वर्गिकी संवर्ग |Taxon in Details 11th Biology

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वर्गिकी संवर्ग |Taxon in Details 11th Biology


वर्गिकी संवर्ग 

  • वर्गीकरण एकल सोपान प्रक्रम नहीं हैबल्कि इसमें पदानुक्रम सोपान होते हैं जिसमें प्रत्येक सोपान पद अथवा वर्ग को प्रदर्शित करता है। चूँकि संवर्ग समस्त वर्गिकी व्यवस्था है इसलिए इसे वर्गिकी संवर्ग कहते हैं और तभी सारे संवर्ग मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है। वास्तव मेंयह एक पद को दिखाता है और इसे प्रायः वर्गक (टैक्सॉन) कहते हैं। 
  • वर्गिकी संवर्ग तथा पदानुक्रम का वर्णन एक उदाहरण द्वारा कर सकते हैं। कीट जीवों के एक वर्ग को दिखाता है जिसमें एक समान गुण जैसे तीन जोड़ी संधिपाद (टाँगें) होती हैं। इसका अर्थ है कि कीट स्वीकारणीय सुस्पष्ट जीव है जिसका वर्गीकरण किया जा सकता हैइसलिए इसे एक पद अथवा संवर्ग का दर्जा दिया गया है।
  • प्रत्येक पद अथवा वर्गक वास्तव मेंवर्गीकरण की एक इकाई को बताता है। ये वर्गिकी वर्ग/संवर्ग सुस्पष्ट जैविक है ना कि केवल आकारिकीय समूहन। 
  • सभी ज्ञात जीवों के वर्गिकीय अध्ययन से सामान्य संवर्ग जैसे जगत (किंगडम)संघ (फाइलम)अथवा भाग (पौधों के लिए)वर्ग (क्लास)गण (आर्डर)कुल (फैमिली)वंश (जीनस) तथा जाति (स्पीशीज) का विकास हुआ। पौधों तथा प्राणियों दोनों में स्पीशीज सबसे निचले संवर्ग में आती है। अब आप यह प्रश्न पूछ सकते हैंकि किसी जीव को विभिन्न संवर्गों में कैसे रखते हैं इसके लिए मूलभूत आवश्यकता व्यष्टि अथवा उसके वर्ग के गुणों का ज्ञान होना है। यह समान प्रकार के जीवों तथा अन्य प्रकार के जीवों में समानता तथा विभिन्नता को पहचानने में सहायता करता है।

 

1 स्पीशीज (जाति)


1 स्पीशीज (जाति) 

  1. वर्गिकी अध्ययन में जीवों के वर्गजिसमें मौलिक समानता होती हैउसे स्पीशीज कहते हैं। 
  2. हम किसी भी स्पीशज को उसमें समीपस्थ संबंधित स्पीशीज सेउनके आकारिकीय विभिन्नता के आधार पर उन्हें एक दूसरे से अलग कर सकते हैं। हम इसके लिए मैंजीफेरा इंडिका (आम) सोलेनम ट्यूवीरोसम (आलू) तथा पेंथरा लिओ (शेर) के उदाहरण लेते हैं। इन सभी तीनों नामों में इंडिकाटयूबीरोसम तथा लिओ जाति संकेत पद हैं। जबकि पहले शब्द मैंजीफेरासोलेनमतथा पेंथरा वंश के नाम हैं और यह टैक्सा अथवा संवर्ग का भी निरूपण करते हैं। 
  3. प्रत्येक वंश में एक अथवा एक से अधिक जाति संकेत पद हो सकते हैं जो विभिन्न जीवोंजिनमें आकारकीय गुण समान होंको दिखाते हैं। 
  4. उदाहरणार्थपेंथरा में एक अन्य जाति संकेत पद है जिसे टिगरिस कहते हैं। सोलेनम वंश में नाइग्रिममेलांजेना भी आते हैं। मानव की जाति सेपियंस हैजो होमों वंश में आता है। इसलिए मानव का वैज्ञानिक नाम होमोसेपियंस है।

 

2 वंश (जीनस) 

  • वंश में संबंधित स्पीशीज का एक वर्ग आता है जिसमें स्पीशीज के गुण अन्य वंश में स्थित स्पीशीज की तुलना में समान होते हैं। हम कह सकते हैं कि वंश समीपस्थ संबंधित स्पीशीज का एक समूह है। 
  • उदाहरणार्थ आलूटमाटर तथा बैंगनये दोनों अलग-अलग स्पीशीज हैंलेकिन ये सभी सोलेनम वंश में आती हैं। 
  • शेर (पेंथरा लिओ)चीता (पेंथर पारडस) तथा (पेंथर टिगरिस) जिनमें बहुत से गुण हैंवे सभी पेंथरा वंश में आते हैं। यह वंश दूसरे वंश फेलिसजिसमें बिल्ली आती हैसे भिन्न है।

