प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक
प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक
प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया एवं उसकी दर अनेक कारकों के द्वारा नियंत्रित एवं प्रभावित होती है। इन समस्त कारकों को निम्नलिखित दो समूहों में बाँटा गया है-
(A) बाह्य कारक (External factors) –
1. प्रकाश (Light),
2. तापमान (Temperature),
3. कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2),
4. जल (Water),
5. ऑक्सीजन (O2)।
(B) आन्तरिक कारक (Internal factors)—
1. क्लोरोफिल की मात्रा (Chlorophyll contents),
2. जोवद्रव्य (Protoplasm),
3. प्रकाश-संश्लेषण के अन्तिम उत्पाद का संचय (Accumulation of end product of photosynthesis),
4. पत्ती को आन्तरिक संरचना (Internal structure of leaf) ।
(A) बाह्य कारक (External Factors)
1. प्रकाश (Lijght)— प्रकाश, प्रकाश-संश्लेषण का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कारक होता है, क्योंकि सूर्य प्रकाश ही ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होता है। प्रकाश निम्नलिखित तोन प्रकार से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करता है--
(i) प्रकाश का प्रकार (Light quality)
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश स्पेक्ट्रम (Spectrum of light) के केवल दृश्य-प्रकाश (Visible light) में ही सम्पन्न होती है। इस दृश्य प्रकाश का तरंगदैर्घ्य (Wavelength) 400 hum से 750 nm तक होता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अवरक्त लाल (infrared) एवं पराबैंगनी प्रकाश (U.V. light) में नहीं होती है। यह क्रिया लाल प्रकाश (Red light) में सबसे अधिक नीले प्रकाश (Blue light) में अपेक्षाकृत कम एवं हरे प्रकाश (Green light) में सबसे कम या नहीं के बराबर होती है। लाल एवं नीले प्रकाश में सर्वाधिक प्रकाश-संश्लेषण होने का प्रमुख कारण क्लोरोफिल द्वारा इनका अधिक अवशोषण करना होता है।
(ii) प्रकाश की तीव्रता (Light intensity)
- पौधों द्वारा अवशोषित किये गये प्रकाश की मात्रा सामान्यतः पत्तियों के स्वरूप (Form) एवं उनके विन्यास (Arrangement) पर निर्भर करती है। पत्तियों पर पड़ने वाले सम्पूर्ण प्रकाश का 3% भाग ही क्लोरोफिल के द्वारा अवशोषित किया जाता है तथा शेष प्रकाश पत्तियों द्वारा परावर्तित कर दिया जाता है।। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अत्यन्त कम प्रकाश तीव्रता (Low light intensity) पर प्रारंभ हो जाती है तथा प्रकाश को तीव्रता के साथ इसको दर बढ़ती जाती है, जब तक कि कोई अन्य कारक सौमाकारक (Limiting factor) न बन जाये। अत्यधिक प्रकाश तीव्रता होने पर प्रकाश संश्लेषण की दर में वृद्धि नहीं हो पाती है क्योंकि अन्य कारक सीमाकारक के में कार्य करने लगते हैं, परन्तु बहुत अधिक प्रकाश तीव्रता (Extremely high light intensity) होने पर प्रकाश संश्लेषी कोशिका के संघटकों (Constituents) का प्रकाश ऑक्सीकरण (Photo-oxidation) हो जाता है। तथा अन्त में प्रकाश संश्लेषी उपकरण (Photosynthetic apparatus) नष्ट हो जाता है। इस क्रिया को सोलेराइजेशन (Solarization) कहते हैं।
