पेशी तन्तु की संरचना आन्तरांगीय एवं हृदयी पेशियाँ | Muscle Fibre and Cardiac Muscle

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 पेशी तन्तु की संरचना आन्तरांगीय एवं हृदयी पेशियाँ

पेशी तन्तु की संरचना आन्तरांगीय एवं हृदयी पेशियाँ



कंकालीय पेशी तन्तु की संरचना (Structure of Skeletal Muscle Fibre) 

  • बोमेन (Bowman, 1940) के अनुसार पेशी तन्तु के बाह्य आवरण को सार्कोलेमा (Sarcolemma) कहते हैं। सार्कोलेमा तीन पर्तों की बनी होती है-बाह्य ग्लाइकोप्रोटीन पर्तमध्य तन्तुमय झिल्ली तथा आन्तरिक प्लाज्मा झिल्ली।

 

  • पेशी तन्तु के कोशिकाद्रव्य को सार्कोप्लाज्म (Sacroplasm) कहते हैं (Rollet, 1891)। सार्कोप्लाज्म में अनेक केन्द्रक होते हैं जो यह दशति हैं कि पेशी तन्तु सिन्साइसियल (Syncytial) संरचना वाले होते हैं। वास्तव में पेशी तन्तुओं का निर्माण भ्रूणीय विकास के दौरान अनेक मायोब्लास्ट्स (Myoblasts) के समेकन से होता है।  पेशी तन्तु के सार्कोप्लाज्म में केन्द्रकों के अतिरिक्त अन्य कोशिकीय अंगक (Organelles); जैसे-माइटोकॉण्ड्रिया या सार्कोसोम (Sarcosome), एण्डोप्लाज्मिक या सार्कोप्लाज्मिक जाल (Sarcoplasmic reticulum), गॉल्जी काय (Golgi body), लाइसोसोम (Lysosomes), राइबोसोम (Ribosomes) पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त मायोग्लोबिन (Myoglobin), मायोजेन (Myogen) तथा मायोएल्ब्यूमिन (Myoalbumen) नामक तीन घुलनशील प्रोटीन भी सार्कोप्लाज्म में पायी जाती हैं।

 

  • सार्कोप्लाज्म में अनेक पेशी तन्तुकों (Myofibrils) के लम्बवत् समूह पाये जाते हैं। ये पेशी तन्तुक एक्टिन (Actin) तथा मायोसिन (Myosin) नामक पेशी प्रोटीन की छड़ों (Myofilaments) के बने होते हैं। ये मायोफिलामेन्ट ही पेशियों के संकुचनशील घटक (Contractile elements) होते हैं। पेशी तन्तुकों में एक्टिन तथा मायोसिन की बनी छड़ों की विशिष्ट व्यवस्था के कारण तन्तुकों की पूरी लम्बाई में एकान्तरिक हल्की तथा गहरी पट्टियाँ (Light and Dark bands) दिखायी देती हैं। हल्की पट्टी को आइसोट्रॉपिक या आई-पट्टी (Isotropic or l-band) तथा गहरी पट्टी को एनाइसोट्रॉपिक या ए-पट्टी (Anisotropic or A-band) कहते हैं। हल्की आई-पट्टी के मध्य में एक गहरी रेखा दिखायी देती है जिसे जेड-रेखा या डोबीस रेखा या लाउस झिल्ली (Z-line or Zwischenscheibe or Dobiese line or Krause's membrane) कहते हैं। गहरी ए-पट्टी के मध्य में एक हल्का क्षेत्र दिखायी देता है जिसे हेन्सेन की डिस्क या एच-क्षेत्र (Hensen's disc or H-zone) कहते हैं। दो जेड-रेखाओं के मध्य के भाग को सार्कोमियर (Sarcomere) कहते हैं। 
  • गहरी ए-पट्टी वाले भाग में मायोसिन प्रोटीन की बनी मोटी छड़ें तथा हल्की आई-पट्टी वाले भाग में ऐक्टिन प्रोटीन की बनी पतली छड़ें पायी जाती हैं। प्रत्येक मायोसिन छड़ छः ऐक्टिन छड़ों से घिरी रहती है। दो पास-पास के सार्कोमियर की ऐक्टिन छड़ों के समेकन से जेड-रेखा बनती है।

 

आन्तरांगीय पेशियाँ (Visceral Muscles) 

