अणु, परमाणु एवं परमाणु संरचना
अणु (Molecule)
अणु किसी पदार्थ का वह छोटा से छोटा भाग हैं जिसमें पदार्थ के सभी गुण उपस्थित होते हैं यह मुक्त अवस्था में रह सकता है। ये दो प्रकार के होते हैं-
समपरमाणुक (Homoatomic )
- ये अणु तत्त्वों से मिलकर बने होते है। जैसे H "किसी अणु में उपस्थित कुल परमाणुओं की संख्या को परमाणुकता कहते है ।"
विषमपरमाणुक (Hetero Atomic )
- ये अणु विभिन्न प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। जैसे Hcl, Co., H. So, आदि।
परमाणु (Atom)
परमाणु किसी तत्त्व का वह सूक्ष्म भाग है जो किसी भी रासायनिक
परिवर्तन में भाग ले सकता हैं, परन्तु
मुक्तावस्था में नहीं रह सकता। सभी तत्त्वों के परमाणु अत्याधिक क्रियाशील होते
हैं लेकिन ये मुक्त अवस्था में न रहकर, अपने
ही यौगिक के किसी दूसरे या समान तत्त्व के साथ संयुक्त अवस्था में रहते है। केवल
आदर्श गैसों के परमाणु अक्रियाशील होते हैं और मुक्त अवस्था में रह सकते हैं।
डाल्टन का परमाणुवाद
भारतीय रिषि कणाद ( 800 ई.) ने सर्वप्रथम परमाणु सिद्धान्त दिया जिसे यूनानी दार्शनिकों लूसिपस तथा डिमोक्राइटिस, ने आगे बढ़ाया और 1808 ई. में जान डाल्टन ने प्रयोगों द्वारा इसकी पुष्टि की।
डाल्टन का परमाणुवाद निम्नवत् है-
- प्रत्येक पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं। परमाणु अविभाज्य होता है। परमाणु न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट
- एक ही तत्त्व के सभी परमाणु आकार, द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणों में समान होते हैं किंतु दूसरे तत्त्व के परमाणु से भिन्न होते हैं। रासायनिक परिवर्तनों में परमाणु अपनी निजी सत्ता बनायें रखते है।
- किसी भी यौगिक के समस्त यौगिक परमाणु (अणु) आपस में समान होते हैं और तत्त्व का संयोजन भार ही परमाणुओं का संयोजन भार होता है। डाल्टन के परमाणुवाद की कमियों को दूर कर आधुनिक परमाणुवाद का सिद्धान्त दिया। जो परमाणु की विभाज्यता, समस्थानिक, समभारी आदि को व्याख्यित कर सका।
परमाणु की संरचना (Structure of Atom)
20 वीं सदी के पूर्व तक माना जाता था कि
परमाणु अविभाज्य हैं परन्तु जे. जे. टामसन, रदरफोर्ड, चैडविक आदि ने सिद्ध कर दिया कि परमाणु विभाजित
किया जा सकता है। परमाणु में इलेक्ट्रान, प्रोट्रान
एवं न्यूट्रान आदि स्थाई तथा | पाजिट्रान, न्यूट्रिनों, एन्टिन्यूट्रिनों तथा मेसान आदि अस्थाई कण होते है।
इलेक्ट्रान ( Electron)
- इलेक्ट्रान की खोज जे. जे. टामसन ने की थी। इस पर इकाई ऋणावेश होता है। इसका विराम द्रव्यमान 9.1X10 19 कूलॉम आवेश होता हैं ये परमाणु के नाभिक के चारों ओर अपनी निश्चित कक्षाओं में चक्कर काटते है।
1. प्रोट्रॉन (Protron )
- इसकी खोज रदरफोर्ड ने की थी। इस पर इलेक्ट्रान के आवेज़ के बराबर धनावेज़ होता है। इसका आवेश 1.6X10 " कूलॉम होता है। यह परमाणु के नाभिक में न्यूट्रान के साथ साथ स्थित होता है।
2. न्यूट्रॉन (Neutron )
- इसकी खोज चैडविक ने की थी। वह विद्युत उदासीन कण है। इसका भार प्रोटॉन के भार (1.6748X10 24) के बराबर होता हैं प्रोट्रॉन के साथ नाभिक में न्यूट्रान स्थायी होता है परन्तु नाभिक के बाहर स्वतंत्र अवस्था में अस्थायी होता है।
