रासायनिक संयोजन के नियम |द्रव्य का परमाणु सिद्धांत | Chemistry Details in Hindi

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 परमाणुअणु और रासायनिक अंकगणित

रासायनिक संयोजन के नियम |द्रव्य का परमाणु सिद्धांत | Chemistry Details in Hindi


 

रासायनिक संयोजन के नियम 

  • अठारवीं सदी के बाद रासयनिक विज्ञान में अत्याधिक उन्नति की है। इससे ऊष्मा की प्रकृति और किस प्रकार वस्तुएं जलती है को जानने में आनंद आया। मुख्य उन्नति रासायनिक तुला का सावधानी से प्रयोग करके होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं में द्रव्यमान में होने वाले परिवर्तन का पता लगा सकते हैं। 
  • महान फ्रेंच रसायनविद एंटिमिनी लेवाइजर ने रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए तुला का प्रयोग किया। उसने मरकरी को बन्द फ्लास्क में जिसमें हवा थी गर्म किया। बहुत दिनों के बाद मरकरी ऑक्साइड का लाल पदार्थ प्राप्त हुआ। फ्लास्क में बची गैस के द्रव्यमान में कमी आ गई। शेष गैस न तो दहन न ही जीवन में सहायक है। फ्लास्क में बची हुई गैस की नाइट्रोजन के रूप में पहचान हुई। मरकरी के साथ संयुक्त होने वाली गैस ऑक्सीजन थी। 
  • आगे उसने इस प्रयोग को सावधानी से मरकरी (II) आक्साइड की तुली हुई मात्रा के साथ किया। उसने पाया कि लाल रंग के मरकरी (II) आक्साइड को प्रबलता से गर्म करने पर मरकरी और आक्सलीन में विघटित हो जाता है उसने मरकरी और आक्सजीन में विघटित हो जाता है उसने मरकरी और आक्सीजन दोनों को तोला और पाया कि दोनों का संयुक्त द्रव्यमान लिए गए मरकरी (II) आक्साइड के द्रव्यमान के बराबर था। लेवाइजर ने अंतिम निष्कर्ष निकाला कि "प्रत्येक रासायनिक अभिक्रिया में सभी अभिकर्मकों का सम्पूर्ण द्रव्यमान सभी उत्पादों के सम्पूर्ण द्रव्यमान के बराबर होता है। यह द्रव्यमान संरक्षण का नियम माना जाता है।" 

  • रसायनविदों द्वारा अभिकर्मकों और उत्पादों का सही द्रव्यमानों का पता लगाने के बाद विज्ञान में शीघ्रता से उन्नति हुई। फ्रेन्च रसायविदो क्लाउडे बर्थोलेट और जोसेफ प्राडस्ट ने दो तत्वों जो कि संयुक्त होकर यौगिक बनाते हैं के अनुपातों (द्रव्यमान) पर कार्य किया। सावधानी से कार्य करने के बाद प्राउस्ट ने 1808 में निश्चित या स्थिर अनुपात का नियम दिया। "दिये गये रासायनिक यौगिक में तत्वों के द्रव्यमानों का अनुपात जो कि संयुक्त होते हैं निश्चित होता है और यौगिक के स्रोत और विरचन पर निर्भर नहीं करता है।"

 

