मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी | Periodic Table Fact in Hindi

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मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी | Periodic Table Fact in Hindi

 


मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी 

  • सन् 1869 में रूसी रसायनज्ञ मेन्डेलीफ ने 'तत्वों के परमाणु भार और उनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्मों के बीच संबंध का गहन अध्ययन किया। तब उन्होंने एक सारणी बनाई जिसमें तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया गया था। यहाँ भी यह पाया गया कि प्रत्येक आठवें तत्व और पहले तत्व के गुणधर्म समान होते हैं। अतः गुणधर्मों की क्रमबद्ध आवर्तिता होती है। 
  • मेन्डेलीफ की आवर्त की एक विशेष उपयोगिता थी, कुछ तत्व जिनका कि आविष्कार होना था उनके लिए रिक्त स्थान छोडे गए थे। उन्होंने इन तत्वों के गुणधर्म भी प्रागुक्त तत्वों के रासायनिक गुणधर्मों की जानकारी और निश्चित रूप में व्यवस्थित तत्वों द्वारा प्रदर्शित आवर्तिता के बारे में मेन्डेलीफ की अंतर्दृष्टि की रसायन के इतिहास में कोई समानता नहीं है। इस कार्य के फलस्वरूप आवर्त नियम के मौलिक सिद्धांतों की मजबूत नींव पड़ी। उन्होंने सर्वाधि क महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकाला कि यदि तत्वों को उनके परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया जाए तो गुणधर्मों में क्रमबद्ध आवर्तिता होती है (गुणधर्मों की आवर्तिता)। यहाँ तक कि कुछ तत्वों के गुणधर्मों को उनके आविष्कार से पहले ही बता दिया गया। 

 

आधुनिक प्रस्ताव 

  • सन् 1913 में मोजले और उनके साथियों ने परमाणु क्रमांक का आविष्कार किया। परमाणु क्रमांक पर आधारित आवर्त सारणी आधुनिक आवर्त सारणी कहलाती है। मोजले ने सभी तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया और दिखलाया कि तत्वों के गुणध र्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं। 
  • आधुनिक आवर्त नियम तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।

 

आवर्त सारणी का दीर्घ रूप 

तत्वों को आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में व्यवस्थित करने से एक ओर उनके इलेक्ट्रॉन विन्यास में तथा दूसरी ओर उनके भौतिक और रासायनिक गुणधर्मों में पूरा मेल रहता है। तत्वों के वर्गीकरण के लिए प्रयुक्त आधुनिक परमाणु संरचना की कुछ महत्त्वपूर्ण धारणाएँ नीचे दी गई हैं:

 

  1. रासायनिक अभिक्रिया के दौरान परमाणु की बाह्यतम कक्षा में ही इलेक्ट्रॉनों की हानि अथवा प्राप्ति होती है। 
  2. किसी परमाणु का दूसरे परमाणुओं के साथ इलेक्ट्रॉनों का सहभाजन अधिकतर बाह्यतम कक्षा के द्वारा होता है। इस प्रकार परमाणु की बाह्यतम कक्षा में मौजूद इलेक्ट्रॉन प्रायः तत्वों के रासायनिक गुणधर्मों को निर्धारित करते हैं।

 

  • अतः हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जिन तत्वों में बाहरी इलेक्ट्रॉन विन्यास समान होता है उनके भौतिक और रासायनिक गुणधर्म समान होने चाहिए। इसलिए आसान और व्यवस्थित अध्ययन के लिए उन्हें एक साथ रखना चाहिए। 
  • उपर्युक्त तर्क को ध्यान में रखते हुए सभी ज्ञात तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु क्रमांक के अनुसार व्यवस्थित किया गया। तत्वों के गुणधर्म आवर्ती फलन (नियत अंतराल के बाद पुनर्प्राप्ति) प्रदर्शित करते हैं। 

 

आवर्त सारणी के दीर्घरूप के संरचनात्मक लक्षण 

(i) इस सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर स्तंभ हैं जिन्हें वर्ग कहते हैं, इन्हें 1 से 18 तक की संख्या दी जाती है। प्रत्येक वर्ग का विशिष्ट विन्यास होता है। 

(ii) इसमें कोष्ठों की सात पंक्तियाँ होती हैं, इन पंक्तियों को आवर्तक कहते हैं। आवर्त सारणी में सात आवर्तक होते हैं, जिन्हें 1 से 7 तक की संख्या दी जाती है 

(iii) कुल 114 तत्व ज्ञात हैं। इनमें से 90 प्रकृति में पाए जाते हैं। अन्य नाभिकीय रूपांतरण द्वारा बनाए जाते हैं अथवा कृत्रिम रूप से संश्लेषित होते हैं। दोनों ही मानव निर्मित विधियाँ हैं, किन्तु आप पाएंगे कि 'मानव निर्मित तत्व' नाम का प्रयोग परायूरेनियम तत्वों (यूरेनियम के बाद के तत्व) के लिए ही किया जाता है।

 (iv) पहले आवर्तक में केवल दो तत्व हैं, यह बहुत लघु आवर्तक है। दूसरे और तीसरे आवर्तकों में, प्रत्येक में केवल आठ तत्व हैं, ये लघु आवर्तक हैं। चौथे और पांचवें आवर्तकों में, प्रत्येक में अठारह तत्व हैं, ये दीर्घ आवर्तक हैं। छठे आवर्तक में 32 तत्व हैं, यह भी दीर्घ आवर्तक है। सातवाँ आवर्तक अभी अपूर्ण है और जैसे-जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान होता जाएगा इस आवर्तक में और तत्व शामिल होते जाएंगे। 

(v) गुणधर्मों में समानता के आधार पर वर्गों अथवा वर्ग समूहों को उपनाम दिए गए हैं, उदाहरणार्थ.. 

