तंत्रिका ऊतक-तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) | Nervous tissue Details in Hindi

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तंत्रिका ऊतक-तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) (Nervous tissue Details in Hindi)

तंत्रिका ऊतक-तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)  | Nervous tissue Details in Hindi


तंत्रिका ऊतक (Nervous tissue)

 

तंत्रिका ऊतक विशेष रूप से शरीर के बाहर एवं अन्दर से संवेदनों को ग्रहण करता हैउत्तेजित होने पर यह ऊतक अन्य ऊतकों तक आवेगों को शीघ्रता से ले जाता है। तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिका (Nerve cell) तथा उनके प्रिवर्धित तन्तुओं (Nerve fibres) से मिलकर बनते हैं। इन दोनों के अतिरिक्त तंत्रिका कोशिकाओं को सहारा देने के लिए कुछ तंत्रिका बन्ध (Neuroglia) नामक संयोजी ऊतक भी रहते हैं। एक तंत्रिका कोशिका अपने समस्त प्रवर्धित तन्तुओं सहित न्यूरॉन (Neuron) कहलाती है। न्यूरॉन ही तन्त्रिका तन्त्र की कार्यात्मक एवं रचनात्मक इकाई होती है। 


प्रत्येक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) के मुख्यतः निम्न दो भाग होते हैं-

 

1. कोशिका काय (Cell body) 

2. प्रवर्ध (Processes) - (i) अक्षतन्तु ( Axon ) (ii) पार्श्वतन्तु (Dendrites )

 

(1) कोशिका काय (Cell body)

 

  • तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) में एक बड़ा तथा अनियमित आकार का कोशिका काय (Cell body) होता हैजिसके मध्य में एक बड़ा न्यूक्लियस होता हैं इसके बाहर कणिकामय साइटोप्लाज्म रहता है। कोशिका काय में कई छोटे-छोटे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें पार्श्वतन्तु (Dendrite) एवं अक्षतन्तु ( Axon) कहते हैं । इन्हीं के द्वारा तन्त्रिका आवेग कोशिका काय तक पहुँचते हैं अथवा उससे बाहर निकलते हैं।

 

(2) प्रवर्ध ( Processes) 


(i) अक्षतन्तु ( Axon )

 

  • अक्षतन्तु (एक्सॉन) चालक और अपवाही प्रवर्ध (Eferent process) होता है तथा तन्त्रिका आवेगों को कोशिका काय से दूर ले जाता है। इसका उद्गम न्यूरॉन की कोशिका काय के विशेष स्थान (Axon-Hillock), से होता हैतथा प्रायः काफी लम्बा तथा एकाकी होता है .

 

  • अक्षतन्तु या एक्सॉन में चारों ओर एक पतली झिल्ली होती हैजिसे एक्सोलेमा कहते हैं। यह कोशिका काय के साइटोप्लाज्म के पसार को बन्द किए होती है। एक्सॉन माइलिन से युक्त या माइलिन रहितदो प्रकार का होता है। बड़े तथा परिसरीय तन्त्रिकाओं के एक्सॉनों के ऊपर श्वेत वसीय पदार्थ माइलिन का आवरण चढ़ा होता है। इसमें एक्सॉन की लम्बाई में व्यवस्थित स्कवैन कोशिकाओं की एक श्रृंखला होती है। स्कवैन कोशिका की सबसे बाहरी परत को न्त्रिकावरण या न्यूरिलेमा (Neurilema) कहा जाता है। माइलिन बीच-बीच में संकुचित होकर विभाजित हो जाता है। विभाजन के स्थान को नोड ऑफ रैन्वियर कहते हैं । ये तन्त्रिका आवेगों को शीघ्रता से संचारित होने में सहायता करते हैं। गण्डिकापश्च (Postganglionic ) तन्तु तथा केन्द्रिय तन्त्रिका तन्त्र में कुछ छोटे तन्तु माइलिन रहित होते हैं ।

 

(ii) पार्श्वतन्तु (Dendrite)

 

  • पार्श्वतन्तु (डैण्ड्राइट) सांवेदनिक तथा अभिवाही प्रवर्ध ( Afferent process) होते हैं। इनमें निसल कणिका (Nissl's granules) विद्यमान रहते हैं। जबकि ये एक्सॉन में नहीं होते हैं। इस प्रकार के तन्तु बहुत छोटे होते हैंपरन्तु इनमें से बहुत-सी शाखाएँ फूटती हैं। तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) में इनकी संख्या भिन्न-भिन्न होती है।

 

  • तन्त्रिका कोशिका में कई ध्रुव रहते हैं । इनके अनुसार ही इनके नाम होते हैं। जब इसमें एक भी ध्रुव नहीं रहता हैतो यह अध्रुवीय (Apolar) कहलाता हैं एक ध्रुव वाले को एकध्रुवीय (Unipolar) कहते हैंदो ध्रुव वाले को द्विध्रुवीय ( Bipolar) तथा अनेक ध्रुवों वाले को बहुध्रुवीय (Multipolar) कहते हैं । प्रत्येक प्रकार की कोशिका में एक एक्सॉन अवश्य रहता है। शेष सभी डेण्ड्राइट होते हैं ।

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