  • उदाहरण के लिए शुद्ध जल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के द्रव्यमानों का अनुपात 1:8 होता है। दूसरे शब्दों में द्रव्यमान के रूप में शुद्ध जल में हाइड्रोजन 11.11% और ऑक्सीजन 88.89% होती है चाहे जल को कुआंनदी या तलाब से लिया गया है। इस प्रकार यदि 9.0 ग्राम जल का विघटन किया जाए तो हमेंशा 1.0 ग्राम हाइड्रोजन और 8.0 ग्राम ऑक्सीजन प्राप्त होती है। यदि 3.0 ग्राम हाइड्रोजन को 8.0 ग्राम ऑक्सीजन के साथ मिश्रित करते हैं और मिश्रण को जलाया जाता है तो 9.0 ग्राम जल बनता है और 2.0 ग्राम हाइड्रोजन अन अनिभिकृत बच जाती है। इसी प्रकार सोडियम क्लोराइड में 60.66% क्लोरीन और 39.34% सोडियम द्रव्यमान के रूप में होते है चाहे हम इसे लवण खदानोंसमुद्र के जल या सोडियम और क्लोरीन से बनाये। वास्तव में इस वाक्य में "शुद्ध" मुख्य शब्द है। पुनः प्रयोगात्मक परिणाम वैज्ञानिक विचारों की विशिष्टता होती है। वास्तव में आधुनिक विज्ञान प्रयोगात्मक अनुसंधान पर निर्भर करती है पुनः परिणाम अप्रत्यक्ष रूप सत्य की तरफ संकेत करते हैं जो कि छिपे होते हैं। वैज्ञानिक हमेशा इस सत्य पर अनुसंधान करते हैं और इस प्रकार बहुत से सिद्धांत और नियमों की खोज की। इस सत्य की खोज विज्ञान के विकास में अहम कार्य करती है।

 

  • डाल्टन परमाणु सिद्धांत केवल द्रव्यमान संरक्षण और स्थिर अनुपात के नियमों का उल्लेख करता है लेकिन नए की भी कल्पना करता है। उसने अपने सिद्धांत के आधार पर गुणित अनुपात नियम दिया। इस नियम के अनुसार "यदि दो तत्व संयोजित होकर एक से अधिक यौगिक बनाते हैंतो एक तत्व के साथ दूसरे तत्व के संयुक्त होने वाले द्रव्यमान छोटे पूर्णांकों के अनुपात में होते हैं।" उदाहरण के लिए कार्बन और आक्सीजन दो यौगिक कार्बन मोनोक्साइड और कार्बनडाई आक्साइड बनाते हैं। कार्बन मोनोक्साइड में प्रत्येक 1.0000 ग्राम कार्बन के लिए 1.3321 ग्राम ऑक्सीजन होती है जबकि कार्बनडाई ऑक्साइड में प्रत्येक 1.0000 ग्राम कार्बन के लिए 2.6642 ग्राम ऑक्सीजन होती है। दूसरे शब्दों में कार्बनडाईआक्साइड में कार्बनमोनोआक्साइड (2 × 1.3321 = 2.6642) की तुलना में दिये गये कार्बन के द्रव्यमान में दो गुणा आक्सीजन होती है। परमाणु सिद्धांत यह उल्लेख करता है कि दिये गये कार्बन परमाणुओं में कार्बनमोनोक्साइड की तुलना में कार्बनडाईआक्साइड में आक्सीजन परमाणुओं की संख्या दो गुणी होती है। परमाणु सिद्धांत से उत्पन्न गुणित अनुपात रसायनविदो के लिए इस सिद्धांत की वैधता को स्वीकार करने में महत्वपूर्ण था।

 

द्रव्य का परमाणु सिद्धांत 

  • जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं कि लेवाइजर ने आधुनिक रसायन की प्रयोगात्मक नींव रखी। लेकिन ब्रिटिश रसायनविद् डाल्टन (1766-1844) ने मूल सिद्धांत दिया। सभी तत्वयौगिक या मिश्रण सभी द्रव्य होते है छोटे कणों जिन्हें परमाणु कहते हैं से बने होते हैं। इस खंड में डाल्टन की अवधारणाएं या मूल कथनों का उल्लेख किया गया है।

 

1 डाल्टन परमाणु सिद्धांत की अवधारणाएं 

बहुत छोटे कणों के विभिन्न संयोजनों के चरणों में द्रव्य की संरचना का उल्लेख करना डाल्टन सिद्धांत का मुख्य बिंदु है यह निम्नलिखित अवधारणाओं द्वारा दिया गया है। 

1. सभी द्रव्य अविभाजित परमाणुओं के बने होते है। एक परमाणु द्रव्य का अत्यधिक छोटा कण है जो रासायनिक अभिक्रिया के समय अपनी पहचान बनायें रखता है। 

