अंतः झिल्लिका तंत्र :अंतर्द्रव्यी जालिका, गॉल्जी उपकरण, लाइसासोम, रसधानी (वैक्यौल)
अंतः झिल्लिका तंत्र
- झिल्लीदार अंगक कार्य व संरचना के आधार पर एक दूसरे से काफी अलग होते हैं, इनमें बहुत से ऐसे होते हैं जिनके कार्य एक दूसरे से जुड़े रहते हैं उन्हें अंतः झिल्लिका तंत्र के अंतर्गत रखते हैं।
- इस तंत्र के अंतर्गत अंतर्द्रव्यी जालिका, गॉल्जीकाय, लयनकाय, व रसधानी अंग आते हैं। सूत्रकणिका (माइटोकॉन्ड्रिया), हरितलवक व परऑक्सीसोम के कार्य उपरोक्त अंगों से संबंधित नहीं होते, इसलिए इन्हें अंतः झिल्लिका तंत्र के अंतर्गत नहीं रखते हैं।
1 अंतर्द्रव्यी जालिका (ऐन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम)
- इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन के पश्चात् यह पता चला कि यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में चपटे, आपस में जुड़े, थैली युक्त छोटी नलिकावत जालिका तंत्र बिखरा रहता है जिसे अंतर्द्रव्यी जालिका कहते हैं .
- प्रायः राइबोसोम अंतर्द्रव्यी जालिका के बाहरी सतह पर चिपके रहते हैं। जिस अंतर्द्रव्यी जालिका के सतह पर यह राइबोसोम मिलते हैं, उसे खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका कहते हैं। राइबोसोम की अनुपस्थिति पर अंतर्द्रव्यी जालिका चिकनी लगती है, अतः इसे चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका कहते हैं।
- जो कोशिकाएं प्रोटीन संश्लेषण एवं स्रवण में सक्रिय भाग लेती हैं उनमें खुरदरी अंतप्रद्रव्यी जालिका बहुतायत से मिलती है। ये काफी फैली हुई तथा केंद्रक के बाह्य झिल्लिका तक फैली होती है। चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका प्राणियों में लिपिड संश्लेषण के मुख्य स्थल होते हैं। लिपिड की भाँति स्टीरायडल हार्मोन चिकने अंतर्द्रव्यी जालिका में होते हैं।
2 गॉल्जी उपकरण
- केमिलो गॉल्जी (1898) ने पहली बार केंद्रक के पास घनी रंजित जालिकावत संरचना तंत्रिका कोशिका में देखी। जिन्हें बाद में उनके नाम पर गॉल्जीकाय कहा गया।
- यह बहुत सारी चपटी डिस्क आकार की थैली या कुंड से मिलकर बनी होती है जिनका व्यास 0.5 माइक्रोमीटर से 1.0 माइक्रोमीटर होता है। ये एक दूसरे के समानांतर ढेर के रूप में मिलते हैं जिसे जालिकाय कहते हैं।
- गॉल्जीकाय में कुंडों की संख्या अलग-अलग होती है।
- गॉल्जीकुंड केंद्रक के पास सकेंद्रित व्यवस्थित होते हैं, जिनमें निर्माणकारी सतह (उन्नतोदर सिस) व परिपक्व सतह (उत्तलावतल ट्रांस) होती है। अंगक सिस व ट्रांस सतह पूर्णतया अलग होते हैं; लेकिन आपस में जुड़े रहते हैं।
- गॉल्जीकाय का मुख्य कार्य द्रव्य को संवेष्टित कर अंतर-कोशिकी लक्ष्य तक पहुँचाना या कोशिका के बाहर स्रवण करना है। संवेष्टित द्रव्य अंतप्रद्रव्यी जालिका से पुटिका के रूप में गॉल्जीकाय के सिस सिरे से संगठित होकर परिपक्व सतह की ओर गति करते हैं। इससे स्पष्ट है कि गॉल्जीकाय का अंतर्द्रव्यी जालिका से निकटतम संबंध है।
- अंतर्द्रव्यी जालिका पर उपस्थित राइबोसोम द्वारा प्रोटीन का संश्लेषण होता है जो गॉल्जीकाय के ट्रांस सिरे से निकलने के पूर्व इसके कुंड में रूपांतरित हो जाते हैं।
- गॉल्जीकाय ग्लाइको प्रोटीन व ग्लाइकोलिपिड निर्माण का प्रमुख स्थल है।
3 लयनकाय (लाइसासोम)
- यह झिल्ली पुटिका संरचना होती है जो संवेष्टन विधि द्वारा गॉल्जीकाय में बनते हैं।
- पृथकीकृत लयनकाय पुटिकाओं में सभी प्रकार की जल-अपघटकीय एंजाइम (जैसे-हाइड्रोलेजेज लाइपेसेज, प्रोटोएसेज व कार्बोडाइड्रेजेज) मिलतें हैं जो अम्लीय परिस्थितियों में सर्वाधिक सक्रिय होते हैं। ये एंजाइम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, न्यूक्लिक अम्ल आदि के पाचन में सक्षम हैं।
4 रसधानी (वैक्यौल)
- कोशिकाद्रव्य में झिल्ली द्वारा घिरी जगह को रसधानी कहते हैं। इनमें पानी, रस, उत्सर्जित पदार्थ व अन्य उत्पाद जो कोशिका के लिए उपयोगी नहीं है, भी इसमें मिलते हैं।
- रसधानी एकल झिल्ली से आवृत्त होती है जिसे टोनोप्लास्ट कहते हैं। पादप कोशिकाओं में यह कोशिका का 90 प्रतिशत स्थान घेरता है।
- पौधों में बहुत से आयन व दूसरे पदार्थ सांद्रता प्रवणता के विपरीत टफेनोप्लास्ट से होकर रसधानी में अभिगमित होते हैं, इस कारण से इनकी सांद्रता रसधानी में कोशिकाद्रव्य की अपेक्षा काफी अधिक होती है।
- अमीबा में संकुचनशील रसधानी उत्सर्जन के लिए महत्वपूर्ण है। बहुत सारी कोशिकाओं जैसे आद्यजीव में खाद्य रसधानी का निर्माण खाद्य पदार्थों को निगलने के लिए होता है।