वनस्पति जगत अंतर्गत शैवाल :- क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी। Types of Algae in Hindi

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शैवाल :- क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी

वनस्पति जगत अंतर्गत  शैवाल :- क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी। Types of Algae in Hindi



वनस्पति जगत एक परिचय  

  • विटेकर (1969) ने पाँच किंगडम मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, एनिमेलिया तथा प्लांटी सुझाए थे। इस आर्टिकल में हम प्लांटी जगत, जिसे वनस्पति जगत भी कहते हैं, के बारे में तथा वर्गीकरण के विषय में विस्तार से पढ़ेंगे।

 

  • हमें यहाँ पर इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि वनस्पति जगत के विषय में समयानुसार परिवर्तन आया है। फंजाई (कवक) तथा मोनेरा तथा प्रोटिस्टा वर्ग के सदस्य, जिनमें कोशिका भित्ति होती है, अब प्लांटी वर्ग से निकाल दिए गए हैं। यद्यपि वे पहले दिए गए वर्गीकरण के अनुसार एक ही जगत में होते थे। इसलिए सायनोबैक्टीरिया, जिन्हें नील हरित शैवाल कहते थे अब शैवाल नहीं है। 
  • हम प्लांटी के अंतर्गत शैवाल, ब्रायोफाइट, टैरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म के विषय में पढ़ेंगे। 
  • आओ, इस तंत्र को प्रभावित करने वाले बिंदुओं को समझने के लिए एंजियोस्पर्म के वर्गीकरण को देखें। पहले दिए वर्गीकरण में हम आकारिकी के गुणों जैसे प्रकृति, रंग, पत्तियों की संख्या तथा आकृति के आधार आदि पर वर्गीकरण करते थे। वे मुख्यतः कायिक गुणों अथवा पुमंग की रचना के आधार पर हैं तथा (लीनियस के अनुसार) ऐसे वर्गीकरण कृत्रिम थे, क्योंकि उन्होंने बहुत ही समीप वाली संबंधित स्पीशीज को अलग कर दिया था। इसका कारण था कि वे बहुत ही कम गुणों पर आधारित थे। 


  • कृत्रिम वर्गीकरण में कायिक तथा लैंगिक गुणों को समान मान्यता दी गई थी। यह अब स्वीकार नहीं है, क्योंकि हम जानते हैं कि कायिक गुणों में प्रायः पर्यावरण के अनुसार परिवर्तन हो जाता है। इसके विपरीत, प्राकृतिक वर्गीकरण जीवों में प्राकृतिक संबंध तथा बाह्य गुणों के साथ-साथ भीतरी गुणों, जैसे-परा-रचना, शारीर, भ्रूण विज्ञान तथा पादप रसायन के आधार पर विकसित हुआ है। पुष्पी पादपों के इस वर्गीकरण को जॉर्ज बेंथम तथा जोसेफ़ डॉल्टन हूकर ने सुझाया था। 

  • वर्तमान में हम जातिवृत्तीय वर्गीकरण तंत्र, जो विभिन्न जीवों में विकासीय संबंध पर आधारित है, को स्वीकार करते हैं। इससे यह पता लगता है कि समान टैक्सा के जीव के पूर्वज एक ही थे। अब, हम वर्गीकरण की कठिनाइयों को हल करने के लिए विभिन्न सूचनाओं तथा अन्य स्रोतों का उपयोग करते हैं। यह तब और भी कठिन हो जाता है, उसके पक्ष में कोई भी जीवाश्मी प्रमाण उपलब्ध न हो। 
  • संख्यात्मक वर्गिकी जिसे अब सरलता से कंयूटरीकृत किया जा सकता है, सभी अवलोकनीय गुणों पर आधारित है। सजीवों के सभी गुणों को एक नंबर तथा एक कोड दिया गया है और इसके बाद इसे प्रोसेस किया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक गुण को समान महत्व दिया गया है और उसी समय सैकड़ों गुणों को ध्यान में रख सकते हैं। आज कल वर्गिकीविद् भ्रांतियों को दूर करने के लिए कोशिका वर्गिकी के कोशिका विज्ञानीय सूचनाओं जैसे क्रोमोसोम की संख्या, रचना, व्यवहार तथा रसायन वर्गिकी जो पादपों के रसायनिक कारकों करते हैं। कों का उपयोग करते हैं । 

 

शैवाल 


शैवाल आवास 

  • शैवाल क्लोरोफिलयुक्त, सरल, थैलॉयड, स्वपोषी तथा मुख्यतः जलीय (अलवणीय जल तथा समुद्री दोनों का) जीव है। वे अन्य आवास जैसे नमयुक्त पत्थरों, मिट्टी तथा लकड़ी में भी पाए जाते हैं। उनमें से कुछ कवक (लाइकेन में) तथा प्राणियों के संगठन में भी पाए जाते हैं (जैसे स्लाथ रीछ)।

शैवाल के माप 

  • शैवाल के माप तथा आकार में बहुत विभिन्नता होती है। ये कॉलोनिय जैसे वॉल्वॉक्स तथा तंतुमयी जैसे यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगायरा  तक हो सकते हैं। इनमें से कुछ, शैवाल जैसे केल्प, बहुत विशालकाय होते हैं।