  • वर्ग 1 हाइड्रोजन को छोड़कर, वर्ग 1 के तत्वों को क्षार धातु कहा जाता है। 
  • वर्ग 2 के तत्वों को क्षारीय मृद्रा धातु कहा जाता है। 
  • वर्ग 3 से 12 के तत्वों को संक्रमण धातु कहा जाता है। 
  • वर्ग 16 के तत्वों को चैल्कोजेन कहा जाता है। 
  • वर्ग 17 के तत्वों को हैलोजेन कहा जाता है। 
  • वर्ग 18 के तत्वों को उत्कृष्ट गैसें कहा जाता है। 


  • इसके अतिरिक्त 58 से 71 तक परमाणु क्रमांक वाले तत्वों को लैन्थेनाइड अथवा आंतरिक संक्रमण तत्व (प्रथम श्रेणी) कहा जाता है, परमाणु क्रमांक 90 से 103 तक के तत्वों को ऐक्टिनाइड अथवा आंतरिक संक्रमण तत्व (द्वितीय श्रेणी) कहा जाता है। संक्रमण अथवा आंतरिक संक्रमण तत्वों को छोड़कर अन्य सभी तत्वों को सामूहिक रूप में 'मुख्य वर्ग तत्व' कहा जाता है।

 

धातुओं, अधातुओं और उपधातुओं की स्थिति 

आवर्त सारणी में धातुओं, अधातुओं और उपधातुओं की स्थिति ज्ञात करने के लिए आप बोरॉन (परमाणु क्रमांक 5) को टेलुरियम (परमाणु क्रमांक 52) से मिलाने वाली विकर्ण रेखा खींचिए जो सिलिकन और आर्सेनिक से गुजरती हो। 

अब हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं : 

(i) जो तत्व विकर्ण रेखा के ऊपर और दाईं ओर होते हैं, वे अधातु होते हैं (सिलीनियम इसका अपवाद है, इसके कुछ धात्विक लक्षण भी होते हैं)। तत्व, विकर्ण रेखा से जितना दूर और ऊपर की ओर होता है, अधात्विक लक्षण उतना ही सुस्पष्ट होता है। 

(ii) जो तत्व विकर्ण रेखा के नीचे और बाईं ओर होते हैं, वे धातु होते हैं (हाइड्रोजन इसका अपवाद है, यह अधातु है)। तत्व विकर्ण रेखा से जितना दूर और नीचे की ओर होता है, धात्विक लक्षण उतना ही सुस्पष्ट होता है। सब लैन्थेनाइड और ऐक्टिनाइड, धातु होते हैं।

(iii) विकर्ण रेखा पर आने वाले तत्व उपधातु होते हैं, इनमें धातु और अधातु दोनों के लक्षण होते हैं। इनके अतिरिक्त जर्मेनियम, ऐन्टिमनी और सिलीनियम भी उपधातुओं के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।


आवर्त सारणी महत्वपूर्ण तथ्य  

  • तत्वों के वर्गीकरण से उनका अध्ययन सुव्यवस्थित हो जाता है। 
  • आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में तत्वों की व्यवस्था उनके इलेक्ट्रॉन विन्यास पर निर्भर करती है। 
  • तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं। 
  • आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में सभी ज्ञात तत्वों को 18 वर्गों में व्यवस्थित किया गया है।
  • आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में सात क्षैतिज पंक्तियाँ (आवर्तक) होती हैं। 
  • वर्ग 1 और वर्ग 2 के तत्वों को क्रमशः क्षार धातुएँ और क्षारीय मृदा धातुएँ कहते हैं। 
  • वर्ग 17 और वर्ग 18 के तत्वों को क्रमशः हैलोजन और उत्कृष्ट गैस कहते हैं।
  • s, p, d और ƒ उपकोश में स्थित बाह्यतम इलेक्ट्रॉन के आधार पर आवर्त सारणी में s, p, d और f चार ब्लॉक होते हैं। 
  • तत्वों को उनके गुणधर्मों और आवर्त सारणी में उनकी स्थिति के आधार पर धातुओं, अध ातुओं और उपधातुओं में विभाजित किया जा सकता है। 
  • परमाणु आमाप, आयनी आमाप, आयनन ऐन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन ग्रहण ऐन्थैल्पी और वैद्युत ऋणात्मकता की किसी वर्ग और आवर्तक में आवर्ती फलन प्रतिपादित करते हैं। 
  • संयोजकता की व्याख्या करना सीख सकेगें।

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