 

3 कुल 

  • अगला संवर्ग कुल है जिसमें संबंधित वंश आते हैं। वंश स्पीशीज की तुलना में कम समानता प्रदर्शित करते हैं। 
  • कुल के वर्गीकरण का आधार पौधों के कायिक तथा जनन गुण हैं। उदाहरणार्थपौधों में तीन विभिन्न वंश सोलेनमपिटूनिआ तथा धतूरा को सोलेनेसी कुल में रखते हैं। 
  • जबकि प्राणी वंश पेंथरा जिसमें शेरबाघचीता आते हैं को फेलिस (बिल्ली) के साथ फेलिडी कुल में रखे जाते हैं। इसी प्रकारयदि आप बिल्ली तथा कुत्ते के लक्षण को देखो तो आपको दोनों में कुछ समानताएं तथा कुछ विभिन्नताएं दिखाई पड़ेंगी। उन्हें क्रमशः दो विभिन्न कुलों कैनीडी तथा फेलिडी में रखा गया है।

 

4 गण (आर्डर) 

  • आपने पहले देखा है कि संवर्ग जैसे स्पीशीजवंश तथा कुल समान तीनों लक्षणों पर आधारित है। प्रायः गण तथा अन्य उच्चतर वर्गिकी संवर्ग की पहचान लक्षणों के समूहन के आधार पर करते हैं।
  • गण में उच्चतर वर्ग होने के कारण कुलों के समूह होते हैं। जिनके कुछ लक्षण एक समान होते हैं। इसमें एक जैसे लक्षण कुल में शामिल विभिन्न वंश की अपेक्षा कम होते हैं। 
  • पादप कुल जैसे कोनवोलव्युलेसीसोलेनेसी को पॉलिसोनिएलस गण में रखा गया है। इसका मुख्य आधार पुष्पी लक्षण है। जबकि प्राणी कारनीवोरा गण में फेलिडी तथा कैनीडी कुलों को रखा गया है।

 

5 वर्ग (क्लास) 

  • इस संवर्ग में संबंधित गण आते हैं। उदाहरणार्थ प्राइमेटा गण जिसमें बंदरगोरिला तथा गिब्बॉन आते हैं, 
  • और कारनीवोरा गण जिसमें बाघबिल्ली तथा कुत्ता आते हैंको मैमेलिया वर्ग में रखा गया है। इसके अतिरिक्त मैमेलिया वर्ग में अन्य गण भी आते हैं।

 

6 संघ (फाइलम) 

  • वर्ग जिसमें जंतु जैसे मछलीउभयचरसरीसृपपक्षी तथा स्तनधारी आते हैंअगले उच्चतर संवर्गजिसे संघ कहते हैंका निर्माण करते हैं। इन सभी को एक समान गुणों जैसे पृष्ठरज्जु (नोटोकॉर्ड) तथा पृष्ठीय खोखला तंत्रिका तंत्र के होने के आधार पर कॉर्डेटा संघ में रखा गया है। पौधों में इन वर्गोंजिसमें कुछ ही एक समान लक्षण होते हैंको उच्चतर संवर्ग भाग (डिविजन) में रखा गया है। 

7 जगत (किंगडम) 

  • जंतु के वर्गिकी तंत्र में विभिन्न संघों के सभी प्राणियों को उच्चतम संवर्ग जगत में रखा गया है। जबकि पादप जगत में विभिन्न भाग (डिविजन) के सभी पौधों को रखा गया है। विभिन्न संघों के सभी प्राणियों को एक अलग जगत एनिमेलिया में रखा गया है जिससे कि उन्हें पौधों से अलग किया जा सके। पौधों को प्लांटी जगत में रखा गया है। भविष्य में हम इन दो वर्गों को जंतु तथा पादप जगत कहेंगे। 

  • इनमें स्पीशीज से लेकर जगत तक विभिन्न वर्गिकी संवर्ग को आरोही क्रम में दिखाया गया है। ये संवर्ग हैं। यद्यपि वर्गिकी विज्ञानियों ने इस पदानुक्रम में उपसंवर्ग भी बताए हैं। इसमें विभिन्न टैक्सा का उचित वैज्ञानिक स्थान देने में सुविधा होती है।

 

  • जैसे-जैसे हम स्पीशीज से जगत की ओर ऊपर जाते हैंवैसे ही समान गुणों में कमी आती जाती है। सबसे नीचे जो टैक्सा होगा उसके सदस्यों में सबसे अधिक समान गुण होंगे। जैसे-जैसे उच्चतर संवर्ग की ओर जाते हैंउसी स्तर पर अन्य टैक्सा के संबंध निर्धारित करने अधिक कठिन हो जाते हैं। इसलिए वर्गीकरण की समस्या और भी जटिल हो जाती है।

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