तत्वों में वियोजन महत्वपूर्ण तथ्य |Chemistry Fact in Hindi

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Chemistry Fact in Hindi 

तत्वों में वियोजन महत्वपूर्ण तथ्य |Chemistry Fact in Hindi


तत्वों में वियोजन महत्वपूर्ण तथ्य 

  • तत्वों का स्रोत पृथ्वी- पृथ्वी का समस्त क्षेत्र जल, थल व वायुमण्डल विभिन्न तत्वों व उनके विभिन्न यौगिकों से मिलकर बना है। 
  • पृथ्वी में धातुएँ - पृथ्वी में पाये जाने वाले अधिकांश तत्व धातु हैं जो मुक्त व संयुक्त अवस्था दोनों में पाये जाते हैं। पृथ्वी में सबसे अधिक पाई जाने वाली धातुएँ A1, अधातु O तथा उपधातु Si हैं। 
  • धातु निष्कर्षण का ऊष्मागतिकी सिद्धान्त-धातु लवण से अपचयन द्वारा धातु प्राप्त करने के लिए अपचायक तथा ताप का चयन इस प्रकार किया जाता है कि अभिक्रिया में मुक्त ऊर्जा परिवर्तन ऋणात्मक हो । ΔG=ΔH-TΔS 
  • एलिन्गम आरेख - तत्वों के ऑक्साइड निर्माण के लिए मानक मुक्त ऊर्जा परिवर्तन (AG°) व परमताप के मध्य वक्र । 

धातु निष्कर्षण का विद्युत्-रासायनिक सिद्धान्त 

  • (i) गलित अवस्था में धातु लवण का विद्युत्-अपघटन कैथोड पर धातु देता है। 
  • (ii) जलीय विलयन में धातु लवण के विद्युत्-अपघटन पर अधिक अपचयन विभव वाली धातु कैथोड पर मुक्त होती है। 
  • (iii) कम अपचयन विभव वाली धातु विलयन में से अधिक अपचयन विभव वाली धातु को विस्थापित करती है।

 

