वनस्पति विज्ञान प्रमुख वैज्ञानिक और खोजें
वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण खोजें
ऐरिस्टॉटल (Aristotle 384 322 BC): ऐरिस्टॉटल
(Aristotle 384-322 B C) को जीवधारियों का अध्ययन आरंभ करने का श्रेय दिया जाता है। इन्हें जीव विज्ञान का पिता (Father of Biology) माना जाता है।
थियोफ्रास्टस (Theophrastus 370-285 BC):
थियोफ्रास्टस (Theophrastus 370-285 BC) ने हिस्टोरिया प्लैन्टेरम (Historia Plantarum) और दि कॉजेज ऑफ प्लान्टस (The Causes of Plants) नाम की पुस्तकों में पौधों का वर्णन किया अन्य सूचनायें दीं। इन्हें वनस्पति विज्ञान का पिता ( Father of Botany) माना जाता है।
जैकेरियस जैन्सन और हेंस जैन्सन (Zaccharias Janssen and Hans Janssen)
जैकेरियस और हेंस जैन्सन जैन्सन ने 1590 प्रथम संयुक्त (Compound microscope) बनाया।
रॉबर्ट (Robert Hooke)
1665 में कोशिका देखने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति कार्क कोशिकाओं का अध्ययन किया तथा सेल (cell) अथवा शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया। इन्होंने माइक्रोस्कोप से देखी संरचना को को माइक्रोग्रफिया (Micrographia) पुस्तक में प्रकाशित किया और संयुक्त माइक्रोस्कोप बनाया।
स्टीफन हेल्स (Stephan Hales)
स्टीफन हेल्स (Stephan Hales) ने 1727, पत्तियों और सूर्य का प्रकाश संश्लेषण में महत्व बताया। इन्हें पादप शरीर-विज्ञान का पिता माना जाता है ।
कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus)
कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) नें जो स्वीडिश वनस्पति वैज्ञानिक थे, अपनी पुस्तक 'सिस्टेमा नेचुरी' 1735 (Systema Naturae) में द्विपद-नाम पद्धति (Binomial nomenclature) प्रतिपादित की तथा अपनी एक अन्य पुस्तक 'स्पीशीज प्लैन्टेरम' 1753 (Species Plantarum) में वर्गीकरण की लैंगिक पद्धति (Sexual System of Classificatiom) का वर्णन किया। इन्हें आधुनिक वनस्पति विज्ञान के पिता (Father of Modern Botany) अथवा प्रथम विद्धान पादप वर्गिकीविज्ञ (First Great Plant Taxonomist) कहा जाता है।
जीन बैप्टिस्ट डी लैमार्क (Jean Baptiste de Lamarck)
जीन बैप्टिस्ट डी लैमार्क (Jean Baptiste de Lamarck) जो फ्रांसिसी जीवाश्म वैज्ञानिक थे, ने 1809 में 'फिलॉस्फी जूलॉजिक' (Philosphie Zoologique) नामक पुस्तक में उपार्जित लक्षणों की वंशागति (Inheritance of Acquired Characters) के सिद्धान्त को प्रकाशित किया।
अमीसी (G.B. Amici)
अमीसी (G.B. Amici) ने 1824 में पराग नलिका (Pollen tube) को सर्वप्रथम देखा।
रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown)
रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने 1828 में ब्राउनियन गति (Brownian movement) का वर्णन, तथा 1831 में पादप कोशिकाओं में केन्द्रक (nucleus) का खोज किया।
श्लीडेन और श्वान (M.J. Schleiden-Botanist) और T. Schwann - Zoologist)
श्लीडेन और श्वान (M.J. Schleiden-Botanist और T. Schwann Zoologist) ने 1838-1839 में कोशिका वाद (Cell theory) को प्रस्तुत किया।
परकिन्जे (J. E. Purkinje)
परकिन्जे (J.E. Purkinje) ने 1840 में प्रोटोप्लाज्म (Protoplasm) शब्द दिया।
हयूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries)
हयूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries) ने 1840 में ईनोचीरा लेपार्कियाना (Oenothera lamarckiana) अथवा ईवीनिंग प्रिमरोज (Evening Primrose) पर काम के आधार पर उत्परिवर्तन बाद (Mutation Theory) का प्रस्ताव किया।