2. एक तथ्य केवल एक ही प्रकार के परमाणुओं से बना द्रव्य होता है दिये गये एक प्रकार में प्रत्येक परमाणु के गुणधर्म एक समान होते हैं। द्रव्यमान एक ऐसा गुणधर्म है। इस प्रकार दिये गये परमाणुओं का अभिलाक्षणिक द्रव्यमान होता है। 

3. यौगिक एक प्रकार का द्रव्य है जो कि दो या अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोजन से बनता है। यौगिक में दो प्रकार के परमाणुओं सापेक्ष संख्या एक साधारण अनुपात में होती है उदाहरण के लिए पानी हाइड्रोजन और आक्सीजन तत्वों से बना होता है जिसमें हाइड्रोजन और आक्सीजन का अनुपात 2:1 होता है। 

4. रासयनिक अभिक्रियाः अभिकृत पदार्थों में उपस्थित परमाणुओं को पुनः व्यवस्थित करकेनये रासायनिक संयोजनों देते है जो पदार्थ कि अभिक्रिया के द्वारा बनते हैं। परमाणु किसी भी रासायनिक अभिक्रिया द्वारा न तो पैदान ही नष्ट या छोटे कणों में तोड़े जा सकते हैं।

परमाणु क्या है? 

  • जैसा कि हमने पिछले खंड में देखा कि परमाणु एक तत्व का छोटे से छोटा कण है जो कि इसके तत्व रासायनिक गुणधर्मों को धारण करता है। एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु से आकार और द्रव्यमान में भिन्न होता है। शुरू में भारतीय और ग्रीक दार्शनिकों ने "परमाणु" नाम दिया। आज हम जानते हैं यह मूल दार्शनिकता को दर्शाता है कि परमाणु अविभाजित नहीं होते हैं। उन्हें छोटे कणों में तोड़ा जा सकता है यद्यपि इस प्रक्रम में रासायनिक पहचान खो देते हैं। लेकिन इन विकासों के बावजूद परमाणु द्रव्य का नींव का पत्थर हैं।

 

अणु 

  • रासायनिक बलों के द्वारा जुड़े हुए कम से कम दो परमाणुओं के निश्चित व्यवस्थित समूहों को अणु कहते हैं। स्थिर अनुपात के नियम के अनुसार एक अणु में एक समान तत्व और दो या अधिक तत्वों के परमाणु एक निश्चित अनुपात में होते हैं। इस प्रकार यह आवश्यक नहीं है कि अणु एक यौगिक हो जो कि परिभाषा के अनुसार दो या अधिक तत्वों से बना होता है। उदाहरण के लिए हाइड्रोजन गैस एक शुद्ध तत्व है लेकिन इसमें अणु होते हैं जो कि दो परमाणुओं के बने होते हैं। दूसरी ओर पानी एक आणविक यौगिक है जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात दो और एक (2 : 1) परमाणु होता है। परमाणुओं के समान अणु विद्युतीय उदासीन होते हैं। 

  • हाइड्रोजन अणु जिसे H₂ से संकेतिक किया जाता है द्विपरमाणुविक अणु कहलाता है क्योंकि इसमें केवल दो परमाणु हाते हैं। अन्य द्विपरमाणुविक है नाइट्रोजन (N₂), ऑक्सीजन (O2) और वर्ग 17 के तत्व फ्लोरीन (F2), क्लोरीन (Cl2), ब्रोमीन (Br₂), और आयोडीन (12) वास्तव में द्विपरमाणुक अणु विभिन्न तत्वों के परमाणुओं से भी बनते हैं। उदाहरण के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) और कार्बन मोनोक्साइड (CO).
  • अधिकतर अणुओं में दो से अधिक परमाणु होते हैं। ये एक ही तत्व के परमाणु हो सकते परमाणुओं से बना है या दो या दो से अधिक तत्वों के संयोजन से बन सकते हैं। दो से अधि क परमाणुओं से बनने वाले अणुओं को बहु-परमाणुविक अणु कहते हैं जैसे कि ओजोनपानी (H₂O) और अमोनिया (NH3) बहुपरमाणुविक अणु है।

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