भौतिकी का विज्ञान की अन्य शाखाओं से सम्बन्ध(Physics in Relation to Other Branches of Science)
भौतिकी का विज्ञान की अन्य शाखाओं से सम्बन्ध
- प्रकृति में सभी वस्तुएँ द्रव्य एवं ऊर्जा से मिलकर बनी हैं तथा भौतिकी में हम इसी द्रव्य एवं ऊर्जा का अध्ययन करते हैं। अतः विज्ञान की किसी भी शाखा के अध्ययन के लिए भौतिकी के मूलभूत नियमों एवं सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है। वास्तव में भौतिकी को मूलभूत विज्ञान अर्थात् सभी विज्ञानों का आधार (basis of all sciences) माना जाता है। नीचे हम भौतिकी का विज्ञान की शाखाओं जैसे गणित, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान एवं खगोल विज्ञान से सम्बन्ध का अध्ययन करेंगे।
(1) गणित तथा भौतिकी -
- भौतिकी में गणित का बहुत उपयोग होता है। गणित के बिना भौतिकी के मूल नियमों तथा सिद्धान्तों को समझना सम्भव नहीं है। गणित, भौतिकी की भाषा है। आजकल के नवीन आविष्कार, जैसे कृत्रिम उपग्रह, कम्प्यूटर, लेसर आदि गणित तथा भौतिकी की संयुक्त देन हैं।
(2) रसायन विज्ञान तथा भौतिकी -
- रसायन विज्ञान में भी भौतिकी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। रसायन विज्ञान में अनेक जटिल रासायनिक संरचनाओं के समझने में भौतिकी के नवीन आविष्कारों, जैसे चुम्बकीय अनुनाद, X-किरणों तथा न्यूट्रॉनों के विवर्तन आदि से बहुत सहायता मिली है। इसी प्रकार, परमाणु संरचना के अध्ययन से आवर्त सारणी में तत्त्वों की व्यवस्था, संयोजकता की प्रकृति तथा रासायनिक आबन्ध जैसी समस्याओं को समझाया जा सका है.
(3) जीव विज्ञान तथा भौतिकी -
- जीव विज्ञान भी भौतिकी से प्रभावित है। भौतिकी में सूक्ष्मदर्शी तथा इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार से जीव विज्ञान में कोशिका की संरचना समझने में बहुत सहायता मिली है। X-किरणों के आविष्कार से जहाँ एक ओर मनुष्य के शरीर के किसी स्थान की टूटी हुई हड्डी का पता लगाया जा सकता है, वहीं दूसरी ओर इनका उपयोग कैंसर जैसे भयंकर रोग के उपचार में भी किया जाता है।
(4) खगोल विज्ञान तथा भौतिकी -
- खगोल विज्ञान के विकास में भी भौतिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भौतिकी में दूरदर्शी तथा रेडियो दूरदर्शी के आविष्कार होने से ही विभिन्न ग्रहों तथा उपग्रहों को देखा जा सका है, उनके विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकी है तथा नवीन ग्रहों, क्वासर्स तथा पल्सर्स आदि की खोज की जा सकी है।
भौतिक के नियमों की प्रकृति (Nature of Laws of Physics)
भौतिकी के मूल नियमों की प्रकृति के सम्बन्ध में हम निम्नलिखित तथ्य पाते हैं :
(1) भौतिकी के मूल नियम सार्वत्रिक (universal) हैं तथा इनका अनुप्रयोग व्यापक रूप में विभिन्न सन्दर्भों एवं परिस्थितियों में किया जा सकता है।
(2) भौतिकी का कार्यक्षेत्र विस्तृत है। इसमें इलेक्ट्रॉन (आकार ≈ 10 की घात -14 मीटर, द्रव्यमान ≈ 10 की घात -30 किग्रा) से लेकर ब्रह्माण्ड (आकार ≈ 1026 मीटर, द्रव्यमान ≈ 10 की घात 55 किग्रा) तक का अध्ययन किया जाता है।
(3) प्रकृति में चार मूल बल हैं : (i) गुरुत्वाकर्षण बल, (ii) विद्युत्-चुम्बकीय बल, (iii) प्रबल नाभिकीय बल, तथा (iv) दुर्बल नाभिकीय बल । ये बल ही स्थूल एवं सूक्ष्म निकायों की विविध घटनाओं का नियन्त्रण करते हैं।
