प्रकाश श्वसन या C2 चक्र |PHOTORESPIRATION OR C2 CYCLE

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 प्रकाश श्वसन या C2 चक्र

प्रकाश श्वसन या C2 चक्र |PHOTORESPIRATION OR C2 CYCLE


प्रकाश श्वसन या C2 चक्र

हम जानते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश की उपस्थिति में होती है तथा श्वसन क्रिया प्रकाश एवं अन्धकार दोनों ही स्थितियों में समान दर से होती है। आधुनिक खोजों से यह ज्ञात हुआ है कि पौधों में प्रकाश की उपस्थिति में श्वसन की दर अंधकार को अपेक्षा तीन से पाँच गुना तीव्र गति से होती है। इसे प्रकाश श्वसन (Photorespiration) कहते हैं। यह क्रिया शीतोष्ण प्रदेशों में पाये जाने वाले पौधों जैसे- जौधानगेहूं आदि में पाई जाती है। 

प्रकाश श्वसन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है- 

-पौधों के हरे भागों की कोशिकाओं में होने वाली वह क्रिया जिसमें श्वसन क्रिया के समय प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्सीजन का उपयोग होता है तथा CO, गैस मुक्त होती है उसे प्रकाश श्वसन कहते हैं।" अथवा पौधे की हरित कोशिकाओं में प्रकाश की उपस्थिति में होने वाला श्वसन प्रकाश श्वसन कहलाता है।" 


  • इस क्रिया के फलस्वरूप अधिक मात्रा में CO, गैस मुक्त होती है।

 

  • सामान्य श्वसन क्रिया में श्वसन पदार्थ सुक्रोज या ग्लूकोज होता हैपरन्तु प्रकाश श्वसन क्रिया में श्वसन पदार्थ ग्लाइकोलिक अम्ल (Glycolic acid) या ग्लाइकोलेट (Glycolate) होता है जो कि 2 कार्बन वाला यौगिक होता है। इसीलिये प्रकाश श्वसन को C2 चक्र या ग्लाइकोलिक अम्ल चक्र भी कहते हैं। इसकी खोज टॉलबर्ट एवं उनके सहयोगियों (Tolbert et al., 1969) ने की थी। 


C2  चक्र के विशिष्ट लक्षण (Characteristic Features of C2 Cycle) 

1. इस चक्र में श्वसन पदार्थ 2 कार्बन वाला यौगिक ग्लाइकोलेट होता है। 

2. यह यौगिक तत्काल निर्मित होता है। 

3. प्रकाश श्वसन को क्रिया तीन कोशिकांगों क्लोरोप्लास्टमाइटोकॉण्ड्रिया एवं परॉक्सीसोम में पूर्ण होती है अर्थात् इस क्रिया  में तीन कोशिकांग भाग लेते हैं। 

4. वातावरण में O2 की सान्द्रता में वृद्धि होने परप्रकाश श्वसन की दर में भी वृद्धि हो जाती है। 

5. परॉक्सीसोमों में हो ग्लाइकोलेट उपापचय (C) चक्र) से सम्बन्धित सभी एन्जाइम पाये जाते हैं। 

6. इस प्रक्रिया में ATP का निर्माण नहीं होता है। 

7. प्रकाश श्वसन की दर 25°C से 30°C तापक्रम पर तेजी से बढ़ जाती है। 

8. यह क्रिया केवल हरो कोशिकाओं में प्रकाश की उपस्थिति में ही होती है।

 

प्रकाश श्वसन की क्रियाविधि (Mechanism of Photorespiration) 

प्रकाश श्वस्तन का प्रमुख उपापचयी पदार्थ (Metabolite) अथवा सबस्ट्रेट (Substrate) ग्लाइकोलेट या ग्लाइकोलिक अम् (Glycolate or Glycolic acid) होता है। ग्लाइकोलिक अम्ल एक 2C वाला यौगिक होता है। माइटोकॉण्ड्रियल स्वसन के भाँति प्रकाश श्वसन भी एक ऑक्सोकारण प्रक्रिया हैजिसमें ग्लाइकोलेट का ऑक्सीकरण होता है। प्रकाश श्वसन को क्रिया क्लोरोप्लास्टमाइटोकॉण्ड्रिया एवं परॉक्सीसोम में निम्न चरणों में पूर्ण होती है-

 

(A) क्लोरोप्लास्ट में (In Chloroplasts) 

1. ग्लाइकोलिक अम्ल का निर्माण कैसे होता है इसके बारे में कई धारणाएँ थींपर बोवेस (Bowes), ओगरेन (Ogren) तद हैंगमैन (Hageman) ने सन् 1971 में बताया कि विकर RuDP कार्बोक्सिलेज (RuDP carboxylase) या (Ribulase 1.5-diphosphate-carboxylare) दोहरा कार्य (Double role) सम्पादित करता है। सामान्य अवस्था में यह विकर CO के को उत्प्रेरित नहीं कर पाता और इस दशा में RuDP कार्बोक्सिलेज (RuDP carboxylare) सामान स्थिति से हटकर ऑक्सीजिनेज (Oxygenase) प्रतिक्रिया दिखाता है तथा RuDP-ऑक्सीजिनेज (RuDP oxygenase एन्जाइम की भाँति कार्य करने लगता है तथा क्रिया के फलस्वरूप फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) एव फॉस्फोग्लाइकोलिक अम्ल (Phosphoglycolic acid) का एक-एक अणु बनाता है। 

