भौतिकी का अर्थ ,वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरण | Physics Meaning in Hindi

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 भौतिकी का अर्थ ,वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरण

भौतिकी का अर्थ ,वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरण | Physics Meaning in Hindi


भौतिकी का अर्थ (Meaning of Physics) 

  • हमें अपने चारों ओर जो कुछ भी दिखायी देता है, उसे प्रकृति (nature) कहते हैं। उदाहरण के लिए, दिन-रात का होना, मौसमों का परिवर्तन, ज्वार-भाटा, ज्वालामुखी, इन्द्रधनुष, आकाशीय पिण्डों की गति आदि। आदिकाल से ही मनुष्य इन सभी प्राकृतिक घटनाओं एवं प्रकृति को समझने एवं उनके सुव्यवस्थित तथा क्रमबद्ध अध्ययन का प्रयास करता रहा है। नित्य प्रकृति के बारे में नवीन तथ्य ज्ञात होते हैं और इन्हें समझने की हमारी जिज्ञासा भी बढ़ती है। प्राकृतिक घटनाओं का सुव्यवस्थित तथा क्रमबद्ध अध्ययन करना एवं इससे प्राप्त ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं।

 

  • 'विज्ञान' संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है 'विशिष्ट ज्ञान'। अंग्रेजी भाषा के शब्द 'साइंस' (Science) की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द 'सिंटिया' (Scientia) से हुई है जिसका अर्थ है: 'जानना' अरबी भाषा के शब्द 'इल्म' का अर्थ भी 'ज्ञान' है। विज्ञान उतना ही प्राचीन है जितनी कि मानव जाति। विज्ञान की प्रगति विशेषत: सोलहवीं शताब्दी से बीसवीं शताब्दी तक हुई जिसमें विश्व के अनेक देशों भारत, इंग्लैण्ड, इटली, जर्मनी, स्कॉटलैण्ड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जापान, पौलेण्ड, अमेरिका आदि का विशेष योगदान रहा है। 21वीं शताब्दी मनुष्य के इन्हीं प्रयासों से आधुनिक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का युग है।

 

अध्ययन की सुविधा हेतु प्राकृतिक विज्ञान को मुख्यतः निम्नलिखित शाखाओं में विभाजित किया गया है : भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, ज्योतिष विज्ञान तथा गणित ।

 

  • भौतिकी को अंग्रेजी में Physics कहते हैं जो ग्रीक भाषा के एक शब्द 'फ्यूसिस' से व्युत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है 'प्रकृति'। इसका तुल्य संस्कृत शब्द 'भौतिकी' है जिसके अन्तर्गत हम प्रकृति तथा प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन करते हैं। भौतिकी में हम प्राकृतिक घटनाओं को कुछ परिकल्पनाओं, सिद्धान्तों एवं नियमों द्वारा समझने का प्रयास करते हैं। वह विधि जिसके द्वारा हम प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन करते हैं तथा भौतिकी के नियम एवं सिद्धान्त बनाते हैं, भौतिकी की तकनीक अथवा वैज्ञानिक विधि कहलाती है। वैज्ञानिकों द्वारा अनुसन्धान कार्यों के लिए अपनायी जाने वाली सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत विधि को वैज्ञानिक विधि कहते हैं।

 

वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरण 

वैज्ञानिक विधि के निम्नलिखित मुख्य पाँच चरण हैं : 

(1) क्रमबद्ध प्रेक्षण, (2) परिकल्पना की स्थापना, (3) परिकल्पना की सत्यता का परीक्षण, (4) सिद्धान्त की स्थापना, तथा (5) नियम की स्थापना ।

 

वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरण 

(1) क्रमबद्ध प्रेक्षण-

  • किसी समस्या के समाधान हेतु सर्वप्रथम वैज्ञानिक सुनियोजित प्रयोग करते हैं तथा क्रमबद्ध प्रेक्षण लेकर उस समस्या से सम्बन्धित आँकड़े एकत्रित करते हैं। 

(2) परिकल्पना की स्थापना-

  • प्रयोगों से प्राप्त आँकड़ों की व्याख्या करने के लिए कार्यकारी नियम बनाया जाता है जिसे परिकल्पना कहते हैं। 

(3) परिकल्पना की सत्यता का परीक्षण-

  • उपर्युक्त परिकल्पना के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं जिनसे कुछ भविष्यवाणियाँ (Predictions) की जाती हैं तथा अन्य नवीन प्रयोग करके उनका सत्यापन करते हैं।

 

(4) सिद्धान्त की स्थापना - 

  • यदि निष्कर्ष तथा भविष्यवाणियों का प्रयोगों द्वारा सत्यापन हो जाता है, तो उस परिकल्पना को सिद्धान्त का रूप दे दिया जाता है, अन्यथा उस परिकल्पना को संशोधित करके या पूर्णतः नवीन परिकल्पना की स्थापना करके व उसकी सत्यता का परीक्षण करके सिद्धान्त बनाया जाता है। इस प्रकार, प्रयोगों द्वारा सत्यापित परिकल्पना को सिद्धान्त कहते हैं।

 

(5) नियम की स्थापना-

  • उपर्युक्त स्थापित सिद्धान्त केवल कुछ सीमित घटनाओं, प्रेक्षणों तथा तथ्यों के लिए ही सत्य होता है। अब यदि यह पाया जाता है कि इस प्रकार प्रतिपादित सिद्धान्त सभी घटनाओं, प्रेक्षणों तथा तथ्यों के लिए सत्य है, तो इसे नियम का रूप दे दिया जाता है, अन्यथा सिद्धान्त को संशोधित करके या नवीन सिद्धान्त स्थापित करके तथा उसकी सत्यता को परखकर, नियम स्थापित किया जाता है।