 

शैवाल में जनन

  • शैवाल कायिक, अलैंगिक तथा लैंगिक जनन करते हैं। 
  • कायिक जनन विखंडन विधि द्वारा होता है। इसके प्रत्येक खंड से थैलस बन जाता है।
  • अलैंगिक जनन विभिन्न प्रकार के बीजाणुओं द्वारा होता है। सामान्यतः ये बीजाणु जूस्पोर होते हैं। इनमें कशाभिक (फ्लैजिला) होता है और ये चलायमान होते हैं। अंकुरण के बाद इनसे पौधे बन जाते हैं। 
  • लैंगिक जनन में दो युग्मक संगलित होते हैं। ये युग्मक कशाभिक युक्त (फ्लैजिला युक्त) तथा माप में समान हो सकते हैं (जैसे यूलोथ्रिक्स) अथवा फ्लैजिला विहीन लेकिन समान माप वाले हो सकते हैं (जैसे स्पाइरोगायरा)। ऐसे जनन को समयुग्मकी कहते हैं।
  • जब विभिन्न माप वाले दो युग्मक संगलित होते हैं तब उसे असमयुग्मकी कहते हैं (जैसे यूडोराइना) की कुछ स्पीशीज विषमयुग्मकी लैंगिक जनन में एक बड़े अचल (स्थैनिक) मादा युग्मक से एक छोटा चलायमान नरयुग्मक संमलित होता है। जैसे वॉलवॉक्स, फ्यूक्स।


शैवाल वर्ग तथा उनके महत्वपूर्ण गुण उपयोग 

  • शैवाल वर्ग तथा उनके महत्वपूर्ण गुणों का सारांश तालिका में दिया गया है। मनुष्य के लिए शैवाल बहुत उपयोगी हैं। पृथ्वी पर प्रकाश संश्लेषण के दौरान कुल स्थिरीकृत कार्बनडाइऑक्साइड का लगभग आधा भाग शैवाल स्थिर करते हैं। 
  • प्रकाश-संशलेषी जीव होने के कारण शैवाल अपने आस-पास के पर्यावरण में घुलित ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा देते हैं। 
  • ये ऊर्जा के प्राथमिक उत्पादक होने के कारण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये जलीय प्राणियों के खाद्य चक्रों का आधार हैं। 
  • पोरफायरा, लैमिनेरिया तथा सरगासम की बहुत सी स्पीशीज (प्रजातियाँ), जो समुद्र की 70 स्पीशीज (प्रजातियाँ) में से है, भोजन के रूप में उपयोग की जाती है। 
  • कुछ समुद्री भूरे तथा लाल शैवाल बहुत ही अधिक कैरागीन (लाल शैवाल से) का उत्पादन करते हैं। जिनका व्यवसायिक उपयोग होता है। 
  • जिलेडियम तथा ग्रेसिलेरिआ से एगार प्राप्त होता है जिसका उपयोग सूक्ष्म जीवियों के संवर्धन में तथा आइसक्रीम और जैली बनाने में किया जाता है। 
  • क्लोरैला तथा स्प्रुिलाइना एक कोशिक शैवाल हैं। इनमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। यहाँ तक कि इसका उपयोग अंतरिक्ष यात्री भी भोजन के रूप में करते हैं। 

वनस्पति जगत अंतर्गत  शैवाल :- क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी।

शैवाल तीन प्रमुख भागों में विभक्त किया जाता है: क्लोरोफाइसी, फीयोफाइसी तथा रोडोफाइसी।

 

1 क्लोरोफाइसी 

  • क्लोरोफाइसी के सदस्यों को प्रायः हरा शैवाल कहते हैं। 
  • ये एक कोशिक, कॉलोनीमय अथवा तंतुमयी हो सकते हैं। 
  • क्लोरोफिल a तथा b के प्रभावी होने के कारण इनका रंग हरी घास की तरह होता है। वर्णक सुस्पष्ट क्लोरोप्लास्ट में होते हैं। 
  • क्लोरोप्लास्ट डिस्क, प्लेट की तरह, जालिकाकार, कप के आकार, सर्पिल अथवा रिबन के आकार के हो सकते हैं। इसके अधिकांश सदस्यों के क्लोरोप्लास्ट में एक अथवा एक से अधिक पाइरीनॉइड होते हैं। पाइरीनॉइड स्टार्च होते हैं। 
  • कुछ शैवाल तेलबुदंक के रूप में भोजन संचित करते हैं। 
  • हरे शैवाल में प्रायः एक कठोर कोशिका भित्ति होती है। जिसकी भीतरी सतह सेल्यूलोज की तथा बाहरी सतह पेक्टोज की बनी होती है।

इसके सामान्य सदस्य क्लैमाइडोमोनास, वॉलवॉक्स, यूलोथ्रिक्सि, स्पाइरोगायरा तथा कारा हैं।
वॉलवॉक्सयूलोथ्रिक्सि


