प्राणि जगत प्रश्न उत्तर | Animal Kingdom 11th Class Question Answer

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 प्राणि जगत प्रश्न उत्तर  (Animal Kingdom 11th Class Question Answer)

प्राणि जगत प्रश्न उत्तर | Animal Kingdom 11th Class Question Answer



प्राणि जगत प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. यदि मूलभूत लक्षण ज्ञात न हों तो प्राणियों के वर्गीकरण में आप क्या परेशानियाँ महसूस करेंगे? 

उत्तर- 1. यदि मूलभूत लक्षण ज्ञात नहीं हैं तब सभी जीवों का पृथक रूप से अध्ययन करना सम्भव नहीं होगा। 

2. जीवों के मध्य परस्पर सम्बन्ध स्थापित करना कठिन होगा। 

3. एक वर्ग के सभी जन्तुओं की केवल एक या दो जीवों के अध्ययन से जानकारी प्राप्त करना सम्भव नहीं होगा। 

4. अन्य जन्तु जातियों का विकास नहीं किया जा सकता !


प्रश्न 2. यदि आपको एक नमूना (specimen) दे दिया जाये तो वर्गीकरण हेतु आप क्या कदम अपनाएँगे

उत्तर- 1. संगठन के स्तर ( levels or grades of organisation) 

2. संगठन का पैटर्न (patterns in organisation) 

3. सममिति 

4. द्विकोरिक तथा त्रिकोरिक संगठन ( diploblastic and triploblastic organisation) 

5. देहगुहा (body cavity) तथा प्रगुहा (coelom) 

6. खण्डीभवन (segmentation)

 

प्रश्न 3. देहगुहा एवं प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक होता है?

उत्तर - देहभित्ति एवं कूटगुहा (pseudocoelom) के बीच प्रगुहा की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति वर्गीकरण के लिए विशेष प्रयोजनीय है। देहगुहा जब मीसोडर्म से स्तरित रहता है तब इसे सीलोम (coelom) कहते हैं। जिन जन्तुओं में सीलोम उपस्थित रहता है उन्हें सीलोंमेटा (coelomata) कहते हैं, जैसे एनेलिडा, मोलस्का, आर्थ्रोपोडा, इकाइनोडमेंटा, हेमीकॉर्डेटा कॉडेंटा। कुछ जन्तुओं में देहगुहा मीसोडर्म द्वारा स्तरित नहीं होती, लेकिन एक्टोडर्म एवं एण्डोडर्म के बीच छोटी-छोटी गोलाकार आकृति में छितरा रहता है। इस तरह की देहगुहा को आहारनाल कहते हैं एवं उन जन्तुओं को स्यूडोसीलोमेटा (pseudocoelomata) कहते हैं, जैसे-- एस्केल्मिंथीज (Aschelminthes)। जिन जन्तुओं अनुपस्थित रहती है उन्हें एसीलोमेट्स (acoelomates) कहते हैंजैसेप्लेटीहेल्मिंथीज (Platyhelminthes) । 


प्रश्न 4. अन्तः कोशिकीय एवं बाह्य कोशिकीय पाचन में विभेद करें। 

उत्तर - अन्तः कोशिकीय एवं बाह्य कोशिकीय पाचन में निम्नलिखित अन्तर हैं-

अन्तः कोशिकीय पाचन

  • पाचन कोशिका के अन्दर होता है। के
  • केवल कुछ एन्जाइम पाचन में भाग लेते हैं।
  • पाचन कम क्षमतायुक्त (less efficient) होता है। उदाहरण- अमीबा (Amoeba)

 

बाह्य कोशिकीय पाचन 

  • पाचन कोशिका के बाहर आहारनाल में होता है। 
  • बड़ी संख्या में पाचक ग्रन्थियाँ एवं एन्जाइम पाचन में भाग लेते हैं। 
  • पाचन अधिक क्षमतायुक्त (more efficient) होता है। उदाहरण-मनुष्य (Man)

 

प्रश्न 5. प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन में क्या अन्तर है? 

उत्तर- प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन में निम्नलिखित अन्तर हैं

 

प्रत्यक्ष परिवर्धन

  •  प्रत्यक्ष परिवर्धन में शिशु वयस्कों के समान होते हैं।
  • मध्यावस्था (intermediate stage) नहीं पायी जाती है।
  • लार्वा (larva) नहीं पाया जाता है। उदाहरण-हाइड्राकेंचुआमनुष्य

'अप्रत्यक्ष परिवर्धन 

 अप्रत्यक्ष परिवर्धन में शिशु, वयस्कों के समान नहीं होते हैं।  

वयस्क बनने से पूर्व शिशु एक या अधिक मध्यावस्थाओं | (Intermediate stages) से गुजरता है। 

लार्वा (larva) पाया जाता है। उदाहरण-मेंढक, घरेलू मक्खी, रेशमकीट

 

प्रश्न 6. परजीवी प्लेटीहेल्मिंधीज के विशेष लक्षण बताइए । 

उत्तर- 1. टेगुमेन्ट (tegument) का मोटा स्तर उपस्थित 

2. पोषक (host) के शरीर में ऊतकों से चिपकने के लिये चूषक (suckers) और प्राय: कंटक या अंकुश (spines or hooks) उपस्थित । 