 

  • उदाहरण के लिए, प्रकाश द्वारा किसी अवरोध की छाया बनने की व्याख्या करने के लिए यह माना गया कि प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है तथा इसे न्यूटन के कणिका सिद्धान्त द्वारा समझाया गया; परन्तु न्यूटन का कणिका सिद्धान्त ऋजु तीक्ष्ण कोर पर प्रकाश की । विवर्तन घटना की व्याख्या नहीं कर सका। तब हाइगन द्वारा प्रकाश का तरंग सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया। प्रकाश का तरंग सिद्धान्त व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण आदि घटनाओं की तो व्याख्या कर सका, लेकिन यह सिद्धान्त प्रकाश- विद्युत् प्रभाव की व्याख्या नहीं कर सका। इसके लिए प्लांक द्वारा प्रकाश का क्वाण्टम सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया। बाद में वैज्ञानिक डी-ब्रॉग्ली ने तरंग-कण परिकल्पना दी जिसके अनुसार प्रत्येक गतिमान कण के साथ तरंग सम्बद्ध होती है। इस आधार पर प्रकाश का क्वाण्टम सिद्धान्त, प्रकाश सम्बन्धी सभी घटनाओं की व्याख्या सफलतापूर्वक कर सका।

 

भौतिकी का कार्यक्षेत्र तथा अन्तर्निहित रोमांच (Scope and Excitement of Physics)  

  • भौतिकी का प्रायोजन प्रत्येक छोटी-से-छोटी तथा बड़ी-से-बड़ी प्राकृतिक घटना की सफल व्याख्या करना है। इस प्रकार भौतिकी का कार्यक्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। इसके अन्तर्गत हम लम्बाई, द्रव्यमान, समय, ऊर्जा आदि भौतिक राशियों के अत्यन्त सूक्ष्मतम से लेकर अत्यन्त विशालतम परिमाण का अध्ययन करते हैं। उदाहरण के लिए, एक ओर जहाँ परमाणु के नाभिक का आकार 10 की घात -14 मीटर की कोटि का मानते हैं तो दूसरी ओर ब्रह्माण्ड का विस्तार 10 की घात -26 मीटर की कोटि का मानते हैं। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 10-30 किग्रा लेते हैं तो ब्रह्माण्ड का द्रव्यमान 10 की घात 55 किग्रा मानते हैं। इसी प्रकार, परमाणु का उत्तेजित अवस्था काल 10 की घात -8 सेकण्ड है। तो पृथ्वी की आयु 10 की घात 17 सेकण्ड है। 


सुविधा की दृष्टि से भौतिकी को निम्नलिखित शाखाओं में विभाजित किया गया है : 

(1) यान्त्रिकी तथा पदार्थ के सामान्य गुण (Mechanics and General properties of matter), (2) ऊष्मा तथा ऊष्मागतिकी (Heat and Thermodynamics), 

(3) प्रकाश (Light), 

(4) ध्वनि (Sound), 

(5) चुम्बकत्व (Magnetism) 

(6) विद्युत् (Electricity) तथा विद्युत्गतिकी (Electrodynamics), एवं 

(7) आधुनिक भौतिकी (Modern Physics)। 


  • आधुनिक भौतिकी को पुनः परमाण्वीय तथा नाभिकीय भौतिकी (Atomic and Nuclear Physics), क्वाण्टम भौतिकी (Quantum Physics), कण भौतिकी (Particle Physics), इलेक्ट्रॉनिकी (Electronics), ठोस अवस्था भौतिकी (Solid State Physics), संघनित द्रव्य भौतिकी (Condensed Matter Physics) तथा नैनो भौतिकी (Nano Physics) में विभाजित किया गया है। 

आजकल भौतिकी को दो भागों में बाँटकर अध्ययन किया जाता है : 

  • (1) चिरसम्मत् भौतिकी (Classical Physics) जिसमें स्थूल निकायों (Macro systems) या स्थूल गुणों (Macro properties) का अध्ययन करते हैं। इसके अन्तर्गत यान्त्रिकी, ऊष्मा तथा ऊष्मागतिकी, प्रकाश, ध्वनि, चुम्बकत्व, विद्युत् एवं विद्युत्गतिकी आते हैं। 
  • (2) आधुनिक भौतिकी (Modern Physics) जिसमें सूक्ष्म निकायों (Micro systems) या सूक्ष्म गुणों (Mirco properties) का अध्ययन करते हैं। इसके अन्तर्गत परमाण्वीय तथा नाभिकीय भौतिकी, क्वाण्टम भौतिकी, कण भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिकी, ठोस अवस्था भौतिकी, संघनित द्रव्य भौतिकी तथा नैनो भौतिकी आती हैं।

 

  • भौतिकी अनेक प्रकार से उत्तेजक (exciting) भी है। इसका कारण यह है कि जहाँ एक ओर भौतिकी के कुछ मूल नियमों तथा परिकल्पनाओं द्वारा छोटी-से-छोटी एवं बड़ी-से-बड़ी माप वाली घटना की व्याख्या की जा सकती है जिससे भौतिकी के मूल सिद्धान्तों की मान्यता एवं व्यापकता सिद्ध होती है, वहीं दूसरी ओर जिन प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या करना सम्भव नहीं हो पाता है, उनकी व्याख्या करने के लिए नवीन प्रयोग करना, परिकल्पना अथवा नियम की सत्यता का परीक्षण करना तथा आवश्यकता होने पर उसका संशोधन करना भी चुनौतीपूर्ण होता है।

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