- पौधों के लिये प्रकाश संश्लेषण की आवश्यक तीव्रता में अत्यधिक भिन्नता पायी जाती है। कुछ पौधों में प्रकाश- संश्लेषण के लिये प्रकाश की कम तीव्रता की आवश्यकता होती है, अतः ये पौधे छायादार आवासों (Shady habitants) में पाये जाते हैं, ऐसे पौधों को छायारागी या छायाजीवी पौधे (Sciophytes) कहते हैं। इसके विपरीत जिन पौधों में प्रकाश संश्लेषण हेतु अधिक तीव्रता वाले प्रकाश की आवश्यकता होती है, उन्हें सूर्यरागी पौध (Heliophytes or Photophytes) कहते हैं।
- प्रकाश अप्रत्यक्ष रूप से भी प्रकाश संश्लेषण क्रिया को प्रभावित करता है। प्रकाश की तीव्रता कम होने पर रा (Stomata) बन्द हो जाते हैं, जिसके कारण पत्तियों में CO, का प्रवेश बन्द हो जाता है, परिणामस्वरूप प्रकाश- संश्लेषण की दर कम हो जाती है।
(ii) प्रकाश की अवधि (Light duration)-
- प्रकाश की अवधि भी प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिये महत्त्वपूर्ण होती है। प्रकाश की अवधि बढ़ने के साथ-साथ प्रकाश संश्लेषण भी अधिक होता है। सामान्यतः यदि 10 से 12 घण्टे की प्रकाश अवधि पौधे को उपलब्ध होती है, तब उनमें प्रकाश-संश्लेषण क्रिया पर्याप्त रूप से होती है। पौधे सतत् प्रकाश में भी बिना किसी हानि के प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम होते हैं।
2 तापमान (Temperature)
- प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया तापमान की विशाल सीमा में होती रहती है। कुछ कोनीफर्स (Conifers) - 35°C ताप पर भी प्रकाश संश्लेषण करते हैं जबकि गर्म जल में पाये जाने वाले शैवाल (Algae) 75°C तापक्रम पर भी प्रकाश संश्लेषण करती है। अधिकांश पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया की दर 10°C से 35°C पर तब तक तेजी से बढ़ती है, जब तक कि कोई अन्य कारक सीमाकारक न हो जाये। 35°C से अधिक तापक्रम में वृद्धि होने पर प्रकाश संश्लेषण की दर में वृद्धि होती है, परन्तु कुछ समय पश्चात् प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है, क्योंकि तापक्रम में अधिक बढ़ोतरी होने पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया में भाग लेने वाले एन्जाइमों का विकृतीकरण (Denaturation) होने लगता है।
3 कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide)
- वातावरण में CO2 की सान्द्रता 0-03% (300ppm) होती है। वातावरण में जैसे-जैसे CO2 की सान्द्रता में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे प्रकाश-संश्लेषण की दर में भी कुछ समय तक वृद्धि होती है तथा तब तक बढ़ती है जब तक कि अन्य कारक सीमाकारक नहीं हो जाते। प्रकाश संश्लेषण की दर में वृद्धि, CO2 की 1% सान्द्रता तक होती है, परन्तु इससे अधिक सान्द्रता पौधों के लिये विषैली होती है।
4 जल ( Water ) -
- जल प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है। हरे पौधों में यह प्रकाश- संश्लेषण क्रिया में हाइड्रोजन दाता (Hydrogen donor) के रूप में कार्य करता है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया में पौधे के द्वारा अवशोषित कुल जल का केवल 1% भाग ही उपयोग होता है, अतः सामान्यतः जल इस क्रिया के लिये सीमाकारक नहीं होता है। पौधों में जल की अत्यधिक कमी होने पर वह अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करता है। जल की कमी होने पर पत्तियों के रन्ध्र बन्द हो जाते हैं, जिससे CO2 का प्रवेश रुक जाता है, अतः प्रकाश-संश्लेषण की दर में कमी आ जाती है।
5 ऑक्सीजन (Oxygen)—
