मापक यन्त्रों की यथार्थता तथा शुद्धता , मापन में त्रुटियाँ | Accuracy and Precision of Measuring Instruments

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मापक यन्त्रों की यथार्थता तथा शुद्धता 
(Accuracy and Precision of Measuring Instruments)
मापक यन्त्रों की यथार्थता तथा शुद्धता , मापन में त्रुटियाँ  | Accuracy and Precision of Measuring Instruments


 

मापक यन्त्रों की यथार्थता तथा शुद्धता

  • प्रत्येक मापक यन्त्र पर अंकित एक छोटे खाने के मान को उस यन्त्र की अल्पतमांक कहते हैं। उदाहरण के लिए, साधारण पैमाने पर एक छोटे खाने का मान 0.1 सेमी (या 1 मिमी) होता है। अब यदि इसके द्वारा किसी छड़ की लम्बाई 2-3 सेमी व्यक्त की जाती है तो छड़ की लम्बाई निश्चित तौर पर 2-2 सेमी से अधिक, लेकिन 2-4 सेमी से कम होगी अर्थात् इस माप की यथार्थता की सीमा 0-1 सेमी है जो साधारण पैमाने की अल्पतमांक है। दूसरे शब्दों में, छड़ की माप 2-3 सेमी की शुद्धता ± 0-1 सेमी है।
  • वर्नियर कैलीपर्स की अल्पतमांक 0.01 सेमी है, अतः यदि इसी छड़ की लम्बाई वर्नियर कैलीपर्स से नापने पर 2.34 सेमी आती है तो इसकी यथार्थता की सीमा 0:01 सेमी होगी अथवा इस माप 2.34 सेमी की शुद्धता ± 0.01 सेमी है। 
  • अतः किसी मापक यन्त्र की यर्थाथता की सीमा अथवा उसके द्वारा ली गयी माप की शुद्धता, उस यन्त्र की अल्पतमांक द्वारा निर्धारित होती है। मापक यन्त्र की अल्पतमांक जितनी छोटी होती है, मापक यन्त्र उतना ही अधिक शुद्ध (precise) कहा जाता है। किसी भी माप को सदैव उसके लिए प्रयुक्त मापक यन्त्र की यथार्थता की सीमा के अन्तर्गत ही व्यक्त करना चाहिए। उदाहरण के लिए, चित्र 2.6 में छड़ ab की लम्बाई साधारण पैमाने से मापी जा रही है जिसकी अल्पतमांक 0-1 सेमी है। अतः छड़ ab की लम्बाई 2-3 सेमी व्यक्त की जानी चाहिए। इसे अनुमान से 2.295 सेमी लिखना गलत तथा आपत्तिजनक है। साधारण पैमाने से हम केवल दशमलव के एक स्थान तक ही यथार्थता से नाप सकते हैं, अतः इससे नापी गयी लम्बाइयों को दशमलव के एक स्थान तक ही व्यक्त करना चाहिए। यदि किसी छड़ की लम्बाई ठीक 2 सेमी हो, तब ही हमें छड़ की लम्बाई 2-0 सेमी लिखनी चाहिए, क्योंकि उस दशा में हम दशमलव के बाद के एक शून्य के बारे में निश्चित हैं। इसे 2.00 सेमी लिखना भी आपत्तिजनक है, क्योंकि दशमलव के बाद के दूसरे शून्य का मापन इस यन्त्र से नहीं किया जा सकता है। यद्यपि अंकगणित की दृष्टि से 2 सेमी2-0 सेमी या 2-00 सेमी में कोई अन्तर नहीं है, परन्तु भौतिकी में सैद्धान्तिक रूप से तीनों व्यक्त लम्बाइयों में यथार्थता की सीमा अलग-अलग है। 

  • वर्नियर कैलीपर्स से हम लम्बाई सेमी में दशमलव के दूसरे स्थान तक नाप सकते हैं। अतः इसके द्वारा नापी गयी लम्बाइयों को दशमलव के बाद के दो स्थानों तक ही लिखना चाहिए। यदि इस यन्त्र से किसी छड़ की लम्बाई ठीक 2 सेमी ज्ञात होती है, तो उसे 2-00 सेमी लिखा जाना चाहिए। इसी प्रकार, यदि किसी अमीटर से, जिसकी अल्पतमांक 0.1 ऐम्पियर है, धारा प्रवाहित करने पर सुई का विक्षेप 1.3 ऐम्पियर चिह्न के समीप है, तो धारा का मान 1.3 ऐम्पियर ही लिखना चाहिए, न कि 1.30 अथवा 1.295 अथवा 1.325 ऐम्पियर; क्योंकि दशमलव के एक स्थान बाद के अंक यन्त्र द्वारा नहीं नापे गये हैं। 