2. इस क्रिया में बना फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल पुन: केल्विन चक्र (Calvin cycle) में प्रवेश कर जाता हैजबकि फॉस्फोग्लाइ कोलिक अम्ल (Phosphoglycolic acid) फॉस्फेटेज (Phosphatase) एन्जाइम की उपस्थिति में पानी के साथ क्रिम करके डोफॉस्फोरिलेशन (Dephosphorylation) के फलस्वरूप ग्लाइकोलिक अम्ल (Glycolic acid) का निर्माण करता है।

 

(B) पॉक्सीसम में (in Peraxysames) 

3. क्लोरोप्लास्ट में निर्मित ग्लाइकोलेट (Glycolate) परऑक्सीसोम्स (Peroxisomes) में विसरित (Diffused) हो जाता हैजहाँ पर ग्लाइकोलिक अम्ल ऑक्सीडेज (Glycolic acid aridase) एन्ज़ाइम को उपस्थिति में इसका ऑक्सीकरण होता है तथा ग्लाइऑक्जेलिक अम्ल या ग्लाइऑक्सिलेट (Glyoxalic acid or Glyoxylate) का निर्माण होता है।

 

  • उपरोक्त अभिक्रिया में हाइड्रोजन परॉक्साइड (H, O2) का निर्माण होता है। कैटेलेज (Catalase) एन्जाइम H2O2 का जल-अपघटन करके उसे HO एवं O2 में वियोजित कर देता है।

 

 

4. अब ट्रान्सएमिनेशन (Transamination) क्रिया के द्वारा ग्लाइऑक्सीलेट (Glyoxylate) 1-ग्लूटेमेट से क्रिया करके ग्लाइसीन (Glycine) नामक अमीनो अम्ल में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया ट्रान्सएमिनेज (Transaminase) नामक एन्जाइम को उपस्थिति में सम्पन्न होती है। इस क्रिया में ग्लाइसीन के साथ कीटोग्लूटेरिक अम्ल (a-Ketoglutaric (acid) का भी निर्माण होता है।

 

(C) माइटोकॉण्ड्रिया में (In Mitochondria)— 

5. परऑक्सीसोम में निर्मित ग्लाइसीन अब माइटो- कॉण्ड्रिया (Mitochondria) में विसरित हो जाता है तथा वहाँ पर ग्लाइसीन के 2 अणु ऑक्सीजन की उपस्थिति में क्रिया करके सिरीन (Serine) का निर्माण करते हैं। इस क्रिया में NH3 एवं CO2 गैस मुक्त होती हैं। यह क्रिया सिरीन हाइड्रॉक्सीमेथिल ट्रान्सफरेज (Serine hydroxymethyl transferase) एन्जाइम के द्वारा उत्प्रेरित की जाती है।

6 उपर्युक्त क्रिया के फलस्वरूप माइटोकॉण्ड्रिया में बना सिरीन अब परऑक्सीसोम (Peroxysome) में विसरित हो जाता हैजहाँ पर इसके ट्रान्सएमिनेशन (Transam ination) के फलस्वरूप हाइड्रॉक्सी पाइरुवेट (Hydroxypyruvate) का निर्माण होता है। यह क्रिया सिरीन ग्लाइऑक्सीलेट ट्रान्सफेरेज एन्जाइम की उपस्थिति में होती है। 

7. अब हाइड्रॉक्सी पाइरुवेटहाइड्रॉक्सी पाइरुवेट रिडक्टेज (Hydroxypyruvate reductase) एन्जाइम की उपस्थिति में NADH2 के द्वारा अपचयित होकर ग्लिसरिक अम्ल (Glyceric acid) का निर्माण करता है।

 

8. उपरोक्त क्रिया में परऑक्सीसोम के अन्दर बना ग्लिसरिक अम्ल अब क्लोरोप्लास्ट में विसरित हो जाता है जहाँ पर ATP के द्वारा ग्लिसरेट काइनेज (Glycerate kinase) एन्जाइम के द्वारा इसके फॉस्फोरिलेशन (Phosphor-ylation) के फलस्वरूप 3- फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3 PGA) का निर्माण होता हैजो कि केल्विन चक्र के द्वारा पुनः फॉस्फोग्लाइकोलेट का निर्माण करता है।

 

प्रकाश श्वसन का महत्त्व (Significance of Photorespiration) 

1. प्रकाश श्वसन की उपस्थिति के आधार पर हम पौधों को दो वर्गों में विभाजित कर सकते हैंअर्थात् प्रकाश श्वसन करने वाले पौधे जो प्रायः टेम्परेट (Temperate) प्रदेशों में पाये जाते हैं और ट्रॉपिकल पौधे (Tropical plants); जैसे— पास (Grasses) जिनमें प्रकाश श्वसन नहीं होता। 

2. प्रकाश श्वसन पादपों में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की दर अधिक होती है क्योंकि CO2 पत्ती को ऊतकों के अन्तरकोशिकीय स्थानों (Intercellular spaces) में एकत्र हो जाती है। 

3. प्रकाश श्वसन पादपों के विकास के अध्ययन में भी प्रकाश डालता है।

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