एटीपी तथा एनएडीपीएच कहाँ उपयोग होते हैं?|केल्विन चक्र |Kelvin Cycle Steps NCERT

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एटीपी तथा एनएडीपीएच कहाँ उपयोग होते हैं?|केल्विन चक्र |Kelvin Cycle Steps NCERT


एटीपी तथा एनएडीपीएच कहाँ उपयोग होते हैं? 

  • प्रकाश अभिक्रिया के उत्पाद एटीपीएनएडीपीएच तथा O₂ हैं। इनमें से ०2 क्लोराप्लास्ट के बाहर विसरित होती हैजबकि एटीपी तथा एनएडीपीएच का उपयोग आहार अथवा शर्करा को संश्लेषित करने वाली प्रक्रिया में होता है। यह प्रकाश-संश्लेषण का जैव संश्लेषण चरण होता है। यह प्रक्रिया परोक्ष रूप से प्रकाश पर निर्भर नहीं होतीबल्कि यह प्रकाश के प्रक्रियाओं के उत्पादों अर्थात् एटीपी तथा एनएडीपीएच के अतिरिक्त CO₂ तथा H₂O (जल) पर निर्भर होती है। 
  • आप शायद यह आश्चर्य कर सकते हैं कि इसकी सत्यता की जाँच कैसे की जा सकती हैयह बहुत ही सरल है। प्रकाश उपलब्ध न होने के तुरंत बाद कुछ समय तक के लिए जैव संश्लेषण प्रक्रिया जारी रहती है और इसके बाद बंद हो जाती है। यदि इसके बाद पुनः प्रकाश उपलब्ध होता है तो संश्लेषण पुनः आरंभ हो जाता है। 

अतः जैव संश्लेषण चरण को अप्रकाशी अभिक्रिया (डार्क रिएक्शन) कहना क्या एक मिथ्या है

  • जैव संश्लेषण चरण में एटीपी तथा एनएडीपीएच का उपयोग कैसे होता हैहम पहले देख चुकें हैं कि H₂O के साथ CO₂ के मिलने से (CH₂O)n अथवा शर्करा उत्पादित होती है। यह वैज्ञानिकों की रुचि थी कि उन्होंने यह खोजा कि यह प्रतिक्रिया कैसे संपन्न होती है अथवा यह जाना कि CO₂ के प्रतिक्रिया में आने से अथवा यौगिकीकृत होने से कौन सा पहला उत्पाद बनता है। 
  • द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बादलाभदायी उपयोग हेतु रेडियो आइसोटोपिक का उपयोग किया गया। इस उपयोग में मेलविन केल्विन का कार्य सराहनीय था। उन्होंने शैवाल में रेडियो एक्टिव 14 का उपयोग प्रकाश-संश्लेषण अध्ययन में कियाजिससे पता लगा कि CO2 यौगिकीकरण (फिक्सेशन) पहला उत्पाद एक 3 कार्बन वाला कार्बनिक अम्ल था। इसके साथ ही उसने संपूर्ण जैव संश्लेषण पथ की खोज की अतः इसे केल्विन चक्र कहते हैं। इस पहले उत्पाद का नाम 3-फोस्फोग्लिसेरिक अम्ल अथवा संक्षेप में पीजीए है।  
  • वैज्ञानिकों ने जानने का यह भी प्रयत्न किया कि क्या सभी पौधे CO₂ यौगिकीकरण (स्थिरीकरण) के बाद पहला उत्पाद पीजीए ही बनाते हैं अथवा फिर अन्य पौधों में कोई अन्य उत्पाद हैं। बहुत सारे पौधों में व्यापक शोध किए गएजहाँ पर CO₂ के यौगिकीकरण का पहला स्थायी उत्पाद पुनः एक कार्बनिक अम्ल थाजिसमें कार्बन के चार परमाणु थे। यह अम्ल ओक्सैलोएसिटिक अम्ल अथवा ओएए था। 
  • तब से प्रकाश-संश्लेषण के दौरान CO₂ के स्वांगीकरण (एसिमिलेशन) को दो मुख्य विधियों से बताया गया। जिन पौधों में, CO₂ यौगिकीकरण का पहला उत्पाद C3 अम्ल (PGA) था उसे C3 पथ और जिनका पहला उत्पाद C4 अम्ल (ओएए) थाउसे C4 पथ कहते हैं। इन दोनों समूह के पौधों में कुछ अन्य अभिलक्षण भी होते हैं.