(4) कुछ ऐसी भौतिक राशियाँ हैं जो किसी भौतिक घटना में समय के साथ अपरिवर्ती रहती हैं। ये राशियाँ संरक्षित राशियाँ कहलाती हैं। इन राशियों से सम्बन्धित भौतिक नियमों को, संरक्षण नियम कहते हैं। कुछ संरक्षण नियम हैं : द्रव्यमान का संरक्षण नियम, यान्त्रिक ऊर्जा का संरक्षण नियम, ऊर्जा का संरक्षण नियम, रैखिक संवेग का संरक्षण नियम, कोणीय संवेग का संरक्षण नियम, आवेश का संरक्षण नियम आदि। ये संरक्षण नियम प्रेक्षणों तथा प्रयोगों पर आधारित होते हैं। किसी भी संरक्षण नियम को प्रमाणित नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसे प्रयोगों द्वारा सत्यापित अथवा खण्डित किया जा सकता है।
(5) भौतिकी के नियम समय के साथ परिवर्तित नहीं होते हैं तथा ये नियम प्रत्येक स्थान पर समान रहते हैं। उदाहरण के लिए, (i) आर्किमिडीज के सिद्धान्त के अनुसार किसी भी तरल (fluid) में वस्तु को पूर्णतः या आंशिक तौर पर डुबाने पर वस्तु पर वस्तु के डूबे भाग द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर उत्क्षेप लगता है जिससे उसका भार कम प्रतीत होता है। (ii) न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार प्रत्येक दो द्रव्यमान कणों के मध्य आकर्षण बल लगता है जो पृथ्वी तल से कुछ ऊँचाई पर छोड़ी गयी वस्तु के ऊर्ध्वाधरतः नीचे गिरने तथा आकाशीय पिण्डों की परिक्रमण गति के लिए उत्तरदायी है।
भौतिकी का प्रौद्योगिकी (तकनीकी) से सम्बन्ध (Physics in Relation to Technology)
- किसी समाज के प्रौद्योगिक (अथवा तकनीकी) विकास का भौतिकी एवं विज्ञान की अन्य शाखाओं के उपयोग से गहरा सम्बन्ध है। विज्ञान में होने वाले नवीन आविष्कारों के उपयोग से प्रौद्योगिकी में यन्त्रीकरण (mechanization) को बढ़ावा मिला है जिससे उत्पादन बढ़ा है तथा सामाजिक परिस्थितियों, सम्बन्धों, व्यवस्था एवं संरचना में भी परिवर्तन आया है। प्रौद्योगिकी में भौतिकी के नियमों एवं सिद्धान्तों का उपयोग करके असंसाधनों (non-resources) को संसाधनों में बदला जाता है। इस प्रकार प्रौद्योगिकी, वास्तव में, अनुप्रयुक्त भौतिकी (applied physics) ही है। उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रॉन के आविष्कार होने पर तथा निर्वात् एवं किसी पदार्थ में विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों के संचरण के सिद्धान्त से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों, रेडियो संचारण, राडार, इलेक्ट्रॉनिक स्वचालित यन्त्रों, कम्प्यूटर आदि का विकास हुआ है। ऊष्मागतिकी के सिद्धान्तों के अध्ययन से ऊष्मा इन्जन का विकास हुआ है। सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम से अन्तरिक्षयान तथा भू-उपग्रहों का प्रक्षेपण सम्भव हुआ है।
- भू-स्थायी उपग्रह का उपयोग दूरसंचार में, मौसम की भविष्यवाणी करने में किया जाता है। रेडियोऐक्टिवता के आविष्कार के बाद अनेक रेडियो-आइसोटोपों की खोज की गयी जिनका उपयोग अनुज्ञापकों (tracers) की भाँति अनेक रोगों के निदान में, कृषि विज्ञान में तथा अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। ऊर्जा रूपान्तरण के अध्ययन से जल-विद्युत् तथा नाभिकीय-विद्युत् उत्पादन केन्द्र स्थापित किये जा सके हैं। प्रकाश किरणों के अध्ययन से विभिन्न प्रकाशिक यन्त्रों, जैसे सूक्ष्मदर्शी, दूरदर्शी, बायनोकुलर, सिनेमा-प्रक्षेपी, आदि का निर्माण सम्भव हो सका है। इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि भौतिकी का प्रौद्योगिकी उत्थान में एक विशेष योगदान है।
