नाभिकीय ऊर्जा
नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं
नाभिकीय विखण्डन तथा नाभिकीय संलयन क्रिया में मुक्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) कहते है।
नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग
1. नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत शक्ति पैदा करने में किया जाता है।
2. यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करके इसका उपयोग मोटर, रेल तथा जहाज आदि चलाने में किया जाता है।
3. नाभिकीय रिएक्टर द्वारा नाभिकीय विखण्डन को नियन्त्रित करके अनेक रेडियों ऐक्टिव समस्थानिक बनाये गये है, जिनका उपयोग चिकित्सा, विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक खोजों तथा कृषि के क्षेत्र में किया जाता है।
जीवाश्म ईंधन की तुलना में नाभिकीय ऊर्जा के लाभ तथा हानि
1. नाभिकीय ईंधन की थोड़ी सी मात्रा अत्यधिक नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करती है, जबकि जीवाश्म ईंधन, जैसे कोयले के दहन से प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा की तुलना में बहुत कम होती है।
2. नाभिकीय ऊर्जा द्वारा संचालित विद्युत संयन्त्र में बार बार नाभिकीय ईंधन डालने की आवश्यकता नहीं होती है। जबकि जीवाश्म ईंधन से चलने वाले बिजली घरों में कोयला ( जीवाश्म ईंधन) बार बार डालना पड़ता है।
2. जीवाश्म ईंधन की अपेक्षा नाभिकीय ऊर्जा की हानियां
3. नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में अनेक ऐसे उत्पाद उत्पन्न होते हैं, जिनसे हानिकारक रेडियो ऐक्टिव विकिरण (+ किरणें, किरणें, किरणें) निकलते है। इन विकिरणों की भेदन क्षमता बहुत अधिक होती है। यह अत्यधिक मात्रा में इन विकिरणों से मानव शरीर उद्भासित (Expose) हो जाये, तो मानव शरीर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। इसके विपरीत जीवाश्म ईधनों, जैसे कोयले के उपयोग से उत्पन्न प्रदूषण इतना अधिक हानिकारक नहीं होता है।
4. नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में उत्पन्न नाभिकीय अपशिष्ट पदार्थों (Nuclear Wastes ) का निपटान करना ( Disposal) आसान नहीं है, क्योंकि ये नाभिकीय अपशिष्ट पदार्थ रेडियो ऐक्टिव होते हैं, जो हानिकारक विकिरण उत्पन्न करते है। इसके विपरीत जीवाश्म ईंधनों के उपयोग से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों (जैसे कोयले के उपयोग से उत्पन्न राख) के निपटान की कोई विशेष समस्या नहीं है ।