श्वसनतंत्र में गैसों का विनियम | Exchange of gases in Respiration in Hindi

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 श्वसनतंत्र  में गैसों का विनियम (Exchange of gases)

श्वसनतंत्र  में गैसों का विनियम | Exchange of gases in Respiration in Hindi


 

श्वसनतंत्र  में गैसों का विनियम (Exchange of gases)

आन्तरिक श्वसन का प्रारम्भ फेफड़ों में गैसें के विनिमय से होता है। 

फेफड़ों के वायुकोष एक कोशीय दीवारों के बने होते हैं तथा यहीं पर एक कोशीय दीवारों की घनी रक्त वाहिनियों का जाल होता है। इन रक्त वाहिनियों एवं वायुकोषों के मध्य गैसों के आदान- प्रदान की क्रिया होती है तथा यहाँ से आक्सीजन रक्त में स्थित लौह युक्त रंजक पदार्थ हिमोग्लोबिन के साथ जुड़कर आक्सी हिमोग्लोबिन नामक अस्थाई यौगिक का निर्माण करती है। यह यौगिक रक्त के माध्यम से शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में पहुंचकर आक्सीजन को मुक्त कर देता है। इस मुक्त आक्सीजन का उपभोग कोशिका आक्सीश्वसन में करती है। आक्सीश्वसन के परिणामस्वरूप कार्बनडाई आक्साइड गैस की उत्पत्ति होती है। यहाँ हिमोग्लोबिन पुनः कार्बन डाई आक्साइड के साथ मिलकर अस्थाई यौगिक कार्बोक्सी हिमोग्लोबिन का निर्माण करता है। कार्बोक्सी हिमोग्लोबिन रक्त के साथ हृदय एवं फेफड़ों तक पहुंचता है। फेफड़ों में हिमोग्लोबिन कार्बनडाईआक्साइड को मुक्त कर देता है तथा यह कार्बन डाई आक्साइड प्रश्वास के रूप में बाह्य श्वसन तंत्र की सहायता से बाहर निकाल दी जाती है। इस क्रियाविधि को निम्न समीकरण द्वारा आसानी से समझा जा सकता है- 

फेफड़ों में हीमोग्लोबिन का आक्सीजन के साथ जुड़ना 

Hb + O2= HbO2 

हीमोग्लोबिन + आक्सीजन आक्सी हीमोग्लोबिन

 

कोशिका में हीमोग्लोबिन द्वारा आक्सीजन मुक्त करना 

HbO + Co2 -- HbCo2 

आक्सी हीमोग्लोबिन-- हीमोग्लोबिन + आक्सीजन 


कोशिका में हीमोग्लोबिन का कार्बन डाईआक्साइड के साथ जुड़ना 

Hb CO2 - HbCO2

कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन--हीमोग्लोबिन-- कार्बन डाई आक्साइड 


फेफड़ों में हीमोग्लोबिन द्वारा कार्बन डाईआक्साइड मुक्त करना 

HbCO2- Hb CO2 

कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन → हीमोग्लोबिन +कार्बन डाई आक्साइड

 

  • श्वसन की क्रिया में हीमोग्लोबिन अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका का वहन करता है । हीमोग्लोबिन रक्त में उपस्थित एक ऐसा यौगिक होता है जो आक्सीजन को फेफड़ों से लेकर शरीर की आन्तरिक कोशिकाओं तक पहुँचाने का कार्य करता हैइसी प्रकार यह हीमोग्लोबिन आन्तरिक कोशिकाओं में स्थित कार्बन डाई गैस को फेफड़ों तक पहुँचाने का कार्य करता है। एक स्वस्थ मनुष्य के प्रति 100 एम.एल. रक्त में 12 से 16 मिली ग्राम हीमोग्लोबिन पाया जाता है। सुखीसम्पन्नप्रसन्नचित्त व्यक्तियों का रक्त प्राय हीमोग्लोबिन से परिपूर्ण पाया जाता हैऐसे व्यक्तियों की कार्यक्षमता अधिक एवं इनके चेहरे पर तेज पाया जाता है। इसके विपरित जो दुखीनिराशहताशसमस्याओं से घिरे हुए एवं हीनता से ग्रस्त रहते हैं उनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है ऐसे व्यक्तियों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर आक्सीजन तथा कार्बनडाईआक्साइड गैसों का परिवहन भलीभाँति नहीं हो पाता जिससे कोशिकाओं में आन्तरिक श्वसन की क्रिया बाधित होती है तथा कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पत्ति की क्रिया धीमी पड़ जाती है। ऊर्जा उत्पत्ति की क्रिया धीमी पड़ने से उस व्यक्ति की कार्यक्षमता कम हो जाती है। ऐसी अवस्था में भोजन में लौहयुक्त पदार्थों जैसे पालकसेबगाजरचुकुन्दर आदि का अधिक सेवन करने से रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है तथा व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। 


प्रश्वसित एवं निश्वसित 

श्वसन के रूप में अन्दर ग्रहण की गयी वायु प्रश्वसित वायु कहलाती है। इस वायु में सबसे अधिक नाइट्रोजन गैस की मात्रा होती है इसके बाद आक्सीजन गैस होती है तथा इसमें अल्प मात्रा में कार्बनडाइ आक्साइड की मात्रा भी रहती है। 

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