संदिग्ध अंक (Doubtful digit)-

  • किसी माप को उसे नापने में प्रयुक्त यन्त्र की यथार्थता की सीमा के अन्तर्गत व्यक्त करने पर उस माप का अन्तिम अंक, संदिग्ध अंक (doubtful digit) कहलाता है। उदाहरण के लिए, यदि साधारण पैमाने से कोई लम्बाई 1.7 सेमी नापी गयी है, तो यह निश्चित है कि यह लम्बाई 1.65 सेमी से अवश्य ही अधिक तथा 1.75 सेमी से अवश्य ही कम होगी, क्योंकि तभी नापी जा रही वस्तु का एक सिरा पैमाने की शून्य की सीध में तथा दूसरा सिरा 17 सेमी के चिह्न के निकटतम प्रतीत होगा। यदि लम्बाई 1.65 सेमी से कम होती, तो दूसरा सिरा 17 सेमी के चिह्न की अपेक्षा 16 सेमी के चिह्न के अधिक निकट होता और तब पाठ 1-7 सेमी न लिखकर, 1.6 सेमी लिखा जाना चाहिए था। इसी प्रकार, यह पाठ 175 सेमी से कम इसलिए होगा कि अन्यथा यह पाठ 1.8 सेमी चिह्न के अधिक निकट होने के कारण 1.8 सेमी होता। अतः इस माप का अन्तिम अंक 7 संदिग्ध है। यह अंक वस्तु की लम्बाई के सम्बन्ध में केवल आकलन (estimate) देता है। इसके आगे के अंकों का हमें कोई ज्ञान नहीं होता है और इसके पहले के अंकों के प्रति हम निश्चित होते हैं. 

 

माप की यथार्थता तथा शुद्धता में अन्तर- 

  • किसी माप की यथार्थता उस माप तथा वास्तविक माप में अन्तर पर निर्भर करती है। यह अन्तर जितना कम होता है, माप उतनी अधिक यथार्थ होती है तथा अन्तर जितना अधिक होता है, माप उतनी कम यथार्थ होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी छड़ की वास्तविक माप 2.387 सेमी है। यदि एक यन्त्र A द्वारा इसकी माप 2-3 सेमी आती है तथा यन्त्र B द्वारा इसकी माप 2.27 सेमी आती है तो यन्त्र A की माप यन्त्र B की माप की अपेक्षा अधिक यथार्थ है।

 

माप की यथार्थता को प्रतिशत में निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं : 

माप की यथार्थता = वास्तविक माप ली -गयी माप / वास्तविक माप ×100%

 

इसके विपरीत, किसी माप की शुद्धता उस माप की यथार्थता की सीमा (या अल्पतमांक) पर निर्भर करती है। अल्पतमांक जितनी छोटी होती है, माप की शुद्धता उतनी ही अधिक होती है। उपर्युक्त उदाहरण में यन्त्र B की माप 2.27 सेमी, यन्त्र A की माप 2.3 सेमी से अधिक शुद्ध है।

 

 मापन में त्रुटियाँ (Errors in Measurement) 

किसी भी भौतिक राशि का निरपेक्ष मापन असम्भव है, क्योंकि प्रत्येक मापक यन्त्र की तथा प्रत्येक मापनकर्ता की यथार्थता की एक सीमा होती है। किसी मापन की अनिश्चितता को ही उस मापन की त्रुटि कहते हैं। त्रुटियों के प्रकार-किसी मापन में दो प्रकार की त्रुटियाँ निम्नलिखित हैं: 

(1) वर्गीकृत त्रुटियाँ, तथा (2) यादृच्छिक त्रुटि ।

( यन्त्र की बनावट, अपूर्ण तकनीक, मापन के समय, भौतिक राशि में परिवर्तन तथा मापनकर्ता की व्यक्तिगत त्रुटि के कारण होने वाली त्रुटियों को वर्गीकृत त्रुटियाँ कहते हैं। इस प्रकार, वर्गीकृत त्रुटियाँ निम्नलिखित हैं :

 

1) वर्गीकृत त्रुटियाँ (Systematic errors) 

यन्त्रीय त्रुटि, (ii) बाह्य त्रुटि, (iii) अपूर्ण त्रुटि, तथा (iv) व्यक्तिगत त्रुटि ।

 

(i) यन्त्रीय त्रुटि (Instrumental error) 

यह त्रुटि यन्त्र की बनावट के कारण होती है। यह त्रुटि निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है : 

(A) शून्यांक त्रुटि, (B) अल्पतमांक त्रुटि, तथा (C) अचर त्रुटि।

 

(A) शून्यांक त्रुटि (Zero error)- 

यह त्रुटि यन्त्र में शून्य के निशान के बनाने में हुई गलती के कारण होती है। उदाहरण के लिए, वर्नियर कैलीपर्स में, यदि दोनों जबड़ों को आपस में मिलाने पर मुख्य स्केल का शून्य तथा वर्नियर स्केल का शून्य सम्पाती नहीं होता है, तो हम कहते हैं कि वर्नियर कैलीपर्स में शून्यांक त्रुटि है। इसे दूर करने के लिए प्रेक्षित पाठ में से चिह्न सहित शून्यांक त्रुटि घटाकर वास्तविक पाठ ज्ञात किया जाता है।