हयूगो वॉन मोल (Hugo von Mohl) ·
ह्यूगो वॉन मोल (Hugo von Mohl) ने 1846 में कोशिका विभाजन (Cell divison) का वर्णन किया तथा प्रोटोप्लाज्म (protoplasm) का महत्व बताया।
हॉफमीस्टर (W. Hofmeister)
हॉफमीस्टर (W. Hofmeister) ने 1848 में केन्द्रक विभाजन का ट्राडेस्कन्शिया (Tradescantia) में अध्ययन किया। 1849 में भ्रूण कोष (embryo sac) की संरचना तथा 1851 में पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of Generations) का वर्णन किया।
रूडॉल्फ विरशों (Rudolph Virchow)
रूडॉल्फ विरशॉ (Rudolph Virchow) ने 1858 में बताया कि सभी कोशिकायें पूर्ववर्ती कोशिकाओं से बनती हैं (Omunis cellula e cellula) ।
चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (Charles Robert Darwin)
चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (Charles Robert Darwin) ने 1859 में दी आरीजिन ऑफ स्पीशीज (The Origin of Species) नामक पुस्तक में प्राकृतिक चयनवाद (Theory of Natural Selection) प्रस्तुत किया। यह वाद उनके H.M.S Beagle नामक जहाज से समुद्रयात्रा के दौरान अवलोकन पर आधारित था।
1881 में कैनरी घास के प्ररोह शीर्ष पर प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) का प्रदर्शन किया।
जॉर्ज बेन्यम, और जोसेफ डाल्टन हुकर (George Bentham and Joseph Dalton Hooker)
जॉर्ज बेन्चम, और जोसेफ डाल्टन हुकर (George Bentham and Joseph Dalton Hooker) ने 1862-1863 में जेनेरा प्लैन्टेरम (Genera Plantarum) के तीन ग्रंथ लिखे तथा पौधों की सर्वाधिक स्वीकृत प्राकृतिक वर्गीकरण पद्धति (Natural System of Classification) का वर्णन किया।
लुई पाश्चर (Louis Pasteur)
लुई पाश्चर (Louis Pasteur) ने 1864 में जो फ्रांसिसी रसायनज्ञ थे रोग का रोगाणु वाद (Germ Theory of Disease) प्रस्तुत किया। इन्होंने चिकिन कॉलरा (chicken cholera) उत्पन्न करने वाले जीवाणु का आविष्कार किया तथा (fermentation) पर काम करते हुये स्वतः जनन (Spontaneous generation) का खण्डन किया।
अर्नेस्ट हेकल (Ernst Haeckel)
अर्नेस्ट हेकल (Emst Haeckel) 1864 में प्लास्टिड (Plastid) शब्द का प्रयोग किया। इन्होंने एककोशिकीय पौधो और प्राणियों को 'प्रोटिस्टा' (Protista) के अन्तर्गत रखा।
ग्रेगर जॉन मेण्डल Gregor Johann Mendel)
ग्रेगर जॉन मेण्डल Gregor Johann Mendel) ने 1866 में उद्यान मटर (Garden Pea) पर संकरण संबंधी प्रयोग किये जिनके आधार पर आनुवंशिकता के नियमों (Laws of Heredity) की उत्पत्ति हुई। इन्हें 'आनुवंशिकता का पिता' (Father of Genetics) माना जाता है।
फ्रेडरिक मीशर (Fredrick Miescher)
फ्रेडरिक मीर (Fredrick Miescher) ने 1874 में न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acids) को न्यूक्लिन (Nuclein) नाम देकर सर्वप्रथम पहचाना।
जोसेफ लिस्टर (Joseph Lister)
जोसेफ लिस्टर (Joseph Lister) ने 1878 में जीवाणुओं के शुद्ध संवर्धन (pure culture) का विकास और कार्बोलिक (Carbolic Acid) का रोगाणुनाशी (disinfectant) के रूप में उपयोग किया।
वाल्टर फ्लेमिंग (Walter Flemming)
वाल्टर फ्लेमिंग (Walter Flemming) ने 1879 में क्रोमेटिन शब्द का प्रयोग किया। इन्होंने माइटोसिस (Mitosis) शब्द दिया। अस्टर (aster) और की उपस्थिति बतायी। इन्होंने क्रोमोसोम के अलग होने का वर्णन किया।
स्ट्रासबर्गर (E. Strasbruger)