 

1 CO₂ के प्राथमिकग्राही 

  • आइएअब हम अपने आप से एक प्रश्न पूछेंजिसे कि उन वैज्ञानिकों द्वारा पूछा गया था जो अप्रकाशी अभिक्रिया को समझने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उस अणु में कितने कार्बन परमाणु हैं जो CO2 को ग्राह्य करने के बाद तीन कार्बन यौगिक (अर्थात् पीजीए) बनाते हैं? 
  • अध्ययनों से पता लगा कि ग्राही अणु एक पाँच कार्बन वाला कीटोज शुगर (शर्करा) थायह रिब्यूलोज 1-5 बायफोस्फेट (RuBP) था। क्या आपमें से किसी ने इस संभावना के बारे में सोचा थापरेशान मत होइएवैज्ञानिकों को भी इसे जानने में बहुत समय लगा और किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले बहुत सारे प्रयोग किए गए थे। उन्हें यह भी यकीन था किचूंकि पहला उत्पाद ८ अम्ल थाअतः प्राथमिकग्राही 2 कार्बन कंपाउंड (यौगिक) होगा। उन्होंने पहले 2 कार्बन कम्पाउंड को पहचानने के लिए कई वर्ष तक प्रयत्न किए। अंततः उन्होंने पाँच कार्बन वाले RuBP की खोज करने में सफलता प्राप्त की।

 

2 केल्विन चक्र 

केल्विन तथा उसके सहकर्मियों ने संपूर्ण पथ का पता लगाया और बताया कि यह पथ एक चक्रीय क्रम में संचालित होता हैजिसमें RuBP पुनः उत्पादित होता है। 

केल्विन चक्र उन सभी पौधों में होता है जो प्रकाश-संश्लेषण करते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनमें चाहे पथ C3 अथवा C4 (अथवा कोई अन्य) हो .

 

केल्विन चक्र


कैल्विन चक्र तीन भागों में बांटा जा सकता है- 

(1) कार्बोक्सिलेशन जिसमें CO₂ राइबुलोज-1, 5 विसफांस्फेट से योग करता है.

(2) अवकरणजिसमें कार्बोहाइड्रेट का निर्माण प्रकाश रासायनिक ग्राही तथा एनएडीपीएच की मदद से होता है तथा 

(3) पुनरुद्भवन जिसमें CO₂ ग्राही राइबुलोज-1, 5 विसफॉस्फेट का फिर से निर्माण होता है तथा चक्र चलता रहता है।


केल्विन चक्र को आसानी से समझने के लिए इसको तीन चरणों कार्बोक्सिलीकरण (कार्बोक्सीलेशन)रिडक्शन तथा रिजनरेशन में वर्णन करते हैं-

 

कार्बोक्सिलीकरण - 

  • CO₂ के यौगिकीकरण से एक स्थिर कार्बनिक मध्यस्थ बनता है। केल्विन चक्र में कार्बोक्सिलीकरण एक अत्यधिक निर्णायक चरण है जहाँ RuBP के कार्बोक्सिलीकरण के लिए CO2 का उपयोग किया जाता है। यह प्रतिक्रिया एंजाइम RuBP कार्बोक्सिलेस के द्वारा उत्प्रेरित होती हैजिसके परिणामस्वरूप 3-P GA के दो अणु बनते हैं। 
  • चूँकि इस एंजाइम में एक ऑक्सीजिनेशन (ऑक्सीकरण) क्षमता भी होती हैअतः यह ज्यादा उचित होगा कि हम इस एंजाइम को RuBP कार्बोक्सीलेस-ऑक्सीजिनेस अथवा रुबिस्को कहें

 

2. रिडक्शन (अपचयन) 

  • यह प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला है जिसमें ग्लूकोज बनता है। इस चरण में प्रत्येक CO₂ अणु के स्थिरण हेतु एटीपी के 2 अणुओं का उपयोग फॉस्फोरिलेशन के लिए तथा एनएडीपीएच के दो अणुओं का उपयोग अपचयन हेतु होता है। पथ से ग्लूकोज के एक अणु को बनाने के लिए CO₂ के 6 अणुओं के यौगिकीकरण तथा चक्करों की आवश्यकता होती है।

 

3. रिजेनरेशन ( पुनरुद्भवन)

  •  यदि चक्र को बिना बाधा के जारी रहना है तो CO₂ ग्राही अणु RuBP का पुनरुद्भवन बहुत ही आवश्यक होता है। पुनरुद्भवन के चरण में RuBP गठन हेतु फॉस्फोरीलेशन के लिए एक एटीपी की आवश्यकता होती है।

 Fact

  • केल्विन चक्र में CO₂ के प्रत्येक अणु को प्रवेश के लिए एटीपी के 3 अणु तथा एनएडीपीएच के 2 अणुओं की आवश्यकता होती है। 
  • अप्रकाश अभिक्रिया में उपयोग होने वाले एटीपी और एनएडीपीएच की संख्याओं में यह अंतर ही चक्रीय फॉस्फोरीलेशन को संपन्न कराने का कारण है। 
  • ग्लूकोस के एक अणु की रचना के लिए इस चक्र के 6 चक्करों की आवश्यकता होती है। 

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