  • खनिज-पृथ्वी में पाये जाने वाले ऐसे लवण जिनके साथ रेत आदि की अशुद्धि मिली रहती है। 
  • अयस्क- वे खनिज जिससे धातु का निष्कर्षण सुगमता एवं कम खर्च से सम्भव हो। 
  • अधात्री-अयस्क में उपस्थित मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि की अशुद्धियाँ। 
  • धातुकर्म - अयस्क से धातु प्राप्त करने की विभिन्न प्रक्रियाएँ। 
  • सान्द्रण-पिसे हुए अयस्क में से अधात्री दूर करके अयस्क को सान्द्र बनाने की प्रक्रिया।
  • झाग प्लवन विधि-इस विधि में पिसे हुए अयस्क को तेल-पानी के मिश्रण में डालकर वायु प्रवाहित करने पर अयस्क  के कण झाग के साथ ऊपर आ जाते हैं और अधात्री पृथक् होकर नीचे बैठ जाता है।
  • विद्युत् चुम्बकीय पृथक्करण-विद्युत्-चुम्बक के उपयोग से चुम्बकीय अयस्क में अचुम्बकीय अधात्री को पृथक् करना।
  • निस्तापन-अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गरम करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना। 
  • भर्जन-वायु की उपस्थिति में अयस्क को गरम करके ऑक्साइड में परिवर्तित करना।
  • प्रगलन- धातु ऑक्साइड को उच्च ताप पर अपचयित करके धातु को प्राप्त करने की प्रक्रिया जिसमें उच्च ताप के कारण धातु पिघली हुई अवस्था में प्राप्त होती है। 
  • गालक-धातुकर्म की प्रक्रिया में प्रयुक्त होने वाला वह पदार्थ है जो अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों से संयोग करके एक गलनीय धातुमल (slag) बनाता है जो हल्का होने के कारण उस पर तैरता है और जिसे दूर कर दिया जाता है। 
  • धातुमल-अधात्री और गालक के साथ बना हुआ वह गलनीय पदार्थ जो धातु के ऊपर एक पृथक् सतह बनाता है।
  • अम्लीय गालक-अम्लीय ऑक्साइड, जैसे SiO₂ जो क्षारीय अधात्री, जैसे-FeO, CaO आदि से क्रिया करके धातुमल (FeSiO3) बनाता है। 
  • क्षारीय गालक- क्षारीय ऑक्साइड, जैसे CaO जो अम्लीय अधात्री, जैसे SiO₂ आदि से संयोग करके धातुमल (CaSiO3) बनाता है। 
  • ऐलुमिनोतापी विधि - Al का अपचायक के रूप में प्रयोग करते हुए धात्विक ऑक्साइड के अपचयन से धातु प्राप्त करना। 
  • धातुओं का शोधन-अशुद्ध धातु से शुद्ध धातु प्राप्त करना। 
  • बेसेमरीकरण-पिघले हुए अशुद्ध लोहे में वायु के तेज प्रवाह से अशुद्धियों का ऑक्सीकरण ।
  • अमलगमन-अशुद्ध धातु को पारे के साथ घोंटकर पारे का अमलगम बनाकर उसमें से शुद्ध धातु को पृथक् करना। अमलगम का वाष्पन करने पर पारा वाष्पीकृत होकर दूर हो जाता है और शुद्ध धातु शेष रहती है।
  • माण्ड विधि-धातुओं को वाष्पशील कार्बोनिल यौगिकों में परिवर्तित करके फिर, उनका विघटन करके शुद्ध धातु प्राप्त करना। 
  • विद्युत्-अपघटनी शोधन-अशुद्ध धातु का ऐनोड तथा शुद्ध धातु का कैथोड लेकर इन्हें इसी धातु आयन के विलयन में डुबोकर विद्युत् अपघटन करना जिसमें ऐनोड में से शुद्ध धातु घुलकर विलयन में चली जाती है और विलयन से शुद्ध धातु कैथोड पर एकत्रित होती है। 
  • ऐलुमिनियम धातु का मुख्य अयस्क बॉक्साइट है। 

ऐलुमिनियम धातु के निष्कर्षण में निम्न पद भाग लेते हैं : 

  • (i) बॉक्साइट का शोधन 
  • (ii) ऐलुमिना का विद्युत्-अपघटन 
  • (iii) ऐलुमिनियम का शोधन।

 

बॉक्साइट शोधन की विधियाँ 

  • (i) हॉल विधि, (ii) बायर विधि, (iii) सरपेक विधि।

 

कॉपर का प्रमुख अयस्क कॉपर पायराइटीज है। 

कॉपर पायराइटीज से कॉपर के निष्कर्षण में निम्न पद भाग लेते हैं : 

  • (i) सान्द्रण (झाग प्लवन विधि)
  • (ii) भर्जन
  • (iii) प्रगलन
  • (iv) बेसीमरीकरण
  • (v) शोधन ।


जिंक का प्रमुख अयस्क जिंक ब्लेण्डी (zinc blende) है। 

जिंक ब्लेण्डी से जिंक के निष्कर्षण में निम्न पद भाग लेते हैं : 

(i) सान्द्रण (झाग प्लवन विधि), (ii) भर्जन, (iii) अपचयन, (iv) शोधन ।

 

आयरन का मुख्य अयस्क हेमैटाइट (Haematite) है। 

  • हेमैटाइट से आयरन के निष्कर्षण में निम्न पद भाग लेते हैं।  
  • i) सान्द्रण, (ii) निस्तापन, (iii) प्रगलन । 
  • इस प्रकार प्राप्त लोहा सबसे अधिक अशुद्धि युक्त होता है तथा यह ढलवाँ लोहा कहलाता है। 
  • ढलवाँ लोहे से अशुद्धियाँ दूर कर पिटवाँ लोहा प्राप्त करते हैं।

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