बल की परिभाषा (Definition of force)
बल वह धकेल या खिंचाव है जो किसी वस्तु में गति उत्पन्न करता है। दूसरे शब्दों में, "बल वह बाह्य कारक है जो वस्तु की विराम अवस्था में अथवा गति अवस्था में अथवा उसके आकार व आकृति में परिवर्तन करता है या परिवर्तन करने की चेष्टा करता है।" यह बल की गुणात्मक परिभाषा है।
जड़त्व (Inertia)
- यह हमारे दैनिक जीवन का अनुभव है कि किसी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए बल की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, मेज को खिसकाने के लिए हम अपनी माँसपेशियों पर तनाव डालकर मेज को धकेलते हैं, अर्थात् हम मेज पर बल लगाते हैं। इसी प्रकार, हॉकी के खेल में गेंद को चलाने के लिए गेंद पर छड़ी से टक्कर मारकर बल लगाते हैं। स्पष्ट है कि यदि बल न लगाया गया होता, तो वस्तु (मेज या गेंद) गति में नहीं आती। अतः प्रत्येक वस्तु का एक गुण होता है जिसके कारण स्थिर वस्तु सदैव स्थिर अवस्था में ही रहती है जब तक कि उस पर बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। वस्तु का यह गुण जड़त्व कहलाता है। इसी प्रकार यदि एक गेंद घर्षण रहित फर्श पर लुढ़क रही है तो वह उसी वेग से उसी दिशा में तब तक गतिमान रहेगी जब तक कि उसे बाह्य बल लगाकर रोका न जाए (यद्यपि व्यवहार में हम पाते हैं कि गेंद कुछ दूरी तय करने के उपरान्त रुक जाती है।
- इसका कारण फर्श तथा गेंद के बीच गति विरोधी घर्षण बल है। यदि घर्षण बल शून्य है (जो कि असम्भव है) तो गेंद समान वेग से अनवरत गतिमान रहेगी। अतः प्रत्येक वस्तु का एक गुण होता है जिसके कारण गतिमान वस्तु सदैव उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान अवस्था में रहती है जब तक कि उसे रोकने के लिए उस पर बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। वस्तु का यह गुण जड़त्व कहलाता है।
- इस प्रकार, किसी वस्तु में अपनी स्थिर अवस्था गति अवस्था में परिवर्तन का विरोध करने के गुण को जड़त्व कहते हैं।
जड़त्व के प्रकार-जड़त्व दो प्रकार का होता है: (1) विराम का जड़त्व, तथा (2) गति का जड़त्व।
(1) विराम का जड़त्व (Inertia of rest)
- यदि कोई वस्तु स्थिर है, तो वह सदैव स्थिर ही रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए। वस्तु के इस गुण को विराम का जड़त्व कहते हैं। इस प्रकार, बाह्य बल की अनुपस्थिति में रखी वस्तु अपनी विरामावस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।
उदाहरण (Examples)-
(i) रेलगाड़ी या बस के अचानक चलने पर उसमें बैठा यात्री पीछे की ओर गिर जाता है- प्रारम्भ में रेलगाड़ी या बस के रुके होने पर उसमें बैठा यात्री विरामावस्था में होता है। रेलगाड़ी या बस के अचानक चलने पर यात्री के पैर तो गाड़ी के सम्पर्क में होने के कारण गाड़ी के समान वेग से चलने लगते हैं, परन्तु यात्री के शरीर का ऊपरी भाग विराम के जड़त्व के कारण स्थिर हो रहता है जिससे वह पीछे की ओर गिर जाता है।
(ii) कम्बल को छड़ी से पीटने से या हाथ में लेकर झटका देने से उसके धूल के कण अलग हो जाते हैं- कम्बल को पीटने से या झटका देने से, कम्बल के उस भाग में तो अचानक गति आ जाती है, जहाँ छड़ी, कम्बल से टकराती है, परन्तु विराम के जड़त्व के कारण कम्बल में लगे धूल के कण स्थिर अवस्था में ही रह जाते हैं। अत: कम्बल का वह भाग, धूल के कणों को छोड़कर आगे चला जाता है तथा धूल के कण पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण कम्बल के उस भाग से अलग होकर नीचे गिर जाते हैं।
