विज्ञान से संबन्धित उपकरण एवं तकनीक
विज्ञान से संबन्धित उपकरण एवं तकनीक
विभेदन क्षमता (Resolving Power):
दो विन्दुओं को
अलग- अलग पहचानना विभेदन क्षमता कहलाती है। सामान्य मनुष्य के आँख की विभेदन
क्षमता 100 होती है।
संयुक्त
सूक्ष्मदर्शी (Compound
Microscope)
ए. वी. ल्यूवनहाक
(A.V. Leeuwenhoek) ने सन् 1672 में एक लेन्स के
साथ जीवाणु व लाल रुधिर कणिकाओं को देखने हेतु एक सूक्ष्मदर्शी बनाया। संयुक्त
सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता (Resolving power) 1-1.4 तथा आवर्धन क्षमता 14 x से 42 x होती हैं।
प्रकाश
सूक्ष्मदर्शी (Light
Microscope)
प्रकाश
सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता 100x से 200x
तथा विभेदन
क्षमता 3000Å या 0.3p होती है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (Electron Microscope)
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी किसी संरचना को 250,000 गुना आवर्धित कर
सकता है। इसकी विभेदन क्षमता 10-20Å होती है। इसमें प्रकाश का स्त्रोत इलेक्ट्रानों का पुँज
होता है।
एक्स-रे सूक्ष्मदर्शी (X-rays Microscope)
एक्स-रे
सूक्ष्मदर्शी के द्वारा किसी पदार्थ को 3D आण्विक संरचना (Molecular structure) को पढ़ा जा सकता है।
ऑटोरेडियोग्राफी (Autoradiography)
इसके द्वारा अणुओं के सृजन तथा कोशिका की उपापचय की घटनाओं का रेडियोधर्मी आइसोटोप के द्वारा अध्ययन किया जाता है।
क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)
इसके द्वारा
पदार्थों के अणुओं को पृथक करते हैं तथा इसकी सहायता से उसके प्रकार तथा मात्रा
दोनों का पता लगाया जाता है। उदाहरण- पर्णहरित के विभिन्न प्रकार ।
डी. एन. ए. फिंगर प्रिन्टिंग
इस विधि को ए.
जैफ्रे (A. Jaffrey) ने 1985 में विकसित
किया। सभी मनुष्यों के डी. एन. ए. में कुछ अस्थिर भाग होते हैं।
सी. सी. एम. बी. हैदराबाद के वैज्ञानिक डा. लाल जी सिंह डी. एन. ए. प्रिंटिंग पर कार्य करने वाले प्रथम भारतीय वैज्ञानिक हैं।
पोलीमरेज चेन रिएक्शन (PCR)
PCR से TB, AIDS, हिपेटाइटिस आदि रोगों की पहचान की जाती है। जिसमें डी. एन. ए. की मात्रा कम होती है उसमें डी. एन. ए. बड़ी मात्रा में PCR की सहायता से प्राप्त किया जाता है। उदाहरण- बाल।