 

(B) अल्पतमांक त्रुटि (Least count error)- 

प्रत्येक मापक यन्त्र की यथार्थता की एक सीमा होती है जो उसकी अल्पतमांक द्वारा निर्धारित होती है। अतः प्रत्येक मापन को चाहे जितना ध्यानपूर्वक लें, उसमें यन्त्र की यथार्थता की सीमा के कारण कुछ त्रुटि तथा अनिश्चितता (uncertainty) अवश्य रहती है। मापक यन्त्र की अल्पतमांक के कारण मापन की त्रुटि को सम्भावित त्रुटि अथवा अनुमेय त्रुटि कहते हैं। इसे प्रायः प्रतिशत में व्यक्त करते हैं।

(C) अचर त्रुटि (Constant error) 

मापक यन्त्र में गलत अंशांकन (calibration) के कारण होने वाली त्रुटि को अचर त्रुटि कहते हैं। यदि किसी मापक यन्त्र में गलत चिह्न लगे होते हैं, तो उस यन्त्र से बार-बार प्रेक्षण लेने पर भी त्रुटि दूर नहीं हो पाती है तथा प्रत्येक प्रेक्षण में त्रुटि उतना ही रहती है। इस त्रुटि से बचने के लिए अच्छे मापक यन्त्रों का उपयोग करना चाहिए।

 

(ii) बाह्य त्रुटि (External error) - 

बाह्य भौतिक परिस्थितियों, जैसे दाब, ताप, वायु आदि के बदलने के कारण किसी भौतिक राशि पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण होने वाली त्रुटि को बाह्य त्रुटि कहते हैं। उदाहरण के लिए, ताप बढ़ने से ध्वनि की चाल बढ़ जाती है, लोलक वाली घड़ी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने से इसका आवर्तकाल बदल जाता है जिससे घड़ी सुस्त या तेज हो जाती है। इस त्रुटि के निवारण के लिए माप में उचित संशोधन लगाना चाहिए।

 

(iii) अपूर्ण त्रुटि (Error due to imperfection) - 

यह त्रुटि उपकरण की अपूर्णता के कारण होती है। उदाहरण के लिए, कैलोरीमापन के प्रयोग में विकिरण द्वारा ऊष्मा हानि के कारण होने वाली त्रुटि, सरल लोलक के प्रयोग में वायु के घर्षण के कारण होने वाली त्रुटि अपूर्ण त्रुटि हैं। इस प्रकार की त्रुटि का सही आकलन करना कठिन होता है।

 

(iv) व्यक्तिगत त्रुटि (Personal error) - 

यन्त्रों का पाठ उचित प्रकार से न लेने के कारण होने वाली त्रुटि को व्यक्तिगत कहते हैं। उदाहरण के लिए, पैमाने के ठीक लम्बवत् आँख रखकर पाठ न लेने के कारण होने वाली विस्थापनाभास त्रुटि । 

त्रुटि वर्गीकृत त्रुटियों को कम करने के लिए कम-से-कम अल्पतमांक वाले एवं सही अंशांकन व त्रुटि रहित मापक यन्त्र का उपयोग करना चाहिए तथा पाठ लेते समय व्यक्तिगत त्रुटि से बचना चाहिए।

 

(2) यादृच्छिक त्रुटि (Random error) 

  • यदि कोई मापनकर्ता किसी भौतिक राशि की माप अनेक बार लेता है तथा प्रत्येक बार अलग-अलग पाठ प्राप्त होते हैं, तो इस प्रकार की त्रुटि को यादृच्छिक त्रुटि कहते हैं। इस त्रुटि का कोई निश्चित कारण नहीं होता है। यह त्रुटि धनात्मक या ऋणात्मक दोनों प्रकार की हो सकती है। जब प्रेक्षित माप, वास्तविक माप से कम आती है, तो यह त्रुटि ऋणात्मक होती है तथा जब प्रेक्षित मापवास्तविक माप से अधिक आती है, तो यह त्रुटि धनात्मक होती है। प्रायः यादृच्छिक त्रुटि बहुत अधिक नहीं होती है। 

  • यदि एक ही राशि को अनेक बार नापा जाए तो इनमें से लगभग आधी मापों में यादृच्छिक त्रुटि धनात्मक होगी तथा आधी मापों में यादृच्छिक त्रुटि ऋणात्मक होगी। अतः इन सभी मापों का समान्तर माध्य (arithmetic mean) लेने से माध्य माप, लगभग वास्तविक माप के बराबर होगी। 
  • अतः यादृच्छिक त्रुटि को कम करने के लिए एक ही राशि को अनेक बार नापा जाता है तथा फिर इन सभी मापों का माध्य मान ज्ञात कर लेते हैं। 

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