(iii) यदि एक गिलास को कार्ड से ढककर कार्ड के ऊपर एक सिक्का रख दें तथा कार्ड को तेजी से धक्का दिया जाए, तो सिक्का गिलास में गिर जाता है- इसका कारण यह है कि प्रारम्भ में कार्ड तथा उस पर रखा सिक्का दोनों विरामावस्था में होते हैं। कार्ड को तेजी से धक्का देने पर कार्ड तो गति अवस्था में आ जाता है, लेकिन सिक्का विराम के जड़त्व के कारण विरामावस्था में ही रहता है। इस प्रकार कार्ड, सिक्के से अलग होकर आगे बढ़ जाता है तथा सिक्का गुरुत्वाकर्षण के कारण गिलास में गिर जाता है। (iv) पेड़ को हिलाने से पके फल टूटकर नीचे गिर जाते हैं- पके हुए फलों से लदे पेड़ की डालियाँ हिलाने पर डालियाँ तो गति में आ जाती हैं, लेकिन विराम के जड़त्व के कारण फल स्थिर ही बने रहते हैं। अत: डाली से लगे फल टूटकर (अथवा अलग होकर) गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे गिर जाते हैं।
(v) बन्दूक के छरें (अथवा गोली) से खिड़की के काँच में एक स्पष्ट छेद बन जाता है, लेकिन काँच नहीं टूटता है-खिड़की के काँच पर बन्दूक का छर्रा (अथवा गोली) यदि तीव्र गति से आता हुआ टकराता है, तो खिड़की के काँच का केवल वह भाग, जहाँ छर्रा टकराता है, गतिमान होकर अलग निकल जाता है तथा शेष भाग विराम के जड़त्व के कारण स्थिर ही बना रहता है। इस प्रकार काँच में एक स्पष्ट छेद बन जाता है।
ध्यान रहे कि यदि छर्रा या गोली कम वेग से काँच से टकराता है तो काँच के उस भाग, जहाँ छर्रा टकराता है, के अतिरिक्त आस-पास का भाग भी गतिमान हो जाता है, लेकिन काँच के भिन्न-भिन्न भागों की गति भिन्न-भिन्न होती है, फलतः काँच चटक जाता है।
(2) गति का जड़त्व (Inertia of motion)
यदि कोई वस्तु चल रही है, तो वह उसी चाल से उसी सरल रेखा में चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए। वस्तु के इस गुण को गति का जड़त्व कहते हैं। इस प्रकार, बाह्य बल की अनुपस्थिति में गतिमान वस्तु अपनी गति अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।
उदाहरण (Examples)-
(i) चलती हुई गाड़ी को अचानक रोक देने पर यात्री का सिर आगे की ओर झुक जाता है-चलती हुई गाड़ी को अचानक रोक देने पर गाड़ी के सम्पर्क में होने के कारण यात्री के शरीर के नीचे का भाग तो विराम अवस्था में आ जाता है, परन्तु शरीर के ऊपर का भाग (सिर) गति के जड़त्व के कारण उसी वेग से आगे की ओर चलने का प्रयत्न करता है जिससे उसका सिर आगे की ओर झुक जाता है।
(ii) चलती गाड़ी से कूदने पर मनुष्य को गाड़ी के चलने की दिशा में कुछ दूर तक दौड़ना पड़ता है-गाड़ी से कूदते समय मनुष्य के शरीर का वेग, गाड़ी के वेग के बराबर होता है। उतरते ही जमीन के सम्पर्क में आकर उसके पैरों का वेग तो शून्य तो जाता है, लेकिन गति के जड़त्व के कारण उसके शरीर का ऊपरी भाग सामने की ओर चलता रहता है। अतः मनुष्य सामने की ओर गिर सकता है। परन्तु यदि मनुष्य सामने की दिशा में (गाड़ी जिधर जा रही है) थोड़ी दूर तक दौड़ता रहता है, तो उसके पैर भी शरीर के साथ गतिमान रहते हैं और वह गिरने से बच जाता है।
(iii) यदि हथौड़ा हत्थे से ढीला हो, तो उसके हत्थे को पृथ्वी पर ऊर्ध्वाधर पटकने से हथौड़ा हत्थे में कस जाता है- ऊर्ध्वाधर नीचे पटकने पर पहले तो हथौड़ा तथा हत्था दोनों ही नीचे की ओर चलते हैं। जमीन से लगते ही हत्था तो विराम अवस्था में आ जाता है, लेकिन हथौड़ा अपने गति के जड़त्व के कारण चलता ही रहता है और हत्थे में कस जाता है।
(iv) लम्बी कूद के खिलाड़ी कुछ दूर से दौड़कर कूदते हैं-इसका कारण यह है कि खिलाड़ी कूदने से पहले कुछ दूरी दौड़कर अपने में गति का जड़त्व प्राप्त कर लेता है जिससे उसे कूदने में सहायता मिले तथा वह अधिक दूरी तक कूद सके।
(v) चलती गाड़ी में बैठे व्यक्ति द्वारा एक सिक्का ऊपर उछालने पर वह पुनः उस व्यक्ति के हाथ में ही वापस आ जाता है-चलती गाड़ी में बैठे व्यक्ति तथा सिक्के दोनों का क्षैतिज वेग, गाड़ी के वेग के समान होता है तथा दोनों ही गति अवस्था में होते हैं। अत: सिक्के को ऊपर उछालने पर जितने समय में वह वापस नीचे आता है, उतने समय में सिक्के तथा व्यक्ति द्वारा क्षैतिज वेग से चली दूरी समान होती है, जिससे सिक्का पुनः फेंकने वाले व्यक्ति के हाथ में ही आकर गिरता है।