थ जालकद्रव्य (Spongiplasm), तथा कोष्ठों में पाया जाने वाला पदार्थ स्वच्छद्रव्य (Hyaloplasm) कहलाता है। इसके अत्यन्त छोटे-छोटे कण ( tiny particles) बराबर ब्राउनियन गति (Brawnian movement) से गतिमान रहते हैं।

 

कोशिका के साइटोप्लाज्म में कार्बनिक पदार्थ ( Organic matters ) - प्रोटीनकार्बोहाइड्रेटजो दो प्रकार के होते हैं- 

(i) घुलनशील कार्बोहाइड्रेट- ग्लूकोजमाल्टोज,  सुकोज आदि

(ii) अघुलनशील कार्बोहाइड्रेट स्टार्चजैसे ग्लाइकोजन एवं सेल्युलोज विद्यमान रहते हैं। इसमें वसा (Fat) भी पायी जाती है। अकार्बनिक पदार्थ (Inorganic matters ) जैसे- फॉस्फेटक्लोराइडकैल्शियमसोडियम तथा पोटैशियम भी इसमें रहते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के विटामिनपेप्सिन तथा ट्रिप्सिन आदि एन्जाइम भी पाये जाते हैं। उपर्युक्त समस्त पदार्थ साइटोप्लाज्म के अजीवित (non-living) भाग हैंजिन्हें निर्जीवास - द्रव्य (Cytoplasmic inclusions) कहा जाता है साइटोप्लाजम में कुछ सक्रिय रचनाएँ भी होती हैजिन्हें सक्रिय-अंगक ( Cytoplasmic organelles) कहा जाता हैजिनकी उपस्थिति समस्त कोशिकाओं में होना अनिवार्य हैजो निम्नलिखित है-

 

(I) कलामय अंगक (Membranous organelles ) - 

  • प्लाज्मा मेम्ब्रेन (Plasma membrane) 
  • अन्तर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum ) 
  • गॉल्जी उपकरण (Golgi apparatus or complex ) 
  • माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria ) 
  • लाइसोसोम (Lysosome )

 

(II) साइटोप्लाजमिक राइबोन्यूक्लिइक एसिड / राइबोसोम (Cytoplasmic ribonucleic acid (RNA)/Ribosomes)

 

(III) सेन्ट्रोसोम (Centrosomes )

 

(IV) विविध तंतुक (Fibrils), तन्तु ( Filaments) एवं सूक्ष्म नलिकाएँ (Tubules ) [ प्लाज्मोसिन ( Plasmosin), रिक्तिकायें (Vacuoles), कणिकाएँ ( Granules ) ]

 

(I) कलामय अंगक (Membranous organelles ) -

 

  • प्लाज्मा मेम्बेन - पूर्व में वर्णित कोशिका कला देखें । 
  • अन्तर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum)

 

  • यह साइटोप्लाज्म में विद्यमान कलामय नलिकाओं (Membranous canals) की जाल के समान एक संरचना है। यह दो प्रकार की होती हैएक रूक्ष या खुरदरी (Rough) सतह वाली तथा दूसरी चिकनी (Smooth) सतह वाली रूक्ष सतह वाली एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम पर राइबोसोम के कण पंक्तियों में सटे रहते हैं। चिकनी एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम में लिपिड्स (Lipids) एवं स्टेरॉयड हॉर्मोन्स का संश्लेषण या निर्माण होता है तथा इसका सम्बन्ध कुछ औषधियों के निर्विषीकरण (Detoxification) से भी होता है।

 

  • ये पेशीय कोशिकाओं में आवेगों ( impulses) का संवाहन करती हैंयकृतीय कोशिकाओं मेंप्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट के संश्लेषण का कार्य करती हैंआमाशय में हाइड्रोक्लोरिक एसिड को स्त्रावित करती हैं।

 

Endoplasmic Reticulum (ER)

 


 

गॉल्जी उपकरण ( Golgi apparatus ) -

 

  • यह साइटोप्लाज्म मे स्थित कलाओं (Membranes ) का एक समूह हैजो भौतिक रूप से (Physically) एवं क्रियात्मक रूप से एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम से सम्बद्ध होता है । ये प्रायः कोशिकाओं के केन्द्रक (nucleus) के समीप स्थित होते हैं। इनकी रासायनिक रचना में लाइपोप्रोटीन अधिक रहता है।

 

  • गॉल्जी उपकरण का सम्बन्ध कोशिका की रासायनिक क्रियाओंविशेषकर स्त्रावण ( secretion) की किया से है। यह ग्लाइकोप्रोटीन स्त्राव के पॉलीसेकेराइड अंश का संश्लेषण भी करता है। इसकी आकृतिआकार एवं स्थिति समस्त कोशिका की सक्रियता के अनुसार बदलती रहती है। 

  • कोशिका में उत्पन्न हुए स्त्रावी उत्पाद इसी गॉल्जी उपकरण में एकत्रित होते हैं तथा कोशिका कला तक ले जाकर इन्हें बाहर छोड़ दिया जाता है।

 

माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria)

 

  • साइटोप्लाज्म में विभिन्न आकारों की अनेकों छोटी-छोटी रचनाएँ - अण्डाकार या रॉड के समान रचनाएँ चारों ओर बिखरी रहती हैंजिन्हें माइटोकॉण्ड्रिया कहते हैं । जीवित कोशिका में ये इधर-उधर घूमते रहते हैं। इनकी संख्या तथा आकार में परिवर्तन होता रहता है और ये विभाजित भी हो जाते हैं। कभी-कभी ये समूह रूप में एकत्र रहते हैं तथा कभी-कभी बिखरे से रहते हैं।

 

  • माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा - गृह (Power House) कहा जाता हैक्योंकि ये कोशिका के भीतर पचकर आये हुए भोजन का ऑक्सीकरण करके उसकी संग्रहीत ऊर्जा को विमुक्त कर ATP में संग्रहित करते हैंजिससे कोशिका को विभिन्न अंगक 'कोशिका - श्वसन' (Cell respiration) के लिए उत्तरदायी होता है। इनका प्रोटीन संश्लेषण तथा लिपिड चयापचय के साथ भी सम्बन्ध होता है। 


लाइसोसोम (Lysosomes ) -

 

  • लाइसोसोम साइटोप्लाज्म में स्थित कलामयी स्फोटिकाएँ (Membranous vesicles) होती हैजो अण्डाकार या गोलाकार एन्जाइम्स उत्पन्न होते हैंजो कोशिका के भीतर प्रोटीनकार्बोहाइड्रेटवसा एवं न्यूक्लिइक एसिड (RNA, DNA) के बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में खंण्डित कर देते हैंजो बाद में माइटोकॉण्ड्रिया द्वारा ऑक्सीकृत होते हैं किन्हीं विशेष परिस्थितियों में लाइसोसोम अपने अंतर्पदार्थ को भी पचा जाते हैंइसीलिए इन्हें आत्महत्या की थैली' (Suicide bag) भी कहा जाता है। इनका प्रधान कार्य 'आन्तरकोशिकीय पाचन' (intracellular digestion) से हैइसीलिए इन्हे 'पाचन उपकरण (Digestive apparatus ) भी कहते हैं। क्षतिग्रस्त कोशिका को भी लाइसोसोम पचा जाता है (Cell necrosis ) । श्वेत रक्त कोशिकाओं में यह ऐसे एन्जाइम उत्पन्न करते हैंजो सूक्ष्मजीवों को पचा जाते हैं। जीवाणु भक्षण (Phagocytosis) लाइसोसोम की एक अद्भुत् एवं विलक्षण किया है।

 

(II) राइबोसोम ( Ribosomes ) - 

  • राइबोसोम स्वभावतः राइबोन्यूक्लियोप्रोटीन हो हैं तथा ये समस्त साइटोप्लाज्म या कोशिकाद्रव्य में एकाकी अथवा समूहों में बिखरे हुए रहते हैं। राइबोसोम राइबोन्यूक्लिइक एसिड (RNA) से भरपूर रहते हैंतथा समस्त कोशिका का 60 प्रतिशत प्रोटीन इन्हीं में रहता है। राइबोसोम प्राटीन संश्लेषण (Protein synthesis) से सम्बन्धित हैंइसीलिए इन्हें 'प्रोटीन फैक्टरी कहा जाता है।


(III) सेन्ट्रोसोम (Centrosome) -

 


(III) सेन्ट्रोसोम (Centrosome) -

  • सेन्टोसोम न्यूक्लियस के समीप छड़ की आकृति की एक रचना है। यह धागों के समान चारों ओर निकली हुई रचना से घिरी रहती है। इसमें कुछ अधिक गहरे रंग की दो गोलाकार रचनाएँ और होती हैं, जिन्हें सेन्ट्रियोल (Centrioles) कहते हैं । सेन्ट्रोसोम इन्हीं सेन्ट्रियोल्स द्वारा कोशिका विभाजन में, महत्वपूर्ण भाग लेता है।

 

  • तन्त्रिका-कोशिकाओं में सेन्ट्रोसोम और सेन्ट्रियोल नहीं होता है, इसीलिए ये उत्पादन में असमर्थ रहती हैं।

 

(IV) कोशिका की  विविध संरचनाएँ :

 

प्लाज्मोसिन (Plasmosin ) -

 

  • प्लाज्मोसिन साइटोप्लाज्म का सदैव विद्यमान रहने वाला विशिष्ट संघटन है।

 

रिक्तिकाएँ (Vacuoles )

 

  • साइटोप्लाज्म में इधर-उधर छोटे-छोटे रिक्त स्थान दिखाई देते हैं जिन्हें रिक्तिकाएँ (Vacuoles) कहते हैं। ये परिवर्तनशील होती हैं। इनके चारों ओर कुछ मात्रा में लिपिड पदार्थ संग्रहीत पाया जाता है।

 

कणिकाएँ (Granules )

 

  • साइटोप्लाज्म में उपर्युक्त रचनाओ के अतिरिक्त कोशिकाओं की किसी फिजियोलॉजीकल अवस्था में जैसे धूप में तपने के पश्चात् त्वचा की एपीथीलियल कोशिकाओ में पिगमेन्ट के कण प्रकट हो जाते हैं।

 

आन्तरकोशिक तन्तुक (Intracellular fibrils) -

 

  • इसमें लंब आकारके प्राटीन के कण होते हैं जिनमें डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियो प्राटीन अत्यधिक मात्रा में रहता है। ये कण आपस में लम्बाई में सटे रहते हैं तथा आन्तरकोशिक तन्तुक' का निर्माण करते हैं। इसके उदाहरण हैं- एपीथीलियल कोशिकाओं के टोनोफाइब्रिल (Tonofibril), पेशी कोशिकाओं के पेशी तन्तुक (Myofibrils) तथा तन्त्रिका कोशिकाओं के तन्त्रिका तन्तुक (Nerve fibrils) 

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