3. चलन अंग (locomotory organs) अनुपस्थित | 

4. कुछ चपटे कृमि खाद्य पदार्थ को परपोषी से सीधे अपने शरीर की सतह से अवशोषित करते हैं। 

5. जनन तन्त्र (reproductive पूर्ण विकसित होता है। 

6. प्रायः अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) पाया जाता है।

 

प्रश्न 7. आर्थ्रोपोडा प्राणी समूह का सबसे बड़ा वर्ग है। इस कथन के प्रमुख कारण बताइए। 

उत्तर- 1. सुरक्षा के लिए क्युटिकल (cuticle) की उपस्थिति । 

2. पेशी तन्त्र गमन में सहायक । 

3. कीटों में श्वसनलियों द्वारा श्वसन (tracheal respiration) से सीधे ऑक्सीजन प्राप्त होती है। 

4. संधियुक्त उपांगों (jointed appendages) द्वारा विभिन्न कार्य सम्भव होते हैं।

5. तन्त्रिका तन्त्र (nervous system) तथा संवेदी अंग (sense organs) विकसित होते हैं। 

6. संचार हेतु फेरोमोन्स (pheromones) पाये जाते हैं।

 

प्रश्न 8. जल संवहन तन्त्र किस वर्ग का मुख्य लक्षण है-

 (a) पोरीफेरा, (b) टीनोफोरा, (c) इकाइनोडर्मेटा, (d) कॉर्डेटा

उत्तर- (c) इकाइनोडमेंटा।

 

प्रश्न 9. सभी कशेरुकी (vertebrates) रज्जुकी (chordates) हैं लेकिन सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं हैं। इस कथन को सिद्ध कीजिए। 

उत्तर - सभी कॉडेंट्स (chordates) में पृष्ठ रज्जु (notochord) पायी जाती है। कॉडेंट्स के अन्तर्गत यूरोकॉडेंटा तथा सेफैलोकॉर्डेटा (दोनों को प्रोटोकॉर्डेटा कहा जाता है) तथा वर्टीब्रेटा सम्मिलित हैं।

 

कशेरुकियों (vertebrates) में पृष्ठ रज्जु (notochord) भ्रूणीय अवस्था में पायी जाती है। वयस्क अवस्था में पृष्ठ रज्जु अस्थिल अथवा उपास्थिल मेरुदंड (backbone) में परिवर्तित हो जाती है। यद्यपि प्रोटोकॉडेंटस में वर्टिब्रल कॉलम (vertibral columnn) नहीं पायी जाती है। अतः कशेरुकी (vertebrates) रज्जुकी (chordates) भी हैं, परन्तु सभी रज्जुकी, कशेरुकी नहीं हैं।

 

प्रश्न 10. मछलियों में वायु आशय (air bladders) की उपस्थिति का क्या महत्त्व है?.

उत्तर - मछलियों में वायु कोष / आशय (air bladders) उत्प्लावन (buoyancy) में सहायक होते हैं। इनकी सहायता से मछलियाँ जल में तैरती हैं। वायु कोष इन्हें जल में डूबने से बचाते हैं। वायु कोष वर्ग ओस्टिक्थीज (osteichthyes) में पाये जाते हैं जबकि वर्ग कॉन्ड्रीक्थीज (chondrichthyes) में अनुपस्थित होते हैं। जिन मछलियों में वायु कोष नहीं होते हैं उन्हें जल में डूबने से बचने के लिये लगातार तैरना पड़ता है।

 

प्रश्न 11. पक्षियों में उड़ने हेतु क्या-क्या रूपान्तरण है

उत्तर- 1. अग्रपाद (forelimbs) रूपान्तरित होकर पंख बनाते हैं। 

2. अन्तः कंकाल की लम्बी अस्थियाँ खोखली तथा वायुकोष युक्त होती हैं, जिससे शरीर हल्का रहता है। 

3. मूत्राशय (urinary bladder) अनुपस्थित होता है। 

4. उड़ने में सहायक पेशियाँ (flight muscles) विकसित होती हैं।

 

प्रश्न 12. क्या अण्डजनक तथा जरायुज द्वारा उत्पन्न अण्डे या बच्चे संख्या में बराबर होते हैं? यदि हाँ तो क्यों? यदि नहीं तो क्यों? 

उत्तरनहीं, अण्डजनक ( oviparous) जन्तुओं में अण्डे से बच्चा मादा शरीर के बाहर अर्थात् बाह्य वातावरण में विकसित होता है। अतः बहुत से अण्डों के नष्ट होने की संभावना होती है। इसलिए ये जन्तु अधिक संख्या में अण्डे देते हैं। जरायुज (viviparous) जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा शरीर के अन्दर होता है। अतः केवल 1 या कुछ बच्चे ही उत्पन्न होते हैं।

 

प्रश्न 15. मनुष्यों पर पाये जाने वाले कुछ परजीवियों के नाम लिखिए।

 

उत्तर- टीनिया (फीताकृमि) 

एस्केरिस (गोलकृमि) 

वुचेरेरिया (फाइलेरिया कृमि) 

एनसाइकोस्टोमा (अंकुश कृमि) 

ट्राइचुरिस (व्हीप कृमि) 

ड्रेकुनकुलस (गुइनिया कृमि) 

पेडीकूलस (जूं)

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