मापन की आवश्यकता
Need of Measurement in Hindi
मापन की आवश्यकता (Need of Measurement)
- भौतिकी में हम द्रव्य और ऊर्जा तथा उनकी पारस्परिक अभिक्रियाओं का अध्ययन करते हैं। द्रव्य का ज्ञान हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा करते हैं। उदाहरण के लिए, आँख द्वारा देखकर वस्तु के रंग, रूप एवं विस्तार का ज्ञान; नाक द्वारा उसकी सुगन्ध तथा कान द्वारा उसके द्वारा उत्पन्न ध्वनि (यदि कोई हो) के विषय की जानकारी प्राप्त होती है, लेकिन हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ केवल भौतिक राशियों का तुलनात्मक अध्ययन ही कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, दो छड़ों को देखकर हम केवल यही बता सकते हैं कि कौन-सी छड़ अधिक लम्बी है। हम उनकी सही लम्बाई नहीं बता सकते हैं। दो विभिन्न ताप वाली वस्तुओं को हाथ से छूकर केवल यह बता सकते हैं कि कौन-सी वस्तु अधिक या कम गर्म है। हम उनका सही ताप नहीं बता सकते हैं। इसी प्रकार, दो पिण्डों को अलग-अलग हाथ में उठाकर हम केवल यह बता सकते हैं कि कौन-सा पिण्ड भारी है। हम उनका सही द्रव्यमान (या भार) नहीं बता सकते हैं। अतः केवल ज्ञानेन्द्रियों द्वारा किसी राशि के परिमाण की सही-सही जानकारी प्राप्त कर सकना असम्भव है।
- यदि दो वस्तुएँ लगभग समान आकार की हैं तो उनके छोटे-बड़े की पहचान करना बिना मापन किये सम्भव नहीं है।
- स्पष्टतः भौतिक राशि के परिमाणात्मक ज्ञान के लिए मापन अत्यन्त आवश्यक है। वास्तव में, मापन, विज्ञान की जड़ है।
वह राशि जिसकी माप की जा सकती है, भौतिक राशि कहलाती है।
मापन के लिए मात्रक (Units for Measurement)
- किसी भौतिक राशि का एक ज्ञात नियत मानक राशि से तुलना करना मापन कहलाता है, अर्थात् किसी भौतिक राशि के मापन के लिए उस राशि के एक निश्चित परिमाण को मानक (standard) मान लेते हैं तथा यह देखते हैं कि उस दी गयी राशि में यह मानक राशि कितनी बार शामिल है। इस मानक राशि को ही मात्रक (unit) कहते हैं। अतः मात्रक, एक नियत परिमाण की वह राशि है जिसकी सहायता से उसी प्रकार की अन्य भौतिक राशियों का मापन किया जाता है.
किसी भी भौतिक राशि की माप को व्यक्त करने के लिए निम्न दो बातें ज्ञात होनी चाहिए:
(1) मात्रक (Unit)-जिसमें वह भौतिक राशि नापी जाती है।
- (2) संख्यात्मक मान (Numerical value)- जो यह बताता है कि उक्त मात्रक उस भौतिक राशि में कितनी बार शामिल है। उदाहरण के लिए, यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान 5 किलोग्राम है तो इसका तात्पर्य है कि द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है तथा उस वस्तु के द्रव्यमान में यह मात्रक पाँच बार शामिल है। किसी भौतिक राशि की माप के लिए मात्रक बदल देने से उसका संख्यात्मक मान भी बदल जाता है, लेकिन संख्यात्मक मान तथा मात्रक का गुणनफल सदैव समान रहता है (क्योंकि भौतिक राशि की माप नियत होती है)।
- स्पष्टतः, किसी भी भौतिक राशि का संख्यात्मक मान, उसके मापन में प्रयुक्त मात्रक के परिमाण के व्युत्क्रमानुपाती होता है। उदाहरण के लिए, यदि एक कमरे की लम्बाई 10 मीटर है तो लम्बाई का मात्रक सेमी लेने पर कमरे की लम्बाई 1,000 सेमी होगी तथा लम्बाई का मात्रक डेकामीटर लेने पर कमरे की लम्बाई । डेकामीटर होगी। इस प्रकार, मात्रक जितना छोटा होगा, संख्यात्मक मान उतना ही बड़ा होगा तथा मात्रक जितना बड़ा होगा, संख्यात्मक मान उतना ही छोटा होगा।
मात्रक की विशेषताएँ (Requisites of unit)
किसी
भौतिक राशि के मात्रक में निम्न विशेषताएँ होनी चाहिए :
(1) मात्रक स्पष्ट रूप से परिभाषित एवं उचित आकार का होना चाहिए।
(2) मात्रक ऐसा होना चाहिए जिसे पुनरुत्पादित किया जा सके।
(3) मात्रक के परिमाण पर समय तथा स्थान का कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
(4) मात्रक के परिमाण पर ताप व दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए तथा यदि प्रभाव पड़ता है तो हमें इसकी निश्चित जानकारी होनी चाहिए।
(5) मात्रक ऐसा होना चाहिए जिसकी तुलना उसी राशि के अन्य मात्रकों से करना आसान हो।
(6) मात्रक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वमान्य होना चाहिए।
मूल एवं व्युत्पन्न राशियाँ
कुछ
ऐसी भौतिक राशियाँ हैं जो एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती हैं, जिन्हें एक-दूसरे में न तो बदला जा सकता है
और न ही आपस में सम्बन्धित किया जा सकता है, लेकिन
इनकी सहायता से अन्य भौतिक राशियों को व्यक्त किया जा सकता है। इस प्रकार, समस्त भौतिक राशियों को दो वर्गों में बाँटा
जाता है: (1) मूल राशियाँ (Fundamental quantities), तथा
(2) व्युत्पन्न राशियाँ (Derived
(1) मूल राशियाँ (Fundamental quantities)-
वे भौतिक राशियाँ जो एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती हैं, मूल राशियाँ कहलाती हैं। कुल मूल राशियाँ निम्नलिखित सात हैं :
- लम्बाई, द्रव्यमान, समय, ताप, ज्योति-तीव्रता, विद्युत् धारा तथा पदार्थ की मात्रा।
(2) व्युत्पन्न राशियाँ (Derived quantities)-
वे
भौतिक राशियाँ जो मूल राशियों के पदों में व्यक्त की जाती हैं, व्युत्पन्न
क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई = (लम्बाई) 2
आयतन = लम्बाई × चौड़ाई x ऊँचाई = (लम्बाई) 3
घनत्व = द्रव्यमान/आयतन = द्रव्यमान /(लम्बाई) 3
चाल = दूरी/समय = लम्बाई/समय
इसी प्रकार, अन्य व्युत्पन्न राशियाँ हैं: त्वरण, बल, संवेग, दाब, बल-आघूर्ण, विशिष्ट ऊष्मा, गुप्त ऊष्मा, विद्युत् क्षेत्र, चुम्बकीय क्षेत्र, विभव, प्रतिरोध आदि।