स्ट्रासबर्गर (F. Strasbruger) ने 1879 में पौधों में कोशिका विभाजन (cell division) का वर्णन किया तथा साइटोप्लाज्म (cytoplasm) और केन्द्रकद्रव्य (nucleoplasm) में अन्तर बताया। इन्होंने क्रोमोसोम का अवलोकन किया। पॉलीगोनम प्रकार (Polygonum type) के भ्रूण कोष (embryo sac) का वर्णन भी इन्होंने किया पौधों में निषेचन Fertilization) का वर्णन किया तथा प्लैज्मोडेस्मा (Plasmodesma) नाम दिया।
वाल्डेयर (W. Waldeyer)
वाल्डेयर (W. Waldeyer) ने 1888 में क्रोमोसोम (chromosome) शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया।
बोवेरी (T. Boveri)
बोवेरी (T. Boveri) ने 1888 में सेन्ट्रोसोम (centrosome ) नाम दिया।
बेन्डा (C. Benda)
बेन्डा (C. Benda) ने 1897 में माइटोकॉन्ड्रिया (mitochondria) शब्द को प्रचलित किया।
कैमीलिओ गॉल्जी (Camillo Golgi)
कैमीलिओ गॉल्जी (Camilio Golgi) ने 1898 में गॉल्जी उपकरण का वर्णन किया।1906 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए।
बुकनर (E. Buchner)
बुकनर (E. Buchner) ने 1898 में यीस्ट में उपस्थित (Zymase) नामक एन्जाइम का पता लगाया। इन्हें 1907 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
कोरेन्स, ब्रीज और शरमाक (Carl Correns, Hugo de Vries and Erich von Tschermak)
कौरेन्स, ब्रीज और शरमाक (Carl Correns, Hugo de Vries and Erich von Tscherrnak) ने 1900 में मेण्डल के आनुवंशिकता के सिद्धान्तों का पुनः आविष्कार (rediscovery) किया।
सटन और बोवेरी (W. S. Sutton and T. Boveri)
सटन और बोवेरी (W. S. Sutton and T. Boveri) ने 1902 में आनुवंशिकता का क्रोमोसोम सिद्धान्त (Chromosome Theory of Heredity) दिया।
फार्मर और मूर (J. B. Former and J. E. Moore)
फार्मर और मूर (J. B. Former and J. E. Moore) ने 1905 में अर्धसूत्री विभाजन (reduction divison) को मिआसिस (mciosis) नाम दिया।
विलियम बेटसन (William Bateson)
विलियम बेटसन (William Bateson) ने 1905 में जेनेटिक्स (Genetics) शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया और सहलग्नता (linkage) का पता लगाया।
रॉबर्ट काच (Robert Koch)
रॉबर्ट काच (Robert Koch) जर्मन शल्यचिकित्सक (German Surgeon) थे। इन्होंने 1905 में ट्यूबरकुलासिस (Tuberculosis: क्षय रोग), ऐन्ट्रैक्स (Anthrax) को उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया (bacteria) का आविष्कार किया। कॉच अभिगृहित (Kochi's Postulates) के लिये 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
जोहेनसन (W.I.. Johannson)
जोहेनसन (W.L.. Johannson) ने 1909 में जीन (Gene) शब्द दिया।
रोस (P. Rous)
रौस (P. Rous) ने 1911 में रौस सारकोमा बाइरस ( Rous Virus) का आविष्कार किया और रिवर्स ट्रान्सक्रिप्शन (Reverse transcription) बताया। इसलिये इन्हें 1966 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
गार्नर और एलार्ड (W. W. Garner and H.A. Allard)
गार्नर और एलाई (WW. Garnier and H.A. Allard) ने 1920 में दीप्तिकालिता (Photoperiodism) का आविष्कार किया।
फ्यूलजेन और रौसेनवेक (R. Feulgen and H. Rosenbeck)
फ्यूलजेन और रीसेनवेक (R. Feulgen and H. Rosenbeck) ने 1924 में डी. एन. ए. को अभिरंजित (stain) करने की विशिष्ट विधि का आविष्कार किया।
जॉन हचिन्सन (John Hutchinson)
