एंजाइम का नामकरण व वर्गीकरण (Classification of Enzymes)
एंजाइम का नामकरण व वर्गीकरण
- हजारों एंजाइमों की खोज, विलगन व अध्ययन किया जा चुका है। एंजाइम द्वारा विभिन्न अभिक्रिया के उत्प्रेरण के आधार पर, इन्हें विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
- एंजाइम को 6 वर्गों व प्रत्येक वर्ग को 4-13 उपवर्गों में विभाजित किया गया है। जिनका नामकरण चार अंकीय संख्या पर आधारित है।
ऑक्सीडोरिडक्टेजेज/डीहाइड्रोजीनेजेज
एंजाइम जो दो क्रियाधारकों Sव के S1 बीच ऑक्सीअपचयन को उत्प्रेरित करते हैं जैसे
ट्रांसफरेजेज :
एंजाइम क्रियाधारकों के एक जोड़े S व S' के बीच (हाइड्रोजन के अतिरिक्त) के स्थानातंरण को उत्प्रेरित करते हैं। जैसे- एक समूह
हाइड्रोलेजेज :
- एंजाइम इस्टर, ईथर, पेप्टाइड, ग्लाइकोसाइडिक, कार्बन-कार्बन, कार्बन-हैलाइड या फॉस्फोरस-नाइट्रोजन बंधों का जल-अपघटन करते हैं।
लायेजेज :
- जल अपघटन के अतिरिक्त विधि द्वारा एंजाइम क्रियाधारकों से समूहों के अलग होने को उत्प्रेरित करते हैं, जिसके फलस्वरूप द्विबंधों का निर्माण होता है।
आइसोमरेजेज :
- वे सभी एंजाइम जो प्रकाशीय, ज्यामितिय व स्थितीय समावयवों के अंतर-रूपांतरण को उत्प्रेरित करते हैं।
लाइगेजेज :
- एंजाइम दो यौगिकों के आपस में जुड़ने को उत्प्रेरित करते हैं, जैसे एंजाइम जो कार्बन-ऑक्सीजन, कार्बन-सल्फर, कार्बन-नाइट्रोजन व फॉस्फोरस ऑक्सीजन बंधों के निर्माण के लिए उत्प्रेरित करते हैं।
सहकारक (Co-factors)
- एंजाइम एक या अनेक बहुपेप्टाइड श्रृंखलाओं से मिलकर बना होता है। फिर भी कुछ स्थितियों में इतर प्रोटीन अवयव, जिसे सह-कारक कहते हैं, एंजाइम से बंधकर उसे उत्प्रेरक सक्रिय बनाते हैं। इन उदाहरणों में एंजाइम के केवल प्रोटीन भाग को एपोएंजाइम कहते हैं। सह-कारक तीन प्रकार के होते है: प्रोस्थेटिक समूह, सह-एंजाइम व धातु-आयन।
- प्रोस्थेटिक-समूह कार्बनिक यौगिक होते हैं और यह अन्य सह-कारकों से इस रूप में भिन्न होते हैं कि ये एपोएंजाइम्स से दृढ़ता से बंधे होते हैं। उदाहरणस्वरूप एंजाइम परऑक्सीडेज व केटलेज जो हाइड्रोजन पराक्साइड को ऑक्सीजन व पानी में विखंडित करते हैं, हीम प्रोस्थेटिक समूह होता है जो एंजाइम के सक्रिय स्थल से जुड़ा होता है।
- सह एंजाइम भी कार्बनिक यौगिक होते हैं और इनका संबंध एपोएंजाइम से अस्थाई होता है जो सामान्यतया उत्प्रेरण के दौरान बनता है। सह-एंजाइम विभिन्न एंजाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं में सह-कारक के रूप में कार्य करते हैं। अनेक सह-एंजाइम का मुख्य रासायनिक अवयव विटामिन्स होते हैं जैसे- सहएंजाइम नीकोटीनेमाइड एडेनीन डाईन्यूक्लीयोटाइड (NAD) नीकोटीनेमाइड एडेनीन डाईन्यूक्लीयोटाइड फॉस्फेट (NADP) विटामिन नियासीन से जुड़े होते हैं।
