बल की अवधारणा (Intuitive Concept of Force)
- यह हमारा दैनिक जीवन का अनुभव है कि किसी भी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए किसी बाह्य 'प्रभाव' की आवश्यकता होती है, जिसे बल (Force) कहते हैं। उदाहरण के लिए, भारी बण्डल को खिसकाने के लिए हम अपनी माँसपेशियों पर तनाव डालकर बण्डल को धकेलते हैं अर्थात् हम बण्डल पर बल लगाते हैं। चुम्बक, कील पर बल लगाता है। पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है, अर्थात् पृथ्वी प्रत्येक वस्तु पर एक बल आरोपित करती है। अत: बल वह धकेल (Push) अथवा खिंचाव (Pull) है जो किसी वस्तु में गति उत्पन्न करता है। इस प्रकार, बल तथा गति में गहरा सम्बन्ध है।
वस्तु पर लगने के आधार पर बल, को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:
(1) संस्पर्श बल (Contact forces)
जो वस्तु को वास्तव में स्पर्श करके आरोपित होते हैं, जैसे-घर्षण बल, तनाव बल, प्रतिक्रिया बल, प्रत्यानयन बल तथा दो कणों की टक्कर में उनके मध्य अन्योन्य बल, तथा
(2) दूरी पर लगने वाले बल (Forces at a distance or non-contact forces)
- जो वस्तु पर दूरी से ही आरोपित होते हैं, जैसे-गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत् बल तथा चुम्बकीय बल । गैलीलियो का प्रयोग (Galileo's Experiment) - यह हमारा दैनिक जीवन का अनुभव है कि यदि हम किसी मेज पर रखी गेंद को धीरे से धक्का देकर चलाएँ, तो हम देखते हैं कि गेंद की चाल धीरे-धीरे घटती है और अन्त में गेंद रुक जाती है। इसी प्रकार, चलती साइकिल पर पैडल मारना बन्द करने पर साइकिल की गति धीरे-धीरे कम होती जाती है तथा अन्ततः कुछ दूरी चलकर साइकिल रुक जाती है। अतः गैलीलियो से पहले वैज्ञानिकों का विचार था कि किसी वस्तु को गतिमान रखने के लिए उस पर बाह्य बल लगातार लगाए रखना पड़ता है। गैलीलियो ने इस बात को सही नहीं माना। उन्होंने कहा कि यदि हम मेज का तल चिकना कर लें (अर्थात् घर्षण कम कर लें) तो गेंद अधिक दूरी तक गतिमान रहती है। इसका अर्थ है कि गेंद, घर्षण बल के कारण रुकती है। यदि घर्षण बिल्कुल नहीं हो (जो कि असम्भव है), तो गेंद सदैव ही चलती रहेगी। उसे चलाए रखने के लिए किसी बाह्य बल की आवश्यकता नहीं होगी।
बल के प्रभाव (Effects of force)
किसी
वस्तु पर बल लगाने पर वह निम्नलिखित तीन प्रभाव उत्पन्न कर सकता है :
(1) वस्तु के आकार को बदल सकता है,
(2) गतिमान वस्तु को रोक सकता है अथवा स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न कर सकता है,
(3) गतिमान
वस्तु की चाल बदल सकता है, अथवा उसकी गति की दिशा को बदल सकता है, अथवा
उसकी चाल तथा गति की दिशा दोनों को बदल सकता है।
बल, गतिमान वस्तु को रोक सकता है अथवा स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न कर सकता है-
- जब बल एक ऐसी दृढ़ स्थिर वस्तु पर लगाया जाता है जो चलने के लिए स्वतन्त्र है तो वह चलने लगती है। इसी प्रकार, किसी चलती हुई वस्तु पर गति की दिशा के विरुद्ध बल लगाकर उसे रोका जा सकता है। उदाहरण के लिए, मेज पर रखी गेंद को धीरे से धकेलने पर वह चलने लगती है। इसी प्रकार, क्रिकेट के खेल में एक गतिमान गेंद को फील्डर (क्षेत्ररक्षक) हाथ लगाकर रोक लेता है।
बल, गतिमान वस्तु की चाल अथवा गति की दिशा अथवा चाल व गति की दिशा दोनों बदल सकता है-
- एक गतिमान वस्तु पर गति की दिशा में बल लगाकर उसकी चाल बढ़ायी जा सकती है तथा गति की दिशा के विपरीत बल लगाकर उसकी चाल घटायी जा सकती है। इसी प्रकार, गतिमान वस्तु की गति की दिशा से किसी अन्य दिशा में बल लगाकर वस्तु की चाल अथवा गति की दिशा या चाल व गति की दिशा दोनों बदली जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, हॉकी के खेल में खिलाड़ी, गतिमान गेंद पर हॉकी लगाकर उसकी चाल व गति की दिशा दोनों बदल लेता है। साइकिल पर पैडल मारने से साइकिल की चाल बढ़ जाती है।