भौतिकी का समाज से सम्बन्ध (Physics in Relation to Society)
- भौतिकी तथा विज्ञान की अन्य शाखाओं में हुई प्रगति से आधुनिक मानव समाज में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, दूरसंचार, परिवहन, आदि सभी क्षेत्रों में भौतिकी के आविष्कारों, जैसे कम्प्यूटर, टेलीविजन, आदि का उपयोग किया जा रहा है जिससे मानव समाज का भौतिक स्तर ऊँचा उठा है। आज टेलीविजन का उपयोग ठीक वैसा ही है जैसा कि हम महाभारत में पढ़ते हैं। कि युद्धक्षेत्र में घटने वाली प्रत्येक घटना का हाल संजय ने अपनी दिव्य दृष्टि द्वारा धृतराष्ट्र को सुनाया था। घरों में रेफ्रिजरेटर के उपयोग से हम भली-भाँति परिचित हैं। आज रेफ्रिजरेटर प्रत्येक घर की आवश्यकता बन गया है जिससे हम भोज्य पदार्थ तथा सामग्री को कुछ समय तक सुरक्षित रख सकें। कम्प्यूटर का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसका उपयोग सरकारी दफ्तरों, बैंक, व्यापारिक संस्थानों आदि सभी जगह न केवल गणना के लिए, बल्कि आँकड़ों को सुरक्षित रखने में किया जा रहा है। इससे मनुष्य की कार्यक्षमता बढ़ी है। आज सूचना प्रौद्योगिकी (Information technology) में कम्प्यूटर की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वास्तव में, भौतिकी के आविष्कारों ने दिन-प्रतिदिन मानव समाज को सुख-सुविधा के नवीन-से-नवीन साधन प्रदान किये हैं जैसे-फोटो कैमरा, वी. सी. आर., टेप रिकॉर्डर, वीडीओ गेम, एल. सी. डी., डी. टी. एच., लैपटॉप, डिजिटल कैमरा, FM रेडियो, मोबाइल व स्मार्टफोन आदि। कम्प्यूटर के उपयोग से एनीमेशन द्वारा कार्टून फिल्में बनायी जाती हैं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जाती है, डिजिटल फोटोग्राफी में इच्छानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। लेपटॉप द्वारा इन्टरनेट से जुड़कर e-mail, e-commerce, e-banking आदि सुविधाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। स्मार्टफोन द्वारा सभी e-सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं, देश-विदेश में बैठे अपने सगे-सम्बन्धियों से बातचीत या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं, रेलवे या हवाई जहाज के टिकट बुक करा सकते हैं, पाठ्य सामग्री देख सकते हैं, बैंक एकाउण्ट ऑपरेट कर सकते हैं। आजकल इन्टरनेट तथा Wi-Fi द्वारा facebook, whatsApp, twitter आदि द्वारा Social media से जुड़ा जा सकता है।
- नाभिकीय विखण्डन तथा नाभिकीय संलयन की खोज द्वारा जहाँ एक ओर इसके रचनात्मक उपयोग द्वारा ऊर्जा स्रोत के नवीन द्वार खुले हैं, वहीं दूसरी ओर इसके विनाशकारी उपयोग द्वारा परमाणु बम तथा हाइड्रोजन बम का निर्माण सम्भव हो सका है जिनसे क्षणभर में सम्पूर्ण विश्व को नष्ट किया जा सकता है।
- रॉकेट द्वारा पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में कृत्रिम उपग्रह स्थापित करके आज मनुष्य इन कृत्रिम उपग्रहों की सहायता से मौसम के बारे में पूर्व सूचना प्राप्त कर लेता है। इन उपग्रहों का उपयोग टेलीविजन कार्यक्रमों तथा रेडियो संवादों को दूर-दूर तक भेजने में किया जा रहा है। अन्तरिक्ष उड़ानों में इन कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग संकेत भेजने तथा संकेत प्राप्त करने में किया जा रहा है। अन्तरिक्ष उड़ानों द्वारा विभिन्न ग्रहों के वायुमण्डल की जानकारी प्राप्त हो सकती है तथा ब्रह्माण्ड में नवीन आकाशीय पिण्डों की खोज सम्भव हो सकी है।