जीवों का वर्गीकरण- तीन-जगत वर्गीकरण
जीवों का वर्गीकरण- तीन-जगत वर्गीकरण (Three-king-dom classification ) -
➽ सूक्ष्मजीवों के बारे में बढ़ती जानकारी से उत्पन्न भ्रम के समाधान हेतु जर्मन के जन्तु वैज्ञानिक ई. हेकल (F. Haeckel. 1886) ने एक तृतीय जगत की स्थापना की। इस जगत का नाम प्रोटिस्टा (Protista, Gr. protistos = primitive) रखा। इस जगत में सभी एककोशिकीय जीवाणुओं, कपकों, शैवाले एवं प्रोटोजोअन्स जैसे जीवों को रखा गया। विषाणुओं की उस समय तक खोज नहीं हुई थी अतः इन्हें इस जगत में सम्मिलित नहीं किया गया। यह वर्गीकरण आदिम प्रोटिस्ट्स (Primitive protists) का उनके उन्नत रूपों से विभेदन स्पष्ट करने में असफल रहा। ।
चार-जगत वर्गीकरण (Four-kingdom classification ) -
प्रोटिस्ट्स (Protists) की समस्या को सुलझाने हेतु एच. एफ. कोपलैण्ड (H. F. Copeland, 1956) चार-जगत वर्गीकरण प्रस्तुत वर्गीकरण में जीवों को चार जगतों में विभाजित किया गया है-
1. जगत-मोनेरा (Kingdom Monera) -
इसके अन्तर्गत प्रोकैरियोटिक जीवों जैसे-जीवाणुओं, नीलहरित शैवाल आदि को रखा गया है।
2. जगत- प्रोटोटिस्टा अथवा प्रोटिस्टा (Kingdom- |Protectista or Protista)-
इसके अन्तर्गत निम्न श्रेणी के एककोशिकीय अथवा बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों; जैसे- शैवाल (नील हरित शैवाल को छोड़कर) प्रोटोजोअन्स, कवक आदि को रखा गया है।
3. जगत मेडाफाइडा (Kingdom Metaphyta)-
इसके अन्तर्गत उच्च श्रेणी के बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों, जिनकी कोशिकाओं में कोशिका भित्ति एवं क्लोरोफिल तथा इनमें अवशोषण के लिये जड़ें उपस्थित थीं, जैसे-स्थलीय एवं जलीय पादप आदि को रखा गया है।
14. मेटाजोआ (Kingdom Metazoa) -
इसके अन्तर्गत बहुकोशिकीय जीवों, जिनमें कोशिका भित्ति एवं क्लोरोफिल का अभाव था, (जैसे- बहुकोशिकीय जन्तु) को रखा गया है।