पदार्थों की अवस्था से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य
पदार्थों की अवस्था से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य
ठोस पदार्थ-निश्चित आकार व आयतन रखने वाले पदार्थ ठोस पदार्थ कहलाते हैं। जैसे-NaCl, मोम आदि।
क्रिस्टलीय ठोस-वे ठोस जो रचक घटकों की नियमित व क्रमिक व्यवस्था रखते हैं। जैसे-NaCl.
अक्रिस्टलीय ठोस-वे ठोस जो रचक घटकों की अनियमित व्यवस्था रखते हैं। जैसे-रबर, काँच आदि।
बन्धन बल-रचक घटकों के मध्य उपस्थित बल बन्धन बल कहलाता है।
आयनिक ठोस-वे ठोस जिनके रचक घटक आयन होते हैं। जैसे-NaCl.
आण्विक ठोस-वे ठोस जिनके रचक घटक अणु होते हैं। जैसे-I2
सहसंयोजक ठोस-वे ठोस जिनके रचक घटक परमाणु होते हैं। जैसे-हीरा। धात्विक ठोस-वे ठोस जिनके रचक घटक धातु परमाणु होते हैं। जैसे-सोडियम।
जालक बिन्दु-रचक घटकों को क्रिस्टल की संरचना में जिन बिन्दुओं द्वारा दर्शाया जाता है, जालक बिन्दु कहलाते हैं।
क्रिस्टल जालक-जालक बिन्दुओं द्वारा त्रिविम में दर्शायी गयी ज्यामितीय व्यवस्था क्रिस्टल जालक कहलाती है।
एकक सेल-क्रिस्टल जालक में जालक बिन्दुओं का वह सूक्ष्मतम समूह जिसकी पुनरावृत्ति क्रिस्टल जालक बनाती है।
द्विविमीय एकक सेल-एक ही तल में क्रिस्टल जालक की सूक्ष्मतम संरचना जिसकी पुनरावृत्ति क्रिस्टल जालक का एक तल उत्पन्न करती है, द्विविमीय एकक सेल कहलाती है।
त्रिविमीय एकक सेल-त्रिविमीय जालक की ज्यामिति दर्शाने वाला जालक बिन्दुओं का सूक्ष्मतम समूह होता है। सरल घनीय इकाई सेल में परमाणु संख्या = 1.
फलक केन्द्रित घनीय इकाई सेल में परमाणु संख्या = 4.
काय केन्द्रित घनीय इकाई सेल में परमाणु संख्या = 2.
संकुलन-जालक में रचक घटकों की व्यवस्था संकुलन कहलाती है।
द्विविमीय निविड संकुलन-एक ही तल का संकुलन होता है। यह वर्गाकार तथा षट्भुजाकार दो प्रकार का होता है।
समन्वय अंक-क्रिस्टल के रचक घटक के सम्पर्क में रहने वाले रचक घटकों की संख्या।
त्रिविमीय निविड संकुलन-क्रिस्टल में रचक घटकों की त्रिविमीय व्यवस्था। यह वर्गाकार व षट्भुजाकार द्विविमीय संकुलनों से उत्पन्न होती है।
सरल घनीय संकुलन-एकक सेल सरल घन होता है जिसमें समन्वय अंक छः होता है।
षट्कोणीय निविड संकुलन-एकक सेल षट्कोणीय सममिति का जालक होता है। समन्वय अंक बारह होता है।
घनीय निविड संकुलन-एकक सेल फलक केन्द्रित घन होता है। समन्वय अंक बारह होता है।
काय केन्द्रित घनीय संकुलन-एकक सेल काय केन्द्रित घन होता है। समन्वय अंक आठ होता है।
संकुलन दक्षता-ठोस में उपलब्ध स्थान का अवयवी कणों द्वारा घिरा प्रतिशत ।
सरल घनीय जालक की संकुलन क्षमता-52-4%.
काय केन्द्रित घनीय जालक की संकुलन क्षमता -68%.
फलक केन्द्रित घनीय जालक की संकुलन क्षमता -74%.
रिक्तियाँ-रचक घटकों के मध्य पाया जाने वाला स्थान।
समचतुष्फलकीय रिक्ति-षट्भुजीय संकुलन में प्रथम परत के एक-दूसरे को स्पर्श करते तीन गोलों के ऊपर रखे एक गोले से उत्पन्न रिक्ति। समन्वय अंक चार।
अष्टफलकीय रिक्ति-षट्भुजीय संकुलन में प्रथम तथा द्वितीय परत से उत्पन्न अतिव्यापित रिक्ति। समन्वय अंक छः।
बिन्दु दोष-किसी क्रिस्टल में रचक घटक की नियमित व्यवस्था से विचलन बिन्दु दोष कहलाता है।
रससमीकरणमितीय दोष- इस दोष से यौगिक का अपेक्षित सूत्र परिवर्तित नहीं होता है।
अरससमीकरणमितीय दोष-वह दोष जिससे यौगिक का अपेक्षित सूत्र परिवर्तित हो जाता है।
रिक्त स्थान दोष-कुछ रचक घटक बाहर चले जाते हैं।
अन्तराकाशी दोष- अन्तराकाशी स्थान में कुछ अतिरिक्त रचक घटक आ जाते हैं।
शॉट्की दोष- आयनिक क्रिस्टल से समान आवेश युक्त धनायनों व ऋणायनों का समान संख्या में निकल जाना।
फ्रेंन्कल दोष- आयनिक क्रिस्टल में धनायन का अन्तराकाशी स्थान में चले जाना।
धातु आधिक्य दोष - आयनिक क्रिस्टल में अपेक्षा से अधिक धनायन का होना।
धातु न्यूनता दोष- आयनिक क्रिस्टल में अपेक्षा से कम धनायन होना।
अशुद्धि दोष-क्रिस्टल में अन्य तत्वों का समावेश ।
चालक-विद्युत् के अच्छे चालक।
अर्द्धचालक-विद्युत् के कम चालक ।
कुचालक-विद्युत् को प्रवाहित न करने वाले पदार्थ।
n -प्रकार के अर्द्ध-चालक-अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन की अशुद्धि वाले पदार्थ।
p-प्रकार के अर्द्ध-चालक-कम इलेक्ट्रॉन की अशुद्धि वाले पदार्थ।
अनुचुम्बकीय पदार्थ - अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त वे पदार्थ, जो चुम्बकीय क्षेत्र में आकर्षित होते हैं।
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ-केवल युग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त वे पदार्थ, जो चुम्बकीय क्षेत्र में प्रतिकर्षित होते हैं।
लोहचुम्बकीय पदार्थ - अयुग्मित इलेक्ट्रॉन वाले वे पदार्थ, जो अधिक परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण रखते हैं।
प्रति फेरो चुम्बकीय पदार्थ-वे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त पदार्थ, जो परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य रखते हैं।
फेरी चुम्बकीय पदार्थ-वे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त पदार्थ, जो लोहचुम्बकीय पदार्थों की तुलना में कम परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण रखते हैं।