जॉन हचिन्सन (John Hutchinson) बीजधारी पौधों (Seed Plants) के जातिवृत्तीय (Phylogenetic) वर्गीकरण के लिये प्रसिद्ध हैं। यह वर्गीकरण उन्होंने 'फैमिलीज ऑफ फ्लावरिंग प्लान्टस' (British Flowering Plants) नामक पुस्तक 1948 में दिया था।
वेन्ट (F. W. Went )
वेन्ट (F. W. Went) ने 1926 में आविना वक्रता परीक्षण (Avena Curvature Test) और ऑक्सिन (auxin) के लिए बायोऐसे (Bioassay-जैव आमापन) बताया।
वेडबर्ग (T. Svedberg)
बेडवर्ग (T. Svedberg) ने 1926 में अल्ट्रासेन्ट्रीफ्यूज (Ultracentrifuge) का आविष्कार किया जिसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
एलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming)
एलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) ने 1929 में पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) नामक कवक (fungus) से पेनिसिलिन (Penicillin) का आविष्कार किया। 1945 में फ्लोरी (Florey) और चेन (Chain) के साथ इन्हें नोबेल से सम्मानित किया गया।
वारवर्ग (Otto H. Warburg)
वारबर्ग (Otto H. Warburg) ने 1931 में श्वसन एन्जाइम और उनके कार्यों का पता लगाया जिसके लिये इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
नॉल और रस्का (M. Knoll and E. Ruska)
नॉल और रस्का (M. Knoll and E. Ruska) ने 1932 में प्रथम इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप बनाया। रस्का को 1986 में इस काम के लिये भौतिकी (Physics) के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
मॉर्गन (Thomas Hunt Morgan )
मॉर्गन (Thomas Hunt Morgan) ने 1933 में ड्रोसोफिला (Drosophila) में लिंग सहलग्नता (Sex-linkage) का पता लगाया तथा आनुवंशिकता में जीन का महत्व बताया। इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
कोग्ल, हाजेन-स्पिट और इर्क्सलेबेन (F. Kogl, A.J. Haagen-Smit and H. Erxleben)
कोग्ल, हाजेन-स्पिट और इर्क्सलेबेन (F. Kogl, A.J. Haagen- Smit and H. Erxleben) ने 1934 में IAA को मानव मूत्र (human urine) से अलग किया (IAA की खोज, ई. और एच. साल्कोवस्की-E. and H. Salkowski ने 1885 में की)।
टेन्सले (A.G Tansley)
टैन्सले (A.GTansley) ने 1935 में इकोसिस्टम (Ecosystem- पारिस्थितिक तन्त्र) शब्द और परिकल्पना दी।
कजलाचजन (M.C. Cajlachjan)
कजलाचजन (M.C. Cajlachjan) ने 1936 में ने फूल को बनाने में सहायक हार्मोन (hormone) की उपस्थिति बतायी और उसे फ्लोरीजन (florigen ) नाम दिया।
गुस्टाफसन (F. Gustafson)
गुस्टाफसन (F. Gustafson) ने 1936 में IAA के उपयोग द्वारा अनिषेकफलनी (Parthenocarpic) फलों का निर्माण सर्वप्रथम किये।
क्रेब्स (Hans Krebs)
फ्रेस (Hans Krebs) ने 1937 में सिट्रिक एसिड चक्र (Citric Acid Cycle) अथवा ट्राइ कार्बोक्सिलिक एसिड चक्र (TCA Cycle), जिसे अब क्रेब्स चक्र कहते हैं, की खोज इन्होंने की। इस काम के लिये 1953 में इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
ऐवेरी, मैकलियोड और मैककार्थी (O.T.Avery, C.H. MacLeod and H. McCarty)
ऐवेरी, मैकलियोड और मैककार्थी (O.T.Avery. C. H. MacLeod and H. McCarty) ने 1944 में बैक्टीरिया के रूपान्तरण (transformation) द्वारा DNA आनुवांशिक पदार्थ (hereditary material) होता है यह किया।
वाक्समैन (Selaman Waksman )
बाक्समैन (Selaman Waksman) ने 1944 में ऐन्टिबायोटिक (antibiotic) स्ट्रेप्टोमाइसिन (Streptomycin) की खोज की। इसलिये 1952 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
समनर (J. B. Sumner)
