कैसुलेशन अम्ल उपापचय चक्र (CAM Cycle in Hindi)
कैसुलेशन अम्ल उपापचय चक्र या
- CAM चक्र क्रेसुलेसी (Crassulaceae) कुल के मांसल पौधों (Succulent plants) में पाया जाता है। इसकी खोज रुहानी एवं सहयोगियों (Rauhani ) ने की थी।
- अर्धशुष्क (Semiarid) परिस्थितियों में पाये जाने वाले मांसल पौधों (Succulent plants) में CO2 का यौगिकीकरण रात्रि (अन्धकार) में होता है। ऐसे पौधों में रन्ध्र (Stomata) रात्रि में खुलते हैं तथा रात्रि में हो ये पौधे CO2 को अवशोषित कर लेते हैं तथा उसे मैलिक अम्ल (Malic acid) के रूप में रिक्तिकाओं में एकत्रित कर लेते हैं। दिन में मैलिक अम्ल का डीकार्बोक्सिलेशन (Decarboxylation) होता है और मुक्त हुई CO2, C3, चक्र के द्वारा उपयोग कर ली जाती है।
उदाहरण -
CAM चक्र निम्नलिखित कुल के मांसल पौधों (Succulent plants) में पाया जाता है- द्विबीजपत्री कुल (Dicot families) कैस्युलेसी (Crassulaceae) उदाहरण-सीडम, नागफनी (Opuntia), ऐजोएसी (Azoaceae), ऐस्क्लिपिएडेसी (Asclepiadaceae), कैरियोफिल्लसी (Caryophyllaceae), चीनोपोडिएसी (Chenopodiaceae), कम्पोजिटी (Compositae), कॉन्वॉल्वुलेसी (Convolvulaceae), यूफोर्विएसी (Euphorbiaceae), वाइटेसी (Vitaceae) आदि।
2. एकबीजपत्री कुल (Monocot families) लिलिएसी (Liliaceae), आकिंडेसी (Orchidaceae)।
3. टेरिडोफाइट्स (Pteriodophytes )—–पॉलिपोडिएसी (Polypodiaceae)।
CAM पौधों के लक्षण (Characteristic Features of CAM Plants))
CAM पौधों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं-
1. सामान्यतः C3 एवं C4 पौधों में रन्ध्र (Stomata) दिन में खुलते हैं, लेकिन CAM पौधों में रन्ध्र रात्रि में खुलते हैं।
2. इन पौधों में CO2 का स्थिरीकरण पत्तियों अथवा तने में उपस्थित क्लोरोफिल युक्त कोशिकाओं (Chlorophyll containing cells) के द्वारा रात्रि (अन्धकार अवस्था) में होता है तथा मैलिक अम्ल (Malic acid) का निर्माण होता है।
3. अन्धकार (रात्रि) में बना मैलिक अम्ल इन पौधों में उपस्थित बड़ी-बड़ी रिक्तिकाओं (Vacuoles) में संगृहीत कर लिया जाता है।
4. दिन के समय प्रकाश की उपस्थिति में मैलिक अम्ल का डीकार्बोक्सिलेशन (Decarboxylation) होता है तथा CO2 मुक्त है। यह CO2 केल्विन चक्र (C3) चक्र) के द्वारा सुक्रोज (Sucrose) एवं संग्राहक ग्लूकेन्स (Storage glucanes)
उदाहरण-स्टार्च (Starch) में परिवर्तित हो जाता है।
इस प्रकार CAM पौधों में CO, का कार्बोक्सिलेशन रात्रि में होता है तथा दिन के समय डोकार्बोक्सिलेशन होता है।
5. चूँकि CAM पौधों में रन्ध्र रात्रि में खुलते हैं अतः रात्रि में तापमान कम होने के कारण इनमें वाष्पोत्सर्जन की दर कम होती है।
CAM की क्रियाविधि (Mechanism of CAM Cycle)
CAM चक्र को विभिन्न क्रियाएँ निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होती हैं-
- 1. CAM पौधों में रात्रि के समय रन्ध्रों (Stomata) के खुलते ही CO2 पत्ती के अन्दर प्रवेश कर जाती है तथा वहाँ पर CO2 फॉस्फोइनॉल पाइरुविक अम्ल (Phosphoenol pyruvic acid or PEP) के साथ PEP- कार्बोक्सिलेज (PEP-carbaxy lase or PEP-C) एन्जाइम को उपस्थिति में क्रिया करके ऑक्जेलो ऐसीटिक अम्ल (Oxaloacetic acid or OAA) का निर्माण करते हैं।
- उपर्युक्त क्रिया में बना हुआ OAA, मैलेट डीहाइड्रोजिनेज (Malate dehydrogenase) एन्जाइम की उपस्थिति में अपचयित होकर मैलिक अम्ल (Malic acid) का निर्माण करता है। यहाँ पर NADPH2 का उपयोग किया जाता है।
यह CO2 दिन के समय केल्विन चक्र के द्वारा उपयोग कर ली जाती तथा पाइरुविक अम्ल PGA बदल जाता है। दिन के समय हेक्सोज शर्करा बनती है, जो कि स्टार्च के रूप में संगृहीत कर ली जाती है। अगली रात्रि में यह स्टार्च ग्लाइकोलिसिस प्रक्रिया के द्वारा पुनः PEP में बदल जाता है।
यह PEP पुन: CO2 के साथ क्रिया करके OAA का निर्माण करता है।
CAM चक्र का महत्त्व (Significance of CAM Cycle) -
1. चूंकि CAM पौधों में रन्ध्र (Stomata) दिन के समय बन्द तथा रात्रि के समय खुलते हैं, अत: CAM चक्र मांसल पौधों (Succulent plants) के लिये अत्यन्त लाभदायक होती है। मांसल पौधों में इसी चक्र के द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण होता है।
2. CAM पौधों में दिन में रन्ध्र बन्द होने के बावजूद भी प्रकाश संश्लेषण की क्रिया जारी रहती है क्योंकि डीऐसिडिफिकेशन (Deacidification) क्रिया से मुक्त CO, का स्थिरीकरण C चक्र द्वारा किया जाता है।
3. CAM पौधे श्वसन क्रिया के दौरान मुक्त हुई CO, को इस चक्र के द्वारा पुनः स्थिर करने की क्षमता रखते हैं। इस प्रकार CAM चक्र मांसल पौधों के लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके कारण ये पौधे मरुस्थलीय स्थितियों (Xeric situations) में भी समुचित प्रकाश संश्लेषण एवं वृद्धि करने में सक्षम होते हैं।