क्लोरोफाइसी में जनन 

  • कायिक जनन प्रायः तंतु के टूटने से अथवा विभिन्न प्रकार के बीजाणु (स्पोर) के बनने से होता है। 
  • अलैंगिक जनन फ्लैजिलायुक्त जूस्पोर से होता है। जूस्पोर जूस्पोरेजिंया (चल बीजाणुधानी) में बनते हैं। 
  • लैंगिक जनन में लैंगिक कोशिकाओं के बनने में बहुत विभिन्नता दिखाई पड़ती है। ये समयुगमकी, असमयुगमकी अथवा विषमयुमकी हो सकते हैं। 
  • इसके सामान्य सदस्य क्लैमाइडोमोनास, वॉलवॉक्स, यूलोथ्रिक्सि, स्पाइरोगायरा तथा कारा हैं।

 

2 फीयोफाइसी 

  • फीयोफाइसी अथवा भूरे शैवाल मुख्यतः समुद्री आवास में पाए जाते हैं। 
  • उनके माप तथा आकार में बहुत विभिन्नताएं होती हैं। ये सरल शाखित, तंतुमयी (एक्टोकार्पस) से लेकर सघन शाखित जैसे केल्प तक हो सकते हैं। केल्प की ऊँचाई 100 मीटर तक हो सकती है। 
  • इनमें क्लोरोफिल a, c, कैरोटिनॉइड तथा जैथोफिल होता है। इनका रंग जैतूनी हरे से लेकर भूरे के विभिन्न शेड तक हो सकता है। ये शेड जैथोफिल वर्णक, फ्युकोजैंथिन की मात्रा पर निर्भर करते हैं। 
  • इनमें जटिल कार्बोहाइड्रेट के रूप में भोजन संचित होता है। 
  • यह भोजन लैमिनेरिन अथवा मैनीटोल के रूप में हो सकता है।
  • कायिक कोशिका में सेल्यूलोज से बनी कोशिका भित्ति होती है जिसके बाहर की ओर एल्जिन का जिलैटिनी अस्तर होता है। 
  • प्रोटोप्लास्ट में लवक के अतिरिक्त केंद्र में रसधानी तथा केंद्रक होते हैं। 
  • पौधा प्रायः संलग्नक द्वारा अधः स्तर (स्बस्ट्रेटम) से जुड़ा रहता है और इसमें एक वृंत तथा पत्ती की तरह का प्रकाश-संश्लेषी अंग होता है। 
  • इसमें कायिक जनन विखंडन विधि द्वारा होता है। 
इसके सामान्य सदस्य एक्टोकार्पस, डिक्टयोटा, लैमिनेरिया, सरगासम तथा फ्यूकस हैं.
 लैमिनेरिया फ्यूकस डिक्टयोटा


  • अलैंगिक जनन नाशपाती के आकार वाले दो फ्लैजिला युक्त जूस्पोर द्वारा होता है। इसके फ्लैजिला असमान होते हैं तथा वे पार्वीय रूप से जुड़े होते हैं। 
  • इसमें लैंगिक जनन समयुग्मकी, असमयुग्मकी अथवा विषययुग्मकी हो सकता है। युग्मकों का संगम जल में अथवा अंडधानी (विषमयुग्मकी स्पीशीज) (प्रजाति) में हो सकता है। युग्मक पाइरीफोर्म (नाशपाती आकार) की होती हैं और इसके पार्श्व में दो फ्लेजिला होते हैं। 
  • इसके सामान्य सदस्य एक्टोकार्पस, डिक्टयोटा, लैमिनेरिया, सरगासम तथा फ्यूकस हैं. 


3 रोडोफाइसी 

  • रोडोफाइसी लाल शैवाल हैं। 
  • इनका लाल रंग लाल वर्णक, आर-फाइकोएरिथ्रिन के कारण है। 
  • अधिकांश लाल शैवाल समुद्र में पाए जाते हैं और इनकी बहुलता समुद्र के गरम क्षेत्र में अधिक होती है। ये पानी की सतह पर, जहाँ अधिक प्रकाश होता है, वहाँ भी पाए जाते हैं और समुद्र की गहराई में भी और जहाँ प्रकाश कम होता है, वहाँ भी पाए जाते हैं। 
  • लाल शैवाल का लाल थैलस अधिकांशतः बहुकोशिक होता है और इनमें से कुछ की संरचना बड़ी जटिल होती है । 
  • भोजन फ्लोरिडियन स्टार्च के रूप में संचित होता है। इस स्टार्च की रचना एमाइलो प्रोटीन तथा ग्लाइकोजन की तरह होती है। 
  • इसमें कायिक जनन विखंडन, अलैंगिक जनन अचल स्पोर (बीजाणु) और लैंगिक जनन अचल युग्मकों द्वारा होता है। 
  • लैंगिक जनन विषमयुग्मकी होता है और इसके पश्चात निषेचनोत्तर विकास होता है।
  • इसके सामान्य सदस्य- पोलीसाइफोनिया, ग्रेसिलेरिया, पोरफायरा तथा जिलेडियम हैं।
पोलीसाइफोनिया, ग्रेसिलेरिया, पोरफायरा तथा जिलेडियम हैं।
पोरफायरा तथा पोलीसाइफोनिया


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