- धातु आयन; कई एंजाइम की क्रियाशीलता हेतु धातु-आयन की आवश्यकता होती है जो सक्रिय स्थल पर पार्श्व-श्रृंखला से समन्वयन बंध बनाते हैं व उसी समय एक या एक से अधिक समन्वयन बंध द्वारा क्रियाधारकों से जुड़े होते हैं। जैसे-प्रोटीयोलिटीक एंजाइम कार्बाक्सीपेप्टीडेज से जिंक एक सह-कारक के रूप में जुड़ा होता है। एंजाइम से यदि सह-कारक को अलग कर दिया जाय तो इनकी उत्प्रेरक क्रियाशीलता समाप्त हो जाती है, इससे स्पष्ट है कि एंजाइम की उत्प्रेरक क्रियाशीलता हेतु ये निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।
एंजाइम सारांश
- जीवों में आश्चर्यजनक विभिन्नता मिलती है। इनकी रासायनिक संघटन व उपापचयी अभिक्रियाओं में असाधारण समानताएं मिलती हैं। जीव ऊतकों व निर्जीव द्रव्यों में पाए जाने वाले तत्वों के संघटन का यदि गुणात्मक परीक्षण किया जाए तो वे काफी समान होते हैं। फिर भी सूक्ष्म परीक्षण के बाद यह स्पष्ट है कि यदि जीव तंत्र व निर्जीव द्रव्यों की तुलना की जाए तो जीव तंत्र में कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन की अपेक्षाकृत अधिक बहुलता होती है।
- जीव में सर्वाधिक प्रचुर रसायन जल मिलता है। कम अणुभार (1000 डाल्टन से कम) वाले हजारों जैव अणु होते हैं। जीवों में एमीनो अम्ल, एकलसैकेराइडस, द्विक्शैकेराइडस शर्कराएं, वसा, अम्ल, ग्लिसरॉल, न्यूक्लियोटाइड, न्यूक्लियोसाइडस व नाइट्रोजन क्षार जैसे कुछ कार्बनिक यौगिक मिलते हैं। इनमें 20 प्रकार के एमीनो अम्ल व 5 प्रकार के न्यूक्लीयोटाइडस मिलते हैं।
- वसा व तेल ग्लिसराइडस होते हैं, जिनमें वसा अम्ल, ग्लिसराल से इस्टरीकृत होता है। फॉस्फोलिपिडस में फॉस्फोरीकृत नाइट्रोजनीय यौगिक मिलते हैं। जीव तंत्रों में केवल तीन प्रकार के वृहत्अणु जैसे- प्रोटीन, न्यूक्लीक अम्ल व बहुसैकेराइडस मिलते हैं।
- लिपिड्स का झिल्ली संबंधित होने के कारण वृहत् आण्विक अंश में रहते हैं। जैव वृहत् अणु बहुलक होते है। वे विभिन्न घटकों से बने होते हैं। न्यूक्लीक अम्ल (डी.एन.ए. व आर.एन.ए.) न्यूक्लिओटाइडस से मिलकर बने होते हैं।
- जैव वृहत् अणुओं में संरचनाओं का पदानुक्रम जैसे- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक व चतुष्कीय संरचनाएं मिलती है। न्यूक्लीक अम्ल आनुवंशिक द्रव्य की कोशिकाभित्तियों के रूप में कार्य करता है। बहुसैकेराइडस पौधों, कवकों व संधिपादों के बाह्य कंकाल के घटक हैं। ये ऊर्जा के संचित रूप (जैसे-स्टार्च व ग्लाइकोजेन) में भी मिलते हैं। प्रोटीन विभिन्न कोशिकीय कार्यों में सहायता करते हैं। उनमें से कुछ एंजाइम्स, प्रतिरक्षी, ग्राही, हार्मोन्स, व दूसरे संरचनात्मक प्रोटीन होते हैं।
- प्राणी जगत में सर्वाधिक प्रचुरता में मिलने वाला प्रोटीन कोलेजेन व संपूर्ण जैवमंडल मे सर्वाधिक प्रचुरता में मिलने वाला प्रोटीन रूबीस्को (RUBISCO) है।
- एंजाइम्स प्रोटीन होते हैं जो कोशिकाओं में जैव रासायनिक क्रियाओं की उत्प्रेरक शक्ति होते हैं। प्रोटीनमय एंजाइम्स क्रियाशीलता हेतु ईष्टतम तापक्रम व पी.एच. (ph) की आवश्यकता होती हैं। एंजाइम्स अभिक्रिया की दर को काफी तीव्र कर देते हैं। न्यूक्लीक अम्ल आनुवंशिक सूचनाओं के वाहक होते हैं, जो इसे पैतृक पीढ़ी से संतति में आगे बढ़ाते हैं।