समनर (J. B. Sumner) ने 1946 में एन्ज़ाइम यूरिएस (Urease) का क्रिस्टलन (Crystallisation) किया। यह क्रिस्टलन किया जाने वाला पहला एन्जाइम है। इन्होंने यह भी बताया कि एन्जाइम प्रोटीन होते हैं। इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हर्शे और चेज (A.D. Hershey and M.J. Chase)
हर्शे और चेज (A.D. Hershey and MJ. Chase) ने 1952 में सिद्ध किया कि वाइरस का संक्रमण (infective) करने वाला भाग DNA होता है और DNA आनुवांशिक पदार्थ है।
वाटसन और क्रिक (J.D. Watson and F.H.C Crick)
वाटसन और क्रिक (J.D. Watson and F.H.C Crick) ने 1953 में बताया कि DNA द्विकुंडलित (double helical) होता है। 1962 में विलकिन्स (M.H.F Wilkins) के साथ इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
आर्नन (D.I. Arnon)
आनंन (D.I. Arnon) ने 1954 में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया में प्रकाश फॉस्फेटीकरण (Photophosphatization) की खोज की।
मिलर और स्कूग (C.O. Miller and F.S. Skoog)
मिलर और स्कूग (C.O. Miller and F.S. Skoog) ने 1955 में साइटोकाइनिन (Cytokinin) की खोज की।
फ्रेकेल-कॉनरेट (H. Fraenkel-Conrat)
फ्रेकेल-कॉनरेट (H. Fraenkel-Conrat) ने 1957 में TMV (तम्बाकू किर्मीर वायरस) का आनुवंशिक पदार्थ RNA होता है, यह सिद्ध किया ।
बीडल, टेटम और लेडरबर्ग (G. W. Beadle, E.I Tatum and J. Lederberg)
बीडल, टेटम और लेडरबर्ग (G. W. Beadle, E.L. Tatum and J. Lederberg) को 1958 में एक जीन-एक एन्जाइम (One gene-one enzyme theory) सिद्धान्त के खोज हेतु नोबेल पुरस्कार दिया गया।
ओकोआ (Severe Ochoa)
ओकोआ (Severe Ochoa) ने 1959 में पॉलिराइबो न्यूक्लीओटाइड (RNA) का इन विट्रो (in vitro पात्रे अथवा कृत्रिम) संश्लेषण किया। इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आर्वर कॉर्नवर्ग (Arthur Kornberg) -
आर्थर कॉर्नवर्ग (Arthur Kornberg) 1959 ने पॉलिडिओक्सीराइबोन्यूक्लीओटाइड (DNA) का इन विट्रो (in virto = पात्रे अथवा कृत्रिम ) संश्लेषण किया। जिसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
मेलवीन काल्विन (Melvin Calvin)
मेलवीन (Melvin Calvin) ने 1961 में प्रकाश संश्लेषण में कार्बन स्थिरीकरण (Carbon fixation अथवा dark reaction) की खोज की, अब इसे काल्विन चक्र (Calvin Cycle) कहा जाता है। इस काम के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
जेकब, मोनाड और लौफ (F. Jacob, J. Monod and A. L. Lwoff)
जेकब, मोनाड और लौफ (F. Jacob, J. Monod and A. L. Lwoff) को 1965 में जीन नियंत्रण के ऑपेरॉन मॉडल (Operon model) के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हैच और स्लैक (M. D. Hatch and C.R. Slack)
हैच और स्लैक (M. D. Hatch and C.R. Slack) ने 1967 में प्रकाश संश्लेषण में होने वाले C, चक्र को बताया।
नीरेनबर्ग, खुराना और हॉली (M. W. Nirenberg, H.G. Khorana and R.H. Holley)
नीरेनबर्ग, खुराना और हॉली (M. W. Nirenberg, H.G. Khorana and R.H. Holley) ने 1968 में जेनेटिक कोड (Genetic Code) का पता लगाया तथा हॉली ने t-RNA की संरचना का वर्णन किया। इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
हैरीस (H. Harris)
हैरीस (H. Harris) ने 1770 में DNA-RNA संकरण (hybrid) की तकनीक बतायी।
क्लाडे (A. Claude)
क्लाडे (A. Claude) ने 1974 में कैन्सर के अर्बुद (tumour) में वाइरस कणों की उपस्थिति बतायी। इन्हें नोबल पुरस्कार मिला।
पैलेडे (G.E. Palade)