- ऑक्सीजन की सान्द्रता में वृद्धि भी प्रकाश संश्लेषण क्रिया को प्रभावित करती है। यह प्रकाश- संश्लेषण क्रिया में प्रयुक्त कार्बोक्सिलेज एन्जाइम (Carboxylase enzyme) के लिये प्रतिस्पर्धात्मक सन्दमक (Com- petitive inhibitor) का कार्य करता है, अत: O2, C3 पौधों में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया पर विपरीत प्रभाव डालता है।
- ऑक्सीजन को सान्द्रता में वृद्धि होने से C, पौधों में कार्बोक्सीलेज एन्ज़ाइम की क्रियाशीलता बदल जाती है और यह ऑक्सीजीनेज (Oxygenase) एन्जाइम की भाँति कार्य करने लगता है, जिसके कारण C3 पौधों में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के स्थान पर प्रकाश श्वसन (Photorespiration) प्रारंभ हो जाता है। इसके साथ-साथ यदि प्रकाश की तीव्रता भी अधिक होती है, तब ऐसी स्थिति में वर्णकों (Pigments) का प्रकाश ऑक्सीकरण हो जाता है और अन्त में प्रकाश- संश्लेषी उपकरण नष्ट हो जाता है, इसे सोलेराइजेशन (Solarization) कहते हैं।
(B) प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने आन्तरिक कारक (Internal Factors)
1. क्लोरोफिल की मात्रा (Chlorophyll contents)
- क्लोरोफिल प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के लिये अति आवश्यक वर्णक होता है, जो कि प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करके उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। पापडुरित (Etiolated) एवं क्लोरोफिल रहित पत्तियों युक्त पौधों में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया नहीं होती है। चितकबरी (Variegated) पत्तियों में प्रकाश- संश्लेषण केवल उन्हीं भागों में होता है, जहाँ पर क्लोरोफिल उपस्थित होता है। कोशिका में क्लोरोफिल की मात्रा एवं प्रकाश-संश्लेषण की दर में गहरा सम्बन्ध होता है। क्लोरोफिल की मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ प्रकाश संश्लेषण की दर में भी वृद्धि होती है। पत्तियों की आयु में वृद्धि के साथ-साथ उनमें क्लोरोफिल की मात्रा कम होती जाती है, अतः उनमें प्रकाश संश्लेषण को दर भी कम हो जाती है।
2. जीवद्रव्य (Protoplasm)
- ब्रिजस (Briggs, 1922) के अनुसार, प्रोटोप्लाज्म में कुछ अज्ञात कारक पाये जाते हैं, जो कि प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करते हैं। बाद की खोजों से ज्ञात हुआ कि ये अज्ञात कारक जीवद्रव्य में उपस्थित होते हैं, जो कि अन्धकार अभिक्रिया को प्रभावित करते हैं। 35°C से अधिक तापक्रम या तीव्र प्रकाश में प्रकाश- संश्लेषण की दर में कमी होना अज्ञात जीवद्रव्यीय कारक को एन्जाइमिक प्रकृति को दर्शाता है। 3. प्रकाश संश्लेषण के अन्तिम उत्पाद का संचय (Accumulation of end product of photosynthesis) प्रकाश- संश्लेषण क्रिया के फलस्वरूप कार्बनिक पदार्थों का निर्माण तथा उनका संचय कोशिका में होता रहता है, परन्तु जब इन पदार्थों के स्थानान्तरण (Translocation) की दर धीमी होती है तो इनके जमाव के कारण प्रकाश संश्लेषण की दर धीमी हो जाती है।
4. पत्ती की आन्तरिक संरचना (Internal structure of leaf)
- प्रकाश संश्लेषण की दर रन्ध्रों को संरचना, उनकी संख्या तथा उनके खुलने व बन्द होने पर निर्भर करती है। रन्ध्रों की संख्या जितनी अधिक होगी और वे जितनी अधिक अवधि तक रहेंगे, पत्ती में CO2 का प्रवेश उतना अधिक होगा तथा प्रकाश संश्लेषण की दर भी उतनी अधिक होगी। इसके अतिरिक्त मीजोफिल कोशिकाओं में क्लोरोफिल की व्यवस्था भी प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करती है।