प्रकाश-ऊर्जा के स्रोत के रूप में ,क्लोरोफिल का अवशोषण स्पेक्ट्रम
प्रकाश-ऊर्जा के स्रोत के रूप में
- प्रकृति में सूर्य को प्रकाश नाभिकीय उपकरण (Thermonuclear device) के रूप में जाना जाता है जो कि अन्तरिक्ष में ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा के रूप में विसर्जित करता है। इसके द्वारा विसर्जित विकिरण कई गुणों में भिन्नता रखता है क्योंकि इसमें उपस्थित विभिन्न रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य होता है।
- दृश्य प्रकाश का दृश्य स्पेक्ट्रम, 400mμ (नीले बैंगनी छोर) से 700 mu (लाल छोर) तरंगदैर्घ्य के मध्य होता है। सूर्य एवं अन्य प्रकाश स्रोत से विसर्जित होने वाला प्रकाश छोटे-छोटे असंतत (Discontinuous) कणों को सूक्ष्म धारा के रूप में प्रवाहित होता है जिसे फोटॉन (Photon) कहते हैं। प्रकाश के एक फोटॉन के द्वारा मुक्त ऊर्जा को क्वाण्टम (Quantum) कहते हैं तथा इसे hv द्वारा व्यक्त किया जाता है। रासायनिक अभिक्रियाओं में प्रकाश या विकिरण ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों के रूप में उपयोग की जाती है। एक इलेक्ट्रॉन एक फोटॉन का अवशोषण करता है। इलेक्ट्रॉनों में जैसे-जैसे ऊर्जा जुड़ती जाती है वैसे ही अणु रासायनिक रूप से क्रियाशील होता जाता है।
क्लोरोफिल का अवशोषण स्पेक्ट्रम
(ABSORPTION SPECTRUM OF CHLOROPHYLL)
- "क्लोरोफिल अणु के द्वारा विभिन्न तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश को अवशोषित करना उसका अवशोषण स्पेक्ट्रम कहलाता है।" इसका अध्ययन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर की सहायता से किया जाता है।
- पादप वर्णकों द्वारा प्रकाश के सभी तरंगदैष्यों का अवशोषण नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिये क्लोरोफिल का अगु विशिष्ट तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश की किरणों को ही अवशोषित करता है। यदि क्लोरोफिल के विलयन को सूर्य प्रकाश के मार्ग में रखा जाता है तो स्पेक्ट्रोस्कोप द्वारा देखने पर पता चलता है कि यह प्रकाश के केवल विशिष्ट तरंगदैथ्यों का हो अवशोषण करता है। विलयन के द्वारा अवशोषित किये गये प्रकाश के स्पेक्ट्रम का भाग गहरे रंग के बैण्ड के रूप में दिखाई देता है।
- यही क्लोरोफिल का अवशोषण स्पेक्ट्रम होता है। क्लोरोफिल-a ईथर के विलयन में प्रकाश के लाल एवं बैंगनी भाग में सबसे गहरा अवशोषण बैण्ड प्रदर्शित करता है। यह 662 nm वाले लाल भाग एवं 435 nm वाले बैंगनी भाग में सर्वाधिक अवशोषण प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार क्लोरोफिल-b, 642nm एवं 453 nm पर सर्वाधिक अवशोषण प्रदर्शित करता है। कैरोटिनॉइड वर्णक में अधिकतम अवशोषण 449 से 490 nm तरंगदैर्घ्य पर तथा जैन्थोफिल 440nm 490 nm तरंगदैर्घ्य पर सर्वाधिक अवशोषण प्रदर्शित करता है।
क्लोरोफिल का एक्शन स्पेक्ट्रम (Action Spectrum of Chiorophyll)
"प्रकाश की विभिन्न तरंगदैर्घ्य का हरे पौधों के प्रकाश- संश्लेषण की क्रिया में पड़ने वाला प्रभाव एक्शन स्पेक्ट्रम कहलाता है ।"
- प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाशीय रूप में सक्रिय क्रिया एवं उसमें भाग लेने वाले वर्णक की सहायता से एक्शन स्पेक्ट्रम तैयार किया जाता है। वास्तव में एक्शन स्पेक्ट्रम प्रकाश की विभिन्न तरंगदैयों का एक ऐसा ग्राफ होता है जो कि प्रक्रिया में प्रभावी होता है। जब प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के अवशोषण स्पेक्ट्रम एवं एक्शन स्पेक्ट्रम की तुलना की जाती है तो दोनों में एक घनिष्ठ समानता दिखाई देती है। इससे इस बात का ज्ञान होता है। कि क्लोरोफिल ही प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में प्रकाश का अवशोषण करने वाला प्रमुख वर्णक होता है।
अवशोषण स्पेक्ट्रम एवं एक्शन स्पेक्ट्रम में अन्तर
अवशोषण स्पेक्ट्रम (Absorption spectrum)
1. यह किसी वर्णक द्वारा विभिन्न तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश को क्रिया अवशोषित करना अवशोषण स्पेक्ट्रम कहलाता है।
2. यह वर्णकों द्वारा विभिन्न तरंगदैर्घ्य के प्रकाश की अवशोषित मात्रा का ग्राफीय निरूपण है।
3. इसका अध्ययन प्रत्यक्ष रूप से होता है।
4. इसके लिए पौधे का प्रकाश में एक बार अनावरत् करने आवश्यकता होती है।
एक्शन स्पेक्ट्रम (Action spectrum)
1. प्रकाश की विभिन्न तरंगदैघ्यों का प्रकाश-संश्लेषण की पर पड़ने वाला प्रभाव एक्शन स्पेक्ट्रम कहलाता है।
2. यह प्रकाश के विभिन्न तरंगदैर्घ्यं पर प्रकाश- - संश्लेषण की दर का ग्राफीय निरूपण है.