  • इन पेशियों का सम्बन्ध आहार नालश्वसननालमूत्राशयगर्भाशयरक्त वाहिकाओं तथा त्वचा की चर्म आदि से होता है अत: इन्हें आन्तरांगीय पेशियाँ (Visceral muscles) कहते हैं। कार्य में ये पेशियाँ अनैच्छिक होती अत: इन्हें अनैच्छिक पेशियाँ (Involuntary muscles) भी कहते हैं। चूंकि इन पेशियों में पट्टियाँ (Bands) नहीं पायी जाती है अतः इन्हें अरेखित या चिकनी पेशी (Unstriated or Smooth muscle) भी कहते हैं।

 

  • आंतरांगीय पेशी तन्तु एक-एक करके (Singly) पाये जाते हैं अथवा ये सामान्य संयोजी ऊतक में छोटे-छोटे समूहों में पायी जाती हैंजैसे आन्त्रीय रसांकुरों (Intestinal villi) की लेमिना प्रोप्रिया (Lamina propria) में जहाँ इनके संकुचन से रसांकुर छोटे हो जाते है जिससे लैक्टियल्स (Lacteals) से लसिका (Lymph) निष्कासन में मदद मिलती है। 

 

इस प्रकार पेशी तन्तुओं की व्यवस्था के आधार पर आंतरांगीय पेशियों को निम्नलिखित दो प्रकारों में बाँटा गया है- 

(i) बहुइकाई आंतरांगीय पेशी (Multiunit visceral muscles)-

  • इस प्रकार की पेशी में प्रत्येक पेशी तन्तु एक स्वतन्त्र इकाई के रूप में होता है तथा ये तन्त्रिजनिक (Neurogenic) होती हैजैसे त्वचा को एरेक्टर पिलाई (Arrecter pilli), नेत्रों की सौलियरी (Ciliary) आइरिस तथा (Iris) पेशियाँ।

 

(ii) एकल इकाई आंतरांगीय पेशी (Single unit visceral muscles) - 

  • इस प्रकार की पेशी में अनेक पेशी तन्तु एकत्रित होकर एक क्रियात्मक समूह बना लेते हैं और अन्तराल सन्धियों (Gap junctions) द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं तथा एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। ये पेशियाँ स्वप्रेरण द्वारा संकुचित होती हैंजैसे - आहार नालश्वासनालमूत्राशय की पेशियाँ । 
  • आन्तरांगीय पेशी के पेशी तन्तु छोटेतर्कुरूपी होते हैं जिनके मध्य में केन्द्रक पाया जाता है। इन तन्तुओं की सार्कोलेमा केवल प्लाज्मा झिल्ली की बनी होती है। 
  • आंतरांगीय पेशियों की संकुचनशीलता भी ऐक्टिन तथा मायोसिन प्रोटीन छड़ों के कारण होती हैं परन्तु ये छड़ें अत्यन्त छोटी होती हैं और पेशी तन्तुक नहीं बनातीं अपितु ये सार्कोप्लाज्म में जाल बनाती हैं। मायोसिन छड़ों की संख्या ऐक्टिन छड़ों की अपेक्षा बहुत कम होती है। 
  • अरेखित पेशियों को तन्त्रिकीय आपूर्ति स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Auto-nomic nervous system) से होती है।

 

हृदयी पेशियाँ (Cardiac Muscles)

  • हृदय में पायी जाती हैं। ये पेशियाँ अनियमितशाखान्वित तथा विकृत बाह्य रेखा वाली होती हैं। इनकी शाखान्वित पेशी कोशिकाएँ एक-दूसरे से मिलकर जाल बना लेती हैं। पेशी तन्तुओं के सन्धि स्थल को अन्तर्विष्ट पट्टी (Intercalated disc) कहते हैं। ये अन्तर्विष्ट पट्टियाँ गहरी अनुप्रस्थ रेखाओं के रूप में दिखायी देती हैं। 
  • हृदयी पेशियों की सार्कोलेमा कंकालीय पेशियों के समान होती है परन्तु इनमें सार्कोप्लाज्म की मात्रा अधिक होती है तथा माइटोकॉण्ड्रिया प्रचुर संख्या में पाये जाते हैं। हृदयी पेशियों में कंकालीय पेशियों की भाँति धारियाँ दिखायी देती हैं परन्तु ये क्रियात्मक रूप से अनैच्छिक होती हैं। इनमें संकुचन कंकालीय पेशियों की तरह होता है परन्तु ये संकुचन में अधिक समय लेती हैं।

 

पेशी प्रोटीन (Muscle Protein) 

पेशियों का 20% भाग पेशी प्रोटीन बनाती हैं। ये पेशी प्रोटीन अग्रलिखित प्रकार की होती हैं- 

