कोशिका : संरचना एवं कार्य | जी.एन. रामाचंद्रन | GM Ramachandran

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कोशिका : संरचना एवं कार्य

कोशिका : संरचना एवं कार्य | जी.एन. रामाचंद्रन | GM Ramachandran


  • जीव विज्ञान जीवित जीवों का अध्ययन है। उनके स्वरूप एवं आकृति का विस्तृत विवरण ही सहज उनकी विविधता को प्रस्तुत करता है। 
  • कोशिका सिद्वांत या परिकल्पना इस विविध स्वरूपों में निहित एकत्व को इंगित करता है अर्थात् जीवन के सभी स्वरूप में कोशिकीय संगठन बताता है। 
  • कोशिका संरचना तथा विखंडन द्वारा कोशिका वृद्धि का एक वर्णन प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही कोशिका सिद्वांत जीवन प्रत्याभासों अर्थात शरीर वैज्ञानिक व व्यावहारिक प्रक्रमों के रहस्य का बोध भी पैदा करती है। यह रहस्य जीवित प्रतिभासों के कोशिकीय संगठन की अक्षतता (अखंडता) की आवश्यकता थी, जिसे प्रदर्शित या अवलोकित किया गया। 
  • शरीर विज्ञान एवं व्यावहारिक प्रक्रमों को समझने एवं अध्ययन करने के लिए कोई भी व्यक्ति को भौतिक रासायनिक उपागम अपनाना है तथा परिक्षण हेतु कोशिकामुक्त प्रणाली इस्तेमाल करना पडता है। यह उपागम हमें आण्विक भाषा में विभिन्न प्रक्रमों को वर्णित करने के योग्य बनाता है। यह उपागम जीवित ऊतकों में तत्वों एवं यौगिकों के विश्लेषण द्वारा स्थापित होता है। इससे हमें पता लग पाएगा कि एक जीवित जैविक में किस प्रकार के कार्बनिक यौगिक उपस्थित हैं। 
  • अगले चरण में, यह प्रश्न पूछा जा सकता है कि कोशिका के अंदर ये यौगिक क्या कर रहे हैं? और किस प्रकार से ये संपूर्ण शरीर विज्ञान प्रक्रम, जैसेकि पाचन, उत्सर्जन, स्मरण, सुरक्षा, पहचानना आदि करते हैं। दूसरे शब्दों में, हम प्रश्न का उत्तर देते हैं, समस्त शरीर वैज्ञानिक प्रक्रमों का अणु आधार क्या है? यह किसी बीमारी के दौरान प्रगट असामान्य प्रक्रमों को भी स्पष्ट कर सकता है । 
  • जीवित जैविकों के इस भौतिक-रसायन उपागम को समझने एवं अध्ययन की प्रक्रिया 'न्युनीकरण जीव विज्ञान' कहलाती है। 


जी.एन. रामाचंद्रन

  • जी.एन. रामाचंद्रन प्रोटीन संरचना के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे तथा मद्रास स्कूल ऑफ फॉरमेशनल एनालिसिस ऑफ बायोपालीमर के स्थापक थे। सन् 1954 में नेचर में प्रकाशित कोलाजेन के तिहरी कुंडलित संरचना की खोज तथा 'रामचंद्रन प्लाट' के उपयोग से प्रोटीन के बहुलक के विश्लेषण से संरचनात्मक जीव विज्ञान के क्षेत्र में उन्हें सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त हुई। 
  • आपका जन्म आठ अक्टूबर 1922 को दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्र कोचीन के निकट एक गाँव में हुआ था। आपके पिता एक स्थानीय कॉलेज में गणित के प्रोफेसर थे, अतः रामचंद्रन की गणित के प्रति रुचि पैदा करने में उनका पर्याप्त प्रभाव पड़ा था। 
  • आपने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के उपरांत मद्रास विश्वविद्यालय से भौतिकशात्र में बी.एस.सी. ऑनर्स की सर्वोच्च स्थान प्राप्त की। जब आप 1949 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। जब आप कैंब्रिज विश्वविद्यालय में थे, तब आपकी मुलाकात लाइनस पावलिंग से हुई तथा ये उनके a हेलिक्स तथा शीट संरचना के मॉडल पर प्रकाशित कार्य से बहुत प्रभावित थे जिससे आप कोलैजन की संरचना को हल करने की ओर अपना ध्यान खींचा था। आप 78 वर्ष की आयु में 7 अप्रैल, 2001 को स्वर्गवासी हुए।

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