बोर-ब्यूरी योजना ऑफबाऊ नियम पाउली का अपवर्जन नियम
बोर-ब्यूरी योजना
- परमाणु में इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में धूमते रहते है। नील्स बोर तथा बरी ने परमाणु की विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रानों की संख्या ज्ञात करने के कुछ नियम बनाये जिसे बोर बरी योजना कहते है.
- किसी कक्षा में इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या 2n होती है। जहां n कक्षा की संख्या है। परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में 8 से अधिक तथा इससे पहली वाली कक्षा में 18 से अधिक इलेक्ट्रान नहीं हो सकते है। .
- आवश्यक नहीं है कि किसी कक्षा में इलेक्ट्रानों की संख्या 2n के अनुसार पूर्ण होने पर ही इलेक्ट्रान उससे अगली कक्षा में जायेगें, अपितु जब बाह्य कक्षा में 8 इलेक्ट्रान हो जाते है। तो इलेक्ट्रान नयी कक्षा में प्रवेश करना प्रारम्भ कर देते है।
- सबसे बाहरी कक्षा में 2 से अधिक तथा उससे पहले वाली कक्षा में 9 से अधिक इलेक्ट्रान तब तक नहीं हो सकते जब तक कि बाहर से तीसरी कक्षा में इलेक्ट्रान की संख्या 2n के अनुसार पूरी न हो जाये। इस नियम से किसी तत्त्व का परमाणु क्रमांक तथा परमाणु भार ज्ञात होने पर उस तत्त्व की परमाणु संरचना ज्ञात की जा सकती है। इस नियम के कुछ तत्त्व अपवाद है। जैसे कॉपर, सिल्वर, सोना, क्रोमियम आदि।
कोष (Shell)
- इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर निञ्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते है। इलेक्ट्रान तब तक इन कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते है। जब तक वे ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं करते है। इन कक्षाओं को मुख्य ऊर्जा स्तर (Major Energy Level) या कोश कहते है। इन कक्षाओं को KLMN1, 2, 3, 4 से प्रदर्शित किया जाता है। प्रत्येक कोज़ में अधिकतम इलेक्ट्रानों की 2n संख्या होती है। जहां n कोश संख्या है। आधुनिक परमाणु मॉडल के आधार पर इन्हें मुख्य क्वांटम संख्या कहते है।
उपकोष ( Sub Shell)
- प्रत्येक कोश या मुख्य ऊर्जा स्तर की ऊर्जाएं समान नहीं होती हैं, कोषों को पुनः छोटे छोटे कोषों में विभाजित किया गया है। जिन्हें उपकोष कहते हैं इन्हें क्रमश: s, p, d, r अक्षरों से प्रदर्षित करते हैं। प्रथम कोष को एक, द्वितीय को दो, तष्टतीय को तीन तथा चतुर्थ को चार उपकोज़ों में विभाजित किया गया है।
कक्षक (Orbital)
किसी परमाणु के नाभिक के चारों ओर का वह त्रिविमीय क्षेत्र जहां इलेक्ट्रान पाये जाने की सम्भावना अधिकतम होती है कक्षक कहलाता है।
नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रान तीव्र गति से परिक्रमा करते है। इस कारण नाभिक के आस पास ऋणात्मक विद्युत आवेज का एक धुंधला बादल सा बन जाता है, जिसे 'इलेक्ट्रान मेध' (Electron Cloud ) कहते है। इलेक्ट्रान मेघ में ही इलेक्ट्रान के पाये जाने की प्रायिकता अधिक होती है।
ऑफबाऊ नियम (Autbou Principle)
- ऑफबाऊ जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अभिप्राय बनाना या रचना करना है। तत्त्वों के इलेक्ट्रानिक विन्यास बनाने का नियम ऑफ बाऊ नियम कहलाता है। इस नियम के अनुसार किसी भी परमाणु में उपस्थित विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रान ऊर्जा के बढ़ते क्रम में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रान सर्वप्रथम 15 कक्षक में प्रवेश करते हैं और जब 1s कक्षक पूर्ण हो जाता है। तो इलेक्ट्रान 2s कक्षक में प्रवेश करते हैं जब 25 कक्षक भी पूर्ण हो जाता है तो इलेक्ट्रान 2p कक्षक में प्रवेश करते है। इस प्रकार इलेक्ट्रान ऊर्जा के बढ़ते हुए क्रम में रिक्त कक्षकों में प्रवेश करते है।
पाउली का अपवर्जन नियम
- इसके अनुसार किसी परमाणु के किसी भी दो इलेक्ट्रानों के लिए चारों क्वांटम संख्याओं का मान एक समान नहीं हो सकता। यदि किसी पर बाकी तीनों क्वाटम संख्याओं का मान समान हो भी जाय, फिर भी स्पिन क्वांटम संख्या का मान (+1/2 व 1/2 ) समान नहीं हो सकता।
हुण्ड का नियम
- इसके अनुसार किसी भी आर्बिटल में इलेक्ट्रान इस प्रकार भरते हैं कि अयुग्मित इलेक्ट्रानों की संख्या जिनके स्पिन समान हो सबसे अधिक है अर्थात् किसी भी आर्बिटल के उपकोशों में इलेक्ट्रान सर्वप्रथम एक एक करके जाते हैं तथा बाद में युग्म बनाते हैं।
- वे परमाणु जिनमें इलेक्ट्रान अयुग्मित रहते हैं वे पराचुम्बकीय तथा वे परमाणु जिनमें इलेक्ट्रान युग्मित रहते हैं अनुचुम्बकीय कहलाते है।
- किसी धातु की सतह को प्रकाश के समक्ष रखने पर होने वाला इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन प्रकाश विद्युत प्रभाव कहलाता है, उत्सर्जित इलेक्ट्रानों को फोटों इलेक्ट्रान कहते है ।
- वह न्यूनतम विभव जिस पर फोटों विद्युत धारा शून्य हो जाती है, प्रतिरोधक विभव कहलाता है।