पैलेडे (G. E.Palade) ने 1974 में राइबोसोम की खोज की और नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।
डवे (Christain de Duve)
डवे (Christain de Duve) ने 1974 में लाइसोसोम का आविष्कार एवं पृथक्करण किया। इस काम के लिये इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
बाल्टीमोर, डुलबेको और टेमीन(D. Baltimore, R. Dulbecco and H.M. Temin)
बाल्टीमोर, डुलबेको और टेमीन (D. Baltimore, R. Dulbecco and H.M Temin) ने 1975 में RNA अर्बुद (tumour) वाइरस में उस विशिष्ट एन्जाइम की खोज की जो RNA से DNA की नकल बनाता है। इस प्रक्रिया को रिवर्स ट्रान्सक्रिप्शन (reverse transcription) कहते हैं। इस काम के लिये उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
आर्बर, नवान्स और स्मिथ (W. Arber, D. Nathans and H.O. Smith)
आर्बर, नथान्स और स्मिथ (W. Arber, D. Nathans and H.O. Smith) ने 1978 में रेस्ट्रिकशन एन्जाइम (restriction enzyme) का आविष्कार किया। यह DNA का जल अपघटन (hydrolysis) करके उसे टुकड़ों में तोड़ देता है। यह आनुवंशिक इन्जीनियरी के लिये अत्यंत उपयोगी है। इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
क्लुग (A. Klug)
क्लुग (A. Klug) ने 1982 में न्यूक्लीक अम्ल और प्रोटीन के जटिलों का वर्णन किया। इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
बार्बरा मैकलिन्टॉक (Barbara MeClintock)
बार्बरा मैकलिन्टॉक (Barbara McClintock) ने 1983 में 'जपिग जीन' अथवा 'ट्रान्सपोसोन्स' (= परिवर्तनशील जीन) की उपस्थिति बतायी। इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लुक मौन्ट्रग्नियर (Luc Montagnier)
सुक मौन्ट्रग्नियर (Luc Montagnier) ने 1984 में एड्स (AIDS) वाइरस अथवा HTLV III (अथवा HIV) वाइरस को अलग किया।
डीइसेनहॉफर, हबेर और माइकेल (Deisenhoffer, Robert Huber and Hartmut Michel )
डीइसेनहॉफर, हवेर और माइकेल (Deisenhoffer, Robert Huber and Hartmut Michel) को 1988 में प्रकाश संश्लेषण के क्रिया केन्द्र (photosynthesis reaction centre) की त्रिविम संरचना (three dimensional structure) का वर्णन करने के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया।
विशप और वारमस (J.M. Bishop and H.E. Varmus)
विशप और वारमस (J.M. Bishop and H.E. Varmus) ने 1989 में कैन्सर उत्पन्न करने वाली जीन की उत्पत्ति बतायी, इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया।
मूलीस (Kary B. Mullis)
मूलीस (Kary B. Mullis) ने 1993 में पॉलिमेरेज चेन रिएक्शन (PCR) विधि की खोज की जिसके द्वारा डी. एन. ए. की दस लाख (Million) से अधिक प्रतियों (copies) केवल कुछ ही घंटों में बनायी जा सकती हैं।
रॉबर्ट और शार्प (Richard J. Roberts and Philip Sharp )
रॉबर्ट और शार्प (Richard J. Roberts and Philip Sharp ) ने 1993 में उच्च वर्ग के तथा यूकेरियोटिक प्राणियों की जीन की संरचना बतायी। इन्होंने स्प्लिट जीन (Split gene) अथवा विभक्त जीन का वर्णन किया।
वेन्टर (J. Craig Venter)
वेन्टर (J. Craig Venter) तथा अन्य वैज्ञानिकों ने 1985 में मिलकर हिमोफाइलस इन्फ्लूएन्जी (Hemophilus influenzae) नामक बैक्टीरिया के डी.एन.ए. में उपस्थित 1, 830, 121 नाइट्रोजनी बेसेज (nitrogenous bases) का पता लगाया। इसी प्रकार इन्होंने यह भी बताया कि माइकोप्लाज्मा जेनिटैलियम (Mycoplasma genitalium) में 580,067 बेस जोड़ियाँ (base pairs), उपस्थित होती हैं।