मायोसिन (Myosin) -

  • मायोसिन छड़ (Myofilaments) बनाने वाली ग्लोब्यूलिन प्रोटीन है जिसका अणुभार 4,20,000 होता है। इसमें 2 वृहद एवं 4 लघु श्रृंखलाएँ होती हैं। मायोसिन प्रोटीन का अणु टैडपोल की तरह होता है जो दो भागों का बना होता है। शीर्ष भाग (Head) भारी मीरोमायोसिन (Heavy meromyosin या HMM) तथा पुच्छ भाग (Tail) हल्के मीरोमायोसिन (Light meromyosin या LMM) का बना होता है। 
  • अणुभार वाली ग्लोब्यूलर तथा 60,000 अणुभार वाली हेलिकल (Helical या HMM-S2)। ग्लोब्यूलर उप-इकाई में एक अन्य प्रोटीन होती है जिसे एल एम पी (LMP) कहते हैं जिसका अणुभार 20,000 होता है। यह प्रोटीन वास्तव में एटीपेज एन्जाइम (ATPase) का कार्य करती है। 
  • मायोसिन प्रोटीन अणु का शीर्ष भाग सेतु बन्धनों (Cross bridges) का कार्य करता है। ये सेतु बन्धन एक्टिन छड़ों के विपरीत व्यवस्थित होते हैं।

 

(ii) एक्टिन (Actin) -

  • एक्टिन छड़ (Myofilament) बनाने वाली एक्टिन प्रोटीन का अणु द्विकुण्डलनी (Double helix) होता है जिसका अणुभार 60,000 होता है एक्टिन दो रूपों में पायी जाती है-ग्लोब्यूलर जी-एक्टिन (Globular G-actin) तथा फाइब्रस एफ-एक्टिन (Fibrous F-actin). 
  • जी-एक्टिन के अणु ATP की सहायता से आपस में जुड़कर एफ-एक्टिन बनाते हैं।  
  • इस प्रकार से बनी G-ऐक्टिन की दो श्रृंखलाएँ (अर्थात् दो एफ-एक्टिन) आपस में कुण्डलित होकर एक्टिन अणु का निर्माण करते हैं जिसके प्रत्येक चक्र में 13 जी-एक्टिन अणु पाये जाते हैं।

(iii) ट्रोपोमायोसिन (Tropomyosin)  - 

  • यह भी एक द्विकुण्डलिनी प्रोटीन है जो एक्टिन प्रोटीन की दोनों एफ-एक्टिन धागों (Strands) के मध्य पायी जाती है। इसका अणुभार 70,000 होता है। इसके दोनों धागे ट्रोपोमायोसिन प्रोटीन के बहुलक होते हैं।

 

(iv) ट्रोपोनीन (Troponin) - 

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  • एक्टिन प्रोटीन अणु पर 30.5 nm की दूरी पर 80,000 अणुभार वाली एक अन्य प्रोटीन सम्बद्ध होती है जिसे ट्रोपोनीन कहते हैं। वास्तव में यह प्रोटीन तीन पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं की बनी होती है जिन्हें TPI (अणुभार 24,000), TNC (अणुभार 18,000) तथा TNT (अणुभार 37,000) के नाम से जाना जाता है। TPI निरोधक का, TNC कैल्शियम बन्धन का तथा INT ट्रोपोमायोसिन बन्धन का कार्य करती है। ट्रोपोनीन तथा ट्रोपोमायोसिन का एक कॉम्प्लेक्स सात एक्टिन एकलकों (Monomers) के क्रियाकलापों का नियमन करता है। 

रासायनिक संघटन (Chemical composition) -

  • 20% प्रोटीन्स के अतिरिक्त पेशियों में 75% जल तथा 5% ग्लाइकोजेन, Ca, Mg, ATP तथा फॉस्फाजेन्स पाये जाते हैं। 

फॉस्फाजेन्स (Phosphagens) - 

  • ऊर्जा प्रचुर यौगिक (Energy rich compounds) होते हैं जिनकी ऊर्जा का उपयोग ADP को ATP में बदलने में किया जाता है। कशेरुकी जन्तुओं में फॉस्फोक्रियेटिन (Phosphocreatine) तथा अकशेरुकी जन्तुओं में फॉस्फोअर्जिनीन (Phosphoarginine) के रूप में फॉस्फाजेन्स पाये जाते हैं। 
  • क्रिएटिन फॉस्फोकाइनेज (Creatine phosphokinase) या CPK एन्जाइम उच्च ऊर्जा वाले फॉस्फेट (High energy PO4) को क्रिएटिन फॉस्फेट से ADP को स्थानान्तरित करने में उत्प्रेरक का कार्य करता है।

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