3. इसका अध्ययन निष्कासित O2 या अवशोषित CO2 के प्रेरिपक्ष्य में किया जाता है ।
4. इसके लिए प्रकाश के विभिन्न तरंगदैयों की आवश्यकता होती है।
प्रकाश संश्लेषक इकाई क्वाण्टासोम
- इमरसन एवं एण्डरसन के अनुसार "वर्णकों एवं उससे सम्बन्धित यौगिकों की वह कम से कम संख्या जिसमें एक क्वाण्टम को परिवर्तित करने की क्षमता होती है अर्थात् ऑक्सीजन के एक अणु के निष्कासन की क्षमता होती है, उसे प्रकाश-संश्लेषक एकक कहते हैं ।" इमरसन एवं एण्डरसन के अनुसार, एक प्रकाश संश्लेषक एकक में लगभग 2500 क्लोरोफिल के अणु पाये जाते हैं। बिगिन्स (Biggins, 1947) के अनुसार, एक प्रकाश संश्लेषक एकक में 230 क्लोरोफिल पाये जाते हैं। प्रकाश- संस्लेषक एककों का आकार सभी पौधों में एक समान नहीं होता है। श्मिड एवं गैफ्रॉन (Schmid and Gaffron, 1971) के अनुसार, उच्चवर्गीय पौधों में CO2 के प्रत्येक अणु को स्थिर करने के लिये क्लोरोफिल के 300 से 5000 अणु आवश्यक होते हैं।
- पार्क एवं बिगिन्स (Park and Biggins, 1964) ने ग्रैनम डिस्क (Granum disc) की इकाई झिल्ली में उपस्थित प्रकाश-संश्लेषक इकाइयों को ही क्वाण्टासोम (Quanta- some) नाम दिया। ये प्रकाश-संश्लेषी लैमिली (Lamel- lae) की आन्तरिक झिल्ली (Inner membrane) में उपस्थित 200 Å व्यास (Diameter) तथा 100 A मोटाई वाले छोटे कण होते हैं। एक क्वान्टासोम का आण्विक भार (Molecular weight) लगभग 9,60,000 होता है।
आधुनिक खोजों के अनुसार एक प्रकाश-संश्लेषक एकक में वर्णकों एवं अन्य अणुओं की संख्या निम्नानुसार होती है-
1. क्लोरोफिल की संख्या = 2500 (इमरसन एवं एण्डरसन के अनुसार )
2. द्वितीय तन्त्र के ऑक्सीकारकों में Z (अज्ञात पदार्थ) कण्डेन्सेशन सेण्टर के रूप में Q (क्विनोन ) एवं प्लास्टोक्विनोन - A आदि समान संख्या में (लगभग 8 अणु प्रत्येक यूनिट में) ।
3. सायटोक्रोम- f (Cyt-f)– प्लास्टोसायनिन एवं P 700 प्रत्येक 400 से 600 क्लोरोफिल के अणुओं में इनकी संख्या एक-एक होती है तथा प्रत्येक इकाई में इनकी संख्या लगभग 8 होती है।
4. सायटोक्रोम-b (Cyt-b)—- इनकी संख्या प्लास्टोसायनिन, P 700 एवं Cyt-f से दुगुनी होती है तथा Z, Q एवं A की 1/8 होती है। प्रकाश-संश्लेषक इकाई में प्रकाश को ग्रहण करने वाले विभिन्न प्रकार के वर्णकों के अणु विभिन्न तरंगदैष्यों वाले प्रकाश को अवशोषित करके उसे एक अणु से दूसरे अणु में स्थानान्तरित करते हैं। अन्त में यह प्रकाश ऊर्जा प्रथम वर्णक तंत्र (PS-I) में उपस्थित क्लोरोफिल-a के विशिष्ट रूप PI700 को तथा PS-II में उपस्थित क्लोरोफिल के विशिष्ट रूप P-11680 में स्थानान्तरित हो जाती है। ये विशिष्ट प्रकार के वर्णक दोनों वर्णक तंत्रों में अभिक्रिया केन्द्र (Reaction Centre) का कार्य करते हैं जो कि क्रमश: 700 एवं 680 nm तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश को अवशोषित करते हैं।
क्वाण्टासोम के कार्य (Functions Quantasomes)
क्वाण्टासोम सौर ऊर्जा (Solar energy) के फोटॉन (Photons) को पकड़ते हैं तथा प्रकाश संश्लेषण क्रिया को प्रकाश अभिक्रिया को पूर्ण करते हैं।