परमाणु मॉडल (Atomic Model)
(a) थॉमसन मॉडल
- 1903ई. में सर्वप्रथम थामसन ने परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया ( जिसके अनुसार परमाणु ठोंस गोलाकार आकृति के समान है जिसमें धनावेजित तथा ॠणावेजित कण समान रुप से वितरित रहते है। परमाणु का द्रव्यमान परमाणु के चारों ओर असमान रुप से फैला रहता है। थामसन के परमाणु मॉडल ने परमाणु की विद्युत उदासीनता को तो स्पष्ट कर दिया परन्तु अल्फाकण () के रदरफोर्ड के प्रयोग को स्पष्ट नहीं कर सका।
(b) रदरफोर्ड का मॉडल
- रदरफोर्ड ने 1911ई. (+) कणों के प्रकीर्णन प्रयोग से प्राप्त निष्कर्षो से परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया।
परमाणु की विशेषताएं
1. परमाणु अतिसूक्ष्म, गोलाकार, विद्युत उदासीन कण है। जो धनावेशित नाभिक और इसके बाहरी भारग जिसमें इलेक्ट्रान रहते हैं से बना है।
2. परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान केन्द्र में संचित रहता है जिसे नाभिक कहते है।
3. परमाणु में इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर धूमते रहते है।
4. परमाणु में इलेक्ट्रानों की संख्या परमाणु नाभिक पर स्थित धनावेज़ों की संख्या के बराबर होती है। इसीलिए परमाणु उदासीन होते है।
5. इलेक्ट्रानों पर नाभिक आकर्षण बल आरोपित करता
है। इलेक्ट्रानों के परिक्रमण से उत्पन्न अपकेन्द्र बल नाभिक के आकर्षण बल को
सन्तुलित करता है इससे इलेक्ट्रान नाभिक में नहीं गिरता है।
नील्स बोर ने 1913ई. में रदरफोर्ड के दोषों को दूर कर नया मॉडल क्वांटम सिद्धान्त मॉडल दिया।
(ब) नील्स बोर मॉडल
बोर ने हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्याख्या कर क्वांटम मैकेनिकल मॉडल प्रस्तुत किया-
- परमाणु के केन्द्र में एक नाभिक होता है, जहां प्रोट्रॉन तथा न्यूट्रान स्थित होते है। नाभिक का आकार बहुत छोटा होता है।
- इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर एक निश्चित गोलाकार पथ में चक्कर लगाते रहते हैं जिन्हें ऊर्जा स्तर कहते है।
- नाभिक व इलेक्ट्रान के बीच में एक आकर्षण बल कार्य करता है, जो इलेक्ट्रान के अभिकेन्द्रीय बल के बराबर होता है। प्रत्येक ऊर्जा स्तर की एक निश्चित ऊर्जा होती है।
- ऊर्जा स्तरें को क्रमश: K., L, M, N ( 1. 2. 3. 4 ) कहते है।
- जब एक इलेक्ट्रान उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आता है या निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में जाता है। तो इसमें ऊर्जा परिवर्तन होता हैं निम्न कक्षा से उच्च में जाने पर ऊर्जा का अवशोषण तथा उच्च से निम्न में जाने पर ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
- इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर केवल उन्हीं कक्षाओं में घुम सकता है। जिनमें उसका कोणीय संवेग (mvr) n/2A का सरल गुणांक होता है।
अर्थात् mvr = nn/2A
जहां
- n मुख्य क्वांटम संख्या = 1, 2, 3 या 4
- v इलेक्ट्रान का वेग,
- r कक्षा की त्रिज्या
- m इलेक्ट्रान का द्रव्